
हरियाणा में पिछले दिनों कृषि मेला लगा था. इसमें हरियाणा, राजस्थान, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश सहित विभिन्न राज्यों के करीब 83000 से अधिक किसानों ने भाग लिया. इस मेले में सबसे ज्यादा जिस चीज ने ध्यान खींचा वो बड़े-बड़े आकार की सब्जियां थीं. मेले में दस किलो का शलगम, बड़ी प्याज, दस किलो का कददू, छह से सात फीट की लौकी और गन्ने के जूस की कुल्फी प्रस्तुत की गई. इसके अलावा लहसुन, किन्नू की वैरायटी, अमरूद भी थे.
किसान मेला हरियाणा के चौधरी चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालय में आयोजित हुआ. कार्यक्रम में लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय (लुवास) के कुलपति प्रो. नरेश जिंदल मुख्य अतिथि रहे. मेले का उद्घाटन कुलपति प्रो. बीआर कंबोज ने किया गया था और 'किसानों जागरूक किसानों' को सम्मानित किया.
चमार खेड़ा के किसान बीरेंद्र आठ फीट का पालक लेकर पहुंचे थे, उन्होंने अपने खेत में देसी वैरायटी को तैयार किया था. रतिया के किसान ने प्याज की उन्नत बीज निकाली है. इस प्याज के बीज की खासियत है कि इससे प्याज का साइज बड़ा पैदा होता है. खाने में मीठा है, ये प्याज के बीज अन्य किसानों को उपलबध करा रहे है. मैनपाल ने देसी हरी लौकी व दस किलो की कददू तैयार किया है, लौकी व कद्दू का खाने का स्वाद काफी अच्छा होता है. देशी कद्दू हलवे की तरह स्वाद बनाता है.
मात्रश्याम के किसान ऋषि पाल ने बताया कि उन्होंने देसी शलगम तैयार किया है, जिसका वजन दस किलो है. किसान ने बताया कि वो बड़े शलगम से बीज तैयार करते हैं. बाद में उसे पशुओं को चारे के लिए दे देते हैं. राजस्थान गंगानगर गांव चक कृष्ण स्वामी ने बताया कि वो देशी बीज को लेकर खेती कर रहे हैं. वे अपने खेत में लौकी के देशी बीज तैयार करते हैं. उनकी लौकी की लंबाई छह से सात फीट तक चली जाती है.
कुलपति प्रो. बीआर कांबोज ने कहा कि कृषि उद्यमिता, कृषि क्षेत्र में नया व्यवसाय शुरू करने की एक प्रक्रिया है. ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में कृषि उद्यमिता कारगर सिद्ध हो सकती है. उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र में युवाओं के लिए उद्यमिता की अपार संभावनाएं हैं. किसान खेती बाड़ी के साथ-साथ कृषि उद्यमिता को अपनाकर अपनी आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ कर सकते हैं.
कृषि क्षेत्र में मशरूम उत्पादन, मधुमक्खी पालन, वर्मी कम्पोस्टिंग, सब्जी उत्पादन, बागवानी, चारा उत्पादन, साइलेज मेकिंग, नर्सरी, बीज उत्पादन, मछली पालन एवं बेकरी में हकृवि से प्रशिक्षण लेकर युवा किसान स्वरोजगार स्थापित कर रहे हैं. उन्होंने अधिक मुनाफा कमाने के लिए किसानों से उन्नत खेती के तरीके अपनाने के साथ-साथ उत्पाद का प्रसंस्करण, मूल्य संवर्धन करने के अलावा सर्विसिंग, पैकिंग व ब्रांडिंग पर भी ध्यान देने का आह्वान किया.
कुलपति ने बताया कि विश्वविद्यालय में स्थापित एग्री-बिजनेस इन्क्यूबेशन सेंटर विद्यार्थियों, उद्यमियों, किसानों तथा महिलाओं को कृषि संबंधी नए आइडिया पर स्टार्टअप के लिए 4 से 25 लाख रुपए तक की अनुदान राशि प्रदान करता है.
इस विश्वविद्यालय में अब तक 250 इंक्यूबेशन को प्रशिक्षण व सहयोग दिया जा चुका है. इसके तहत 65 बेस्ट इंक्यूबेशन को स्टार्ट करने के लिए 8 करोड़ रुपये से अधिक की ग्रांट दे चुका है. उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय के एग्री बिजनेस इंक्यूबेशन सेंटर का मकसद युवाओं को उद्यमिता की तरफ आकर्षित करना है. उन्होंने बताया कि इस सेंटर के माध्यम से प्रशिक्षण एवं अनुदान प्राप्त करके युवाओं ने ना केवल स्वयं का रोजगार स्थापित किया है बल्कि अनेक बेरोजगारों को रोजगार भी उपलब्ध करवाया है.
शिक्षा निदेशक डॉ. बलवान सिंह मंडल ने बताया कि मेले में किसानों ने करीब 43.06 लाख रुपये के खरीफ फसलों व सब्जियों की उन्नत व सिफारिश शुदा किस्मों के प्रमाणित बीज तथा करीब 3 लाख 50 हजार रुपये के फलदार पौधे व सब्जियों के बीज खरीदें. बीज के अलावा किसानों ने 12580 रुपये के जैव उर्वरक तथा 45 हज़ार रुपये का कृषि साहित्य भी खरीदा. कृषि मेले में मिट्टी व पानी जांच सेवा का लाभ उठाते हुए मिट्टी व पानी के 372 नमूनों की जांच करवाई गई.
संयुक्त निदेशक विस्तार डॉ. कृष्ण कुमार यादव ने बताया कि मेले में लगाई गई कृषि-औद्योगिक प्रदर्शनी किसानों के आकर्षण का विशेष केन्द्र रही. इस प्रदर्शनी में कुल 258 स्टॉल लगाई गईं. उन्नत किस्म के बीज, नवीनतम तकनीक, कृषि उपकरण, समेकित कृषि प्रणाली तथा कृषि क्षेत्र में उधमिता को बढ़ावा देना मेले का मुख्य आकर्षण रहा. मेले के अन्तिम दिन बीज बिक्री केन्द्रों एवं स्टालों पर किसानों की भारी गहमागहमी रही. प्रश्नोत्तरी सत्र के दौरान किसानों और वैज्ञानिकों के बीच हुए संवाद के अलावा कृषि में उद्यमिता को बढ़ावा देने पर विस्तृत चर्चा की गई.
उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले स्टॉल को किया गया सम्मानित