Fish rice farming techniques: देश के कई राज्यों में इन दिनों खरीफ फसलों की बुवाई चल रही है. ज्यादातर किसान इस फसल की बुवाई पारंपरिक तरीके से करते हैं. ऐसे में किसानों को उम्मीद के मुताबिक मुनाफा नहीं मिल पाता है. हम आपको धान की बुवाई की एक ऐसी तकनीक के बारे में बताएंगे जिसे अपनाकर किसान बंपर मुनाफा कमा पाएंगे.
धान बुवाई में इस बार देरी
इस बार मॉनसून ने थोड़ी देरी से दस्तक दी है. उत्तर भारत के कई राज्यों में धान की बुवाई में देरी हो गई है. बता दें कि धान के फसल को सिंचाई की ज्यादा आवश्यकता होती है. हालांकि, कभी-कभी फसल खराब होने के डर से खेतों में लगे पानी को निकालना पड़ता है. लेकिन अगर आप एक ही खेत में धान की बुवाई के साथ-साथ मछली पालन करेंगे तो आपको ऐसा नहीं करना होगा. इस तरह की तकनीक से खेती करने पर किसानों का मुनाफा भी डबल हो जाएगा.
क्या है फिश राइस फार्मिंग
इस खास तकनीक को फिश-राइस फार्मिंग कहते हैं. यह इंटीग्रेटेड फार्मिंग का ही एक हिस्सा है. कृषि विशेषज्ञ दयाशंकर श्रीवास्तव कहते हैं कि फिश-राइस फार्मिंग तकनीक के तहत धान के खेतों में पानी भरकर मछली पालने का काम किया जाता है. खेत में मौजूद खरपतवारों कीड़े मछलियों का चारा बन जाते हैं.
किसानों को दी जाती है ये सलाह
इस तरह की खेती के लिए किसानों को निचली ज़मीन वाले खेतों का चुनाव करने की सलाह दी जाती है. ऐसे खेतों में आसानी से पानी इकट्ठा हो जाता है है. इससे धान की उत्पादन पर भी कोई असर नहीं पड़ता है. एक ही खेत मे धान उगाने और मछली पालने से धान के पौधों में लगने वाली कई बीमारियों से भी मुक्ति मिल जाती है. इससे एक फायदा होता है कि धान की फसल को जल्द कीड़े वाले रोग भी नहीं लगते हैं.