Kheti Kisani News: पुणे जिले के इंदापुर तालुका में 7500 एकड़ से ज्यादा अंगूर के बाग है. ये अंगूर निर्यात योग्य होते हैं, क्योंकि इनमें शुगर ब्रिक्स का प्रमाण 20 होता है. इसीलिए ये अंगूर विदेशों में निर्यात के लिए फिट कहे जाते है. अंगूर के उत्पादन में 4 महीने लगते है. अंगूर के बगीचों में अगस्त में फ्लोरिंग शुरू होता है और नवंबर-दिसंबर के फसल कटने के लिए तैयार होती है. इस बार अंगूर की फसल कटने के लिए तैयार हो गई थी लेकिन अचानक पिछले 2 दिन से बारामती और इंदापुर तालुका में बेमौसम बारिश होने लगी और फसल नष्ट ही गई.
किशोर ने आजतक से बात करते हुए कहा कि 30 एकड़ बाग में से 12 एकड़ अंगूर हार्वेस्टिंग के लिए तैयार थे. किशोर शिंदे के मुताबिक धूप से बचाने के लिए साड़िया कारगर साबित होती है. लेकिन बारिश और ओलो को साड़ियां रोक नहीं सकती, नतीजन किसानों की अंगूर की फसल अचानक आई बारिश से बर्बाद हो गई है. किशोर शिंदे का 12 एकड़ अंगूर का प्लॉट बेमौसम बारिश से बर्बाद हो गया है.
किसोर ने बताया कि कुछ दिनों पहले 2 एकड़ प्लॉट की कटाई करने से 2 टन अंगूर का उत्पादन हुआ, इसलिए मुंबई मार्केट में उन्हें ये अंगूर की फसल बेचनी पड़ी. मार्केट में प्रति किलो 140 रुपये का भाव तय हुआ था. यानि उन्हें तकरीबन 2 लाख रुपये उन्हें मिले. लेकिन बचे हुए 10 एकड़ प्लॉट के अंगूर बारिश के कारण बर्बाद और इससे नुकसान 1.5 करोड़ का हुआ है.
हिसाब देते हुए किशोर ने बताया के प्रति एकड़ 10 टन अंगूर का उत्पादन होता है याने 10 एकड़ में 100 टन अंगूर होते हैं. प्रति किलो 140 रुपये, यानि 140 लाख का नुकसान हुआ है. इन दो तहसील में तकरीबन 200 एकड़ अंगूर की खेती कटाई के लिए तैयार थी जो बारिश से बर्बाद हो गई है. किशोर के मुताबिक सरकार द्वारा इस नुकसान के लिए मदद का कोई आश्वासन नहीं दिया गया है.
महेश बांसोड़े नाम के एक किसान ने इंदापुर तहसील के काजड़ गांव में 14 एकड़ खेत में अंगूर की फसल उगाई है. महेश ने आजतक से बात करते हुए समझाया कि साड़ियों की मदद से अंगूर की फसल को कड़ी धूप से बचाने में सफल हो गए लेकिन बेमौसम बारिश से साड़ियां अंगूर को भीगने से नहीं बचा पाई. इस कारण उनके जैसे सैकड़ों किसानो को नुकसान झेलना पड़ा है. लेकिन उन्होंने सूझबूझ से एक एकड़ प्लॉट पर अंगूर को सरकारी कृषि अधिकारी से विचार विनिमय कर प्लास्टिक बैग से कवर कर दिया था, जिससे बारिश का अंगूर पर कोई असर नहीं हुआ. इस एक एकड़ प्लॉट अंगूर सही सलामत है और कुछ दिनों बाद कटाई कर के बाजार में बेचे जा सकते हैं.
महाराष्ट्र में करीबन 4.5 लाख एकड़ के करीब अंगूरों का क्षेत्र है. पूरे देश से जितना अंगूर एक्सपोर्ट होता है, उसमें 90 प्रतिशत एक्सपोर्ट महाराष्ट्र से होता है. ऐसे में इस बारिश से सबसे ज्यादा नुकसान यहां के किसानों को हो रहा है.
ये भी पढ़ें -