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Cardamom Farming: इलायची की ऐसे खेती करके किसान कर सकते हैं बंपर कमाई, ये है पूरा तरीका

Elaichi ki kheti: इलायची की खेती  केरल, कर्नाटक और तमिलनाडु में की जाती है. इन राज्यों में साल भर में 1500-4000 मिमी बारिश होती है, जो इसकी खेती के लिए फायदेमंद साबित होती है. इलायची की फसल 10-35 डिग्री सेल्सियस में अच्छी तरह से विकास करते हैं. इसकी खेती के लिए काली दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त मानी जाती है. इसके अलावा लैटेराइट मिट्टी, दोमट मिट्टी और अच्छी जल निकासी वाली काली मिट्टी पर भी इसकी खेती की जा सकती है.

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Elaichi Ki Kheti
Elaichi Ki Kheti
स्टोरी हाइलाइट्स
  • बरसात के मौसम में करें इसकी खेती
  • खेती के लिए काली दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त

Cardamom Farming: भारत के मसालों की प्रसिद्धि पूरी दुनिया में है. कई राज्यों में अलग-अलग मसालों की खेती बड़े पैमाने पर होती है. इन सबके बीच किसान इलायची की खेती से भी बढ़िया मुनाफा कमा रहे हैं. इलायची का उपयोग भोजन, कन्फेक्शनरी, पेय पदार्थों को बनाने के दौरान किया जाता है.

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कहां होती है इलायची की खेती

बता दें कि इलायची की खेती  केरल, कर्नाटक और तमिलनाडु में की जाती है. इन राज्यों में साल भर में 1500-4000 मिमी बारिश होती है, जो इसकी खेती के लिए फायदेमंद साबित होती है. इलायची की फसल 10-35 डिग्री सेल्सियस में अच्छी तरह से विकास करते हैं. 

इस तरह की मिट्टी उपयुक्त

इलायची की खेती के लिए काली दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त मानी जाती है. इसके अलावा लैटेराइट मिट्टी, दोमट मिट्टी और अच्छी जल निकासी वाली काली मिट्टी पर भी इसकी खेती की जा सकती है. ध्यान रखें कि इसकी खेती कभी रेतीली मिट्टी पर ना करें, वरना किसानों को भारी नुकसान झेलना पड़ सकता है.

रोपाई से लेकर तुड़ाई तक 

इलायची के पौधों को खेत में लगाने से पहले इसे नर्सरी में तैयार किया जाता है. एक हैक्टेयर में नर्सरी तैयार करने के लिए एक किलोग्राम इलायची का बीज की मात्रा पर्याप्त रहती है. बारिश के मौसम में इसके पौधों को तब लगाना चाहिए जब उनकी लंबाई जब एक फीट नहीं हो जाए. रोपाई के दो साल बाद इसमे फल लगने लगते हैं. फल लगने के बाद हर 15-25 दिनों के अंतराल पर तुड़ाई की जाती है. इस दौरान कोशिश करें उन इलायची की तुड़ाई करें जो पूरी तरह से पक चुके हो.

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हरा रंग बरकरार रखने के लिए इस प्रकिया को अपनाएं

कटाई के बाद, इलायची या तो ईंधन भट्ठे में या बिजली के ड्रायर में या धूप में सुखाया जाता है. इसका हरा रंग  बरकरार रहे इसके लिए 2 प्रतिशत वाशिंग सोडा के घोल में 10 मिनट तक भिगोने इसे सुखाने की प्रकिया की शुरुआत की जाती है. बता दें कि इसे 14-18 घंटे के लिए 45-50 डिग्री सेल्सियस पर सुखाया जाना चाहिए.

इतना है मुनाफा

जब इलायची पूरी तरह से सूख जाए तो इसे हाथों या कॉयर मैट या तार की जाली से रगड़ा जाता है. फिर उन्हें आकार और रंग के अनुसार छांट लिया जाता है. छांटने की प्रकिया के बाद किसान इसे बाजार में बेचकर बढ़िया मुनाफा कमा सकते हैं.  प्रति हैक्टेयर135 से 150 किलोग्राम तक इलायची की उपज हासिल की जा सकती है.  बाजार में इलायची के भाव 1100 से लेकर 2000 हजार रुपए प्रति किलोग्राम के बीच रहते हैं. ऐसे में किसान सालाना 3 लाख तक का मुनाफा आसानी से हासिल कर सकता है.
 

 

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