
Crops Damage Due to Heavy Rains : देशभर के कई राज्यों में बारिश-बाढ़ के कहर से आम जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. बारिश और बाढ़ ने फसलों को पूरी तरह बर्बाद कर दिया है. उत्तर भारत के कई राज्य मौसम की इस मार से बेहाल हैं. उत्तर प्रदेश सरकार ने भारी बारिश से फसलों को होते नुकसान को देखते हुए किसानों के लिए अलर्ट जारी कर दिया है.
यूपी में भारी बारिश से किसानों की चिंताएं बढ़ गई हैं. खेतों में खड़ी फसल बर्बाद हो रही है. इसे देखते हुए कृषि विभाग ने नई गाइडलाइंस जारी की हैं. विभाग ने कहा है कि मक्का, बाजरा, ज्वार, मूंग उड़द और सब्जियों के खेतों के मेड़ों को बीच से काट दें, जिससे फसलों के बीच से होते हुए पानी खेतों से बाहर आ जाएगा और भारी नुकसान से बचा जा सकता है.
केले और पपीते के फसलों को काफी नुकसान
उत्तर प्रदेश के सीतापुर के बेलहारी गांव के रहने वाले सुधीर गांधी दो एकड़ में केले और दो एकड़ में ही पपीते की खेती करते हैं. वे बताते हैं इस बार के बारिश और आंधी से उनकी केले की फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गई है. हर साल वे 10 से 12 लाख तक का मुनाफा कमा लेते थे, इस बार उनके हाथ कुछ नहीं आएगा. वे कहते हैं कि इस बार केले की पैदावार अच्छी हुई थी, उम्मीद लगा रखी थी कि बेहतर मुनाफा कमा लेंगे, लेकिन प्रकृति ने इसपर भी पानी फेर दिया.
सुधीर गांधी आगे बताते हैं कि उनकी फसल का बीमा भी नहीं हुआ है. कंपनियां केले और पपीते जैसी फसलों का बीमा करने में हीलाहवाली करती हैं. अधिकारियों तक हमने अपने नुकसान की बात पहुंचाई है, लेकिन वहां से यही आश्वासन मिला है कि फसल पर मुआवजा तभी मिल पाएगा, जब शासन की तरफ से बारिश से होने वाले फसलों के नुकसान को लेकर कोई आदेश आएगा.
सीतापुर के ही इमलिया गांव के रोहित सिंह उर्फ राहुल बताते हैं कि इस बार बारिश ने उनके पपीते और गन्ने की फसल को लगभग तहस नहस कर दिया है. लगभग 50 प्रतिशत फसल तो अब उपयोग लायक ही नहीं है, जो बच गया है वह भी बाजार में कौड़ियों के दाम बिकेगा. राहुल आगे बताते हैं कि उनके क्षेत्र में धनिया की फसल को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है. बरसात के मौसम में उगने वाली धनिया बाजार में तीन सौ रूपये किलो तक बिकती थी. लेकिन अब यहां के किसानों को ये धनिया मुफ्त में ही बाजार में बांटनी पड़ रही है.
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गन्ने की फसलों को नुकसान
वहीं, पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भी बारिश से किसानों को भारी नुकसान हुआ है. ये बेल्ट ज्यादातर गन्ने की खेती के लिए जानी जाती है. मुजफ्फरनगर के बोखरहेड़ी गांव अनुभव चौधरी बताते हैं कि वे तकरीबन 100 बीघे में गन्ने की खेती करते हैं. बारिश ने उनकी 30 से 40 प्रतिशत फसल बर्बाद कर दी है. झुके हुए गन्ने को फिर से खड़ा करने में उन्हें अलग से लेबर चार्ज भी देना पड़ रहा है. वे आगे कहते हैं बारिश से मिट्टी गीली हो गई है, अगर एक और बारिश हुई तो फसल को बचाना मुश्किल है.
पूर्वांचल में बाढ़ ने मचा रखी है तबाही
उत्तर प्रदेश का पूर्वांचल क्षेत्र इस समय बाढ़ से जूझ रहा है. गोरखपुर, महाराजगंज, संतकबीरनगर जिले में बाढ़ से भीषण तबाही मची है. खेती पर निर्भर रहने वाले ग्रामीणों की रोजी रोटी पूरी तरह से खत्म हो गई. गोरखपुर के रक्षवापार के रहने वाले चंद्रकांत मिश्रा डेढ़ एकड़ में खेती करते है. इस बार उन्होंने धान की फसल लगा रखी है. वे बताते हैं कि खेतों में पानी लग गया है. ऐसे में अगर दोबारा बारिश हो जाती है तो जलभराव की वजह से पत्तियों को नुकसान पहुंचना शुरू हो जाएगा. जिससे फिर बचे हुए फसलों को भी बचाना मुश्किल हो जाएगा. वहीं दूसरी तरफ बारांबकी में मेंथा की फसलों को भारी नुकसान की खबर है.
उधर, मौसम विभाग ने आने वाले कुछ दिनों तक उत्तर भारत में और बारिश की संभावना जताई है. ऐसे में किसानों के लिए खतरा टला नहीं है. उत्तर प्रदेश के अलावा मध्य प्रदेश, ओडिशा और झारखंड में बारिश ने ठीक-ठाक नुकसान किया है. मध्य प्रदेश के उज्जैन के वीरेंद्र गुर्जर के मुताबिक वे पहले ही सोयाबीन में नुकसान झेल रहे थे, बारिश ने हमारी स्थिति और भी बदतर कर दी.