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पशुपालन से जुड़े किसानों के लिए खुशखबरी, 5 साल में सरकार खर्च करेगी 9800 करोड़, जानें क्या है प्लान

Animal Husbandary: राष्ट्रीय पशुधन मिशन ग्रामीण इलाकों में मुर्गी पालन से जुड़ी उद्यमिता से 1.5 लाख किसानों को डायरेक्ट रोजगार मिलेगा. साथ ही भेड़, बकरियों एवं मुर्गी पालन के विकास से 2 लाख किसान सीधे लाभान्वित होंगे.

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सांकेतिक तस्वीर
सांकेतिक तस्वीर

राष्ट्रीय पशुधन मिशन (एनएलएम) के तहत भोजन और चारे के विकास सहित ग्रामीण इलाकों में मुर्गी, भेड़, बकरी और सुअर पालन के क्षेत्र में उद्यमिता विकास एवं नस्ल सुधार पर ध्यान दिया जाएगा. ग्रामीण इलाकों में मुर्गी पालन से जुड़ी उद्यमिता (entrepreneurship) से 1.5 लाख किसानों को डायरेक्ट रोजगार मिलेगा. साथ ही भेड़, बकरियों एवं मुर्गी पालन के विकास से 2 लाख किसान सीधे लाभान्वित होंगे.  साथ ही इसमें अधिक उत्पादन देने वाले लगभग 7.25 लाख पशुओं को जोखिम प्रबंधन के तहत कवर किया जाएगा. जिससे 3.5 लाख किसान लाभान्वित होंगे. चारे से जुड़े उद्यमियों को तैयार कर उन्हें बढ़ावा दिए जाने से देश में चारे और चारे के बीज की उपलब्धता कई गुना बढ़ जाएगी.

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इस मिशन से पशुधन की गणना करने और दूध, मांस, अंडे और ऊन के उत्पादन से बारे में अनुमान लगाने में राज्यों को मदद मिलेगी, जोकि पशुधन के क्षेत्र के विकास के लिए उपयुक्त रणनीति तैयार करने के के लिए बेहद महत्वपूर्ण है. पशुधन और मुर्गियों में होने वाले रोगों के खिलाफ रोगनिरोधी टीकाकरण के जरिए पशुओं के स्वास्थ्य संबंधी जोखिम को कम करने, पशु चिकित्सा सेवाओं की क्षमता को बेहतर बनाने, रोगों की निगरानी और पशु चिकित्सा से संबंधित बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के उद्देश्य से पशुधन स्वास्थ्य एवं रोग नियंत्रण योजना को लागू किया जाएगा.

घर-घर पहुचेंगी पशु स्वास्थ्य सेवाएं
इस योजना के तहत अगले पांच वर्षों में पशुपालन में जुटे 10 करोड़ किसानों के घर-घर जाकर पशु स्वास्थ्य सेवाएं देने के लिए देश में चलंत पशु चिकित्सालय स्थापित किए जाएंगे. इस योजना से भेड़ और बकरियों में पीपीआर के कारण किसानों को होने वाले 8900 करोड़ रुपये और सूअरों में स्वाइन बुखार की वजह से 200 करोड़ रुपये के सालाना नुकसान को रोका जा सकेगा.

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2 करोड़ किसानों को हुआ लाभ
डेयरी गतिविधियों से जुड़े डेयरी सहकारी समितियों और किसान उत्पादक संगठनों को उनकी कार्यशील पूंजी संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए 4 प्रतिशत का ब्याज  दिया जाएगा. कोरोना काल के दौरान, इस योजना की मदद से सहकारी क्षेत्र में दूध की खरीद बहुत कम उतार-चढ़ाव के साथ जारी रही. इससे डेयरी सहकारी समितियों से जुड़े 2 करोड़ किसानों को लाभ हुआ.

इन सभी योजनाओं के कार्यान्वयन से पशुधन और डेयरी से जुड़े किसानों को ब्याज अनुदान और पूंजीगत सब्सिडी के माध्यम से आसान ऋण प्रवाह सुनिश्चित होगा. पशुधन के क्षेत्र में उद्यमिता से जुड़ी गतिविधियों के माध्यम से रोजगार एवं आजीविका के बड़े अवसर पैदा होंगे. इसके अलावा मांस, मुर्गीपालन एवं डेयरी से जुड़े उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा मिलेगा. भाग को इस बात की उम्मीद है कि इन संशोधित योजनाओं की वजह से देशी नस्लों के उत्तम कोटि के जानवरों की संख्या में वृद्धि होगी और स्वदेशी स्टॉक की उपलब्धता बढ़ेगी, कृत्रिम गर्भाधान का कवरेज 30 प्रतिशत से बढ़कर 70 प्रतिशत होगा. विशिष्ट पहचान संख्या (यूआईडी) की सहायता से 30.2 करोड़ जानवरों की पहचान संभव होगी. 

जानवरों के रोगों को खत्म करने में मिलेगी मदद
पीपीआर और सीएसएफ नियंत्रण कार्यक्रम से देश में भेड़, बकरी और सुअर के रोगों को खत्म करने में मदद मिलेगी, जिससे भेड़ और बकरी में होने वाले पीपीआर के कारण 8900 करोड़ रुपये और सूअरों में स्वाइन बुखार की वजह से 200 करोड़ के सालाना नुकसान को रोका जा सकेगा. इन योजनाओं के जरिए देश के 47000 गांवों को कवर करते हुए प्रतिदिन 34 लाख लीटर अतिरिक्त दूध खरीद की क्षमता हो सकेगी.

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राज्य सरकारों, राज्य सहकारी समितियों, वित्तीय संस्थानों, बाहरी वित्त पोषण एजेंसियों और अन्य हितधारकों द्वारा निवेश में की गई हिस्सेदारी सहित भारत सरकार द्वारा इन योजनाओं के लिए 2021-22 से शुरू होकर अगले 5 वर्षों के लिए दी जाने वाली 9800 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता से पशुधन के क्षेत्र में कुल 54,618 करोड़ रुपये के निवेश जुटाया जाएगा

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