
बिहार के समस्तीपुर में आफत की बारिश ने किसानों की कमर तोड़ कर रख दी है. कुछ दिन पहले तेज हवाओं के साथ हुई बारिश ने लगभग आठ हजार हेक्टेयर में लगी धान के साथ अन्य फसलों को बर्बाद कर दिया है. पिछले कुछ महीनों से बाढ़ और बारिश का दंश झेलने वाले किसानों ने अपने खेतों में धान की खेती की थी. फसलें भी खेतों में लहलहाने लगी थीं लेकिन कुरदत को शायद कुछ और ही मंजूर था. 17 अक्टूबर से 20 अक्टूबर के बीच तेज हवाओं के साथ हुई बारिश ने किसानों के अरमानों को बहा कर ले गई.
पानी की वजह से गिरी फसल
खेतों में धान की लहलहाती हुई फसल बारिश के पानी मे डूब गई. बता दें कि समस्तीपुर जिले में इस बार अधिकतर जगहों पर खेती की भूमि में जलभराव की स्थिति बनी हुई है. ग्राउंड ज़ीरो पर जाकर जब खेतों का जायजा लिया तो अधिकतर जगहों पर धान की फसल खेतों में पानी की वजह से गिरी मिली. इस बार धान की फसल की पैदावार बेहतर हुई थी लेकिन तीन दिनों तक हुई बारिश की वजह से सब बर्बाद हो गई.
किसानों के लिए आफत बनी बाढ़-बारिश
किसान अपने माथे पर हाथ रख कर फसलों को देख कर सोचने पर मजबूर हो गए हैं. एक ओर आसमान की ओर टक टकी लगाए हैं तो वहीं, दूसरी ओर सरकार के मुआवजे का इंतजार है. कृषि पदाधिकारी विकास कुमार भी मानते हैं कि बाढ़ और बारिश किसानों पर आफत बन कर आई है. कुछ महीने पहले तक बाढ़ और बारिश से किसानों को हुए नुकसान का आंकलन किया गया था. जिसमें किसानों को मुआवजे के तौर पर देने के लिए सरकार के पास 125 करोड़ रुपए का प्रस्ताव भेजा गया है.
वहीं, 17 अक्टूबर से 20 अक्टूबर के बीच हुए बारिश की वजह से 7 से 8 हजार हेक्टेयर में लगे फसल को नुकसान पहुंचने का अनुमान लगाया जा रहा है. अब देखना होगा कि सरकार की ओर से किसानों मुआवजे के तौर पर दी जाने वाली राशि उनके जख्मों पर कितना मरहम लगाने में सफल हो पाती है.
जलभराव के कारण हुआ अधिक नुकसान
विकास कुमार ने बताया कि इस बार बिहार में सबसे ज्यादा क्षति समस्तीपुर में हुआ है. उन्होंने कहा, "इसका मुख्य कारण वॉटर लॉगिन है. इसके चलते 7 हजार हेक्टेयर से ज्यादा में किसान फसल भी नहीं लगा पाए थे. इससे पहले 64% क्षति हुआ था. जिसका प्रतिवेदन सरकार को दे दिया गया है. 17 से 20 तारीख तक जो भारी बारिश हुई है, उसमे किसानों की खड़ी फसल में क्षति हुई है. जिसका आंकलन कराया जा रहा है और किसान भाई को उचित मुआवजा दिया जाएगा."
विकास ने आगे कहा, "किसानों की धान गिर गई है. खेतों में पहले से पानी है उसमे धान खराब हुई है लेकिन जहां सूखे में धान गिरी होगी उसको क्षति के रूप में नहीं माना जायेगा. वहीं, जिस खेत मे 1 से डेढ़ फिट पानी है, उसमे धान गिर गया है तो उसको क्षति माना जायेगा. खेत मे पानी लगने की वजह से सरसों और आलू की खेती करने का समय किसानों का बीतता जा रहा है. 25 तारीख से हर प्रखंड में रबी फसल को लेकर कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा. चौपाल भी लगाया जाएगा. इस चौपाल में किसान भाई पानी निकासी का प्रस्ताव भी दे सकते है. या तालाब बनाना चाहते हैं, जो भी योजना उनके मन में है वो चौपाल में रख सकते हैं."
किसानों को मुआवजे की आस
समस्तीपुर के किसान जगरनाथ राय ने कहा, "चौर में जो धान रोपे वो बाढ़ से बर्बाद हो गया डूब गया. बीच मे कुछ बचा हुआ था तो ये जो बारिश आया उसमे पका हुआ धान बर्बाद हो गया. हम लोगों का गुजारा खेती से ही चलता है. आगे और पीछे की फसल की कोई आशा नहीं है. बारिश के कारण नुकसान हुआ है तो कोई उपाए नहीं सूझ रहा है. मुआवजा मिलना चाहिए उसके लिए कोई सुनवाई ही नहीं हो नहीं है.
एक अन्य किसान देवशंकर ने कहा, "बहुत आशा से धान लगाए थे, फसल भी बहुत अच्छी हुई. फसल देख कर मन भी खुश हो जाता था लेकिन आंधी- तूफान और बारिश ऐसी आई कि धान की फसल गिरकर नष्ट हो गई. अब हम लोगों ने पानी निकालने का प्रयास किया है, लेकिन पानी नहीं निकल रहा है. इसमें अब मछली पल रहा है. सरकार से आशा कर रहे हैं कि हम लोगों की स्थिति देख कर मुआवजा दे. सरकार फसल की क्षतिपूर्ति की भरपाई करे जिससे आगे फसल उगा सकें.
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