Grapes Garden Damage: पुणे जिले के इंदापुर तालुका में 7500 एकड़ से ज्यादा अंगूर के बाग है. इंदापुर में खासकर निर्यात योग्य अंगूर का उत्पादन लिया जाता है, और विदेशों में निर्यात किए जाते हैं. हालांकि पिछले साल कोरोना संक्रमण की वजह से मुश्किल में फंसे किसानों के सामने एक बार फिर संकट खड़ा हैं. पिछले कई दिनों से बारामती और इंदापुर तालुका में बेमौसम बारिश हो रही है. इसका झटका बारामती तालुका के मालेगाव, झारगडवाड़ी और इंदापुर तालुका के बोरी, तरंगवाड़ी और गोखली क्षेत्र के किसानों को लगा है. बोरी गांव के किसान किशोर शिंदे की 30 एकड़ अंगूर की बाग है.
किशोर ने आजतक से बात करते हुए कहा कि 30 एकड़ बाग में से 12 एकड़ अंगूर हार्वेस्टिंग के लिए तैयार थे. 2 दिन पहले ही पुणे के एक व्यापारी ने 140 रुपए प्रति किलो के भाव अंगूर का सौदा भी तय किया था. लेकिन बीते 2 दिन से हुई बेमौसम बारिश के चलते अंगूर में क्रैकिंग की समस्या आयी. बारिश की वजह से अंगूर के गढ़ों में क्रैकिंग हो गया और व्यापारी उन्हें खरीदने नहीं आया.
किशोर ने बताया कि अब इन अंगूरों को लोकल मार्केट में बेचना पड़ेगा. जिससे प्रति एकड़ 9 से 10 लाख रुपए तक नुकसान हुआ है. महाराष्ट्र में करीबन 4.5 लाख एकड़ के करीब अंगूरों का क्षेत्र है. पूरे देश से जितना अंगूर एक्सपोर्ट होता है, उसमें 90 प्रतिशत एक्सपोर्ट महाराष्ट्र से होता है. ऐसे में इस बारिश से सबसे ज्यादा नुकसान यहां के किसानों को हो रहा है.
पुणे जिले के किसान पहले ही महावितरण कंपनी कार्रवाई से परेशान है. आपको बता दें कि बारामती विभाग के बिजली बिल का लगभग 450 करोड़ से ज्यादा बकाया है जिसे वसूलने के लिए पिछले महिने से पुणे जिले में बकाया बिजली बिल के भुगतान के लिए कृषि पंपों की बिजली कट करने की मुहिम जारी है. ऐसे संकट मे मौसम की वजह से किसान दोहरे संकट की चपेट में आ गया है.
अंगूर उत्पादक किसान संघ के पदाधिकारी सुनील पवार ने बताया कि बेमौसम बारिश और घने कोहरे की वजह से ज्यादातर अंगूर के गढों को नुकसान हो रहा है. इसमें जो फ्लोरिंग स्टेज के बाग है. उसमें पूरी अंगूर की फ्लोरिंग नष्ट हो गई है. नुकसान से बचने के लिए महाराष्ट्र को एक नई दिशा में जाने के लिए कुछ कदम उठाना जरूरी है. दुनिया के इन देशों में इस तरीके की परिस्थिति से निपटने के लिए प्रोटेक्टिव हॉर्टिकल्चर का एक नया कॉन्सेप्ट आया है. जिसमें फसल को प्लास्टिक से कवर किया जाता है. इससे नुकसान बहुत कम हो जाता है. यह नुकसान टालने के लिए करीबन 3 लाख रुपये की इन्वेस्टमेंट करनी पड़ती है.