
Baler Machine For Stubble Disposal: खरीफ के फसलों की कटाई बेहद नजदीक आ गई है. इसके साथ ही किसानों द्वारा खेतों में पराली जलाने को लेकर सरकार की चिंताएं भी बढ़ गई है. विभिन्न तरीकों से किसानों को ऐसा न करने के लिए जागरूक भी किया जा रहा है. इस बीच चंदौली में किसानों को पराली की समस्या से निजात दिलाने के लिए 26 लाख रुपए में एक बेलर मशीन की खरीद की गई है.
कैसे काम करता है बेलर मशीन
दरअसल बेलर मशीन एक ऐसा कृषि यंत्र है जो पराली को खेतों से इकट्ठा कर के छोटे-छटे गट्ठर बना देता है. इससे एक घंटे में तकरीबन एक एकड़ खेत से पराली को हटाया जा सकता है. सरकार की तरफ से ये मशीन चंदौली के किसानों को न्यूनतम किराए पर उपलब्ध कराने का फैसला लिया गया है.
कृषि विज्ञान केंद्र चंदौली के प्रभारी और सीनियर साइंटिस्ट डॉक्टर एसपी सिंह बताते हैं कि कि इस बेलर मशीन से हम पराली को इकट्ठा करके उसके बंडल बना लेंगे. जिसके बाद पराली को खेतों से उठाकर गाजीपुर स्थित सुखबीर एग्रो इंडस्ट्रीज को बेच दिया जाएगा. जहां पर इसका उपयोग कर बिजली का निर्माण किया जाएगा.
बेलर मशीन क्यों है फायदेमंद
>किसानों को पराली जलाने से निजात मिलेगी
>एग्रो इंडस्ट्रीज को भेजी गई पराली से कृषि विज्ञान केंद्र को राजस्व मिलेगा
>खेतों से निकाली गई पराली से एग्रो इंडस्ट्रीज द्वारा बिजली बनाई जाएगी.
पराली जलाने पर कानूनी कार्रवाई का है प्रावधान
हर साल पराली जलाने से वातावरण में प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है. सुप्रीम कोर्ट इस स्थिति के खिलाफ कई निर्देश भी दे चुकी है. कोर्ट के आदेश के मुताबिक पराली जलाते हुए पकड़े जाने पर किसानों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही का प्रावधान भी है.
आपको बता दें पूर्वी उत्तर प्रदेश के चंदौली को धान का कटोरा कहा जाता है. चंदौली में कुल 135946 हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि है जिसमें 113779 हेक्टेयर भूमि पर धान की खेती की जाती है. चंदौली में पिछले सीजन में पराली जलाने के कुल 61 मामले सामने आए थे. जिसमे तीन दर्जन किसानों के खिलाफ पराली जलाने के संदर्भ में मुकदमे दर्ज किए गए थे. हालांकि बाद में सरकार के निर्देश पर किसानों के विरुद्ध दर्ज किए गए सभी मामले वापस ले लिए गए थे.