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बड़ी कंपनी का बड़ा पैकेज छोड़, किसानों के विकास में जुटा IIM पास आउट, शुरू की ये पहल

IIM से 2008 में पास आउट सिद्धार्थ जायसवाल ने किसानों को खेती के लिए बेहतर शिक्षित करने की ठानी. वह बड़ी कंपनी के पैकेज छोड़कर गांव देहात में लोगों को ऑर्गेनिक फार्मिंग की तकनीकें सिखा रहे हैं. उनका साफ मानना है कि जब तक देश का किसान विकसित नहीं होगा देश के विकास की परिकल्पना बेमानी है.

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Siddharth Jaiswal
Siddharth Jaiswal
स्टोरी हाइलाइट्स
  • किसानों को मल्टी लेयर फार्मिंग समेत नई तकनीकों की शिक्षा दे रहे सिद्धार्थ
  • BAU में बिज़नेस प्लानिंग एंड डेवलपमेंट की जिम्मा संभाल रहे सिद्धार्थ

देश और दुनिया के बड़े- बड़े कॉलेजों में पढ़कर गांव- हात के लोगों के विकास की चाहत के साथ काम करने की इच्छा रखने वाले लोग कम ही मिलते हैं. लेकिन झारखंड के रांची के सिद्धार्थ जायसवाल ऐसा ही जज्बा रखते हैं. IIM से 2008 में पास आउट होने के बावूजद सिदार्थ ने बड़े पैकेज के ऑफर छोड़कर किसानों से कदम मिलाकर चलने का फैसला किया और अपनी ज़िंदगी किसानों को शिक्षित करने और उनके बेहतरी में लगा दी. उनका साफ मानना है कि जब तक देश का किसान विकसित नहीं होगा देश के विकास की परिकल्पना बेमानी है.

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BAU में बिज़नेस प्लानिंग एंड डेवलपमेंट की जिम्मा संभाल रहे सिद्धार्थ, किसानों के ज़िंदगी मे खुशहाली और मुस्कान लाने के लिए कृषि के क्षेत्र में कुछ करने के इच्छुक युवाओं को स्टार्ट अप के लिए मदद तो करते ही हैं, साथ ही उन्हें प्रेरित भी करते हैं. इसके अलावा वे स्थानीय किसानों को भी नेचुरल और मल्टी लेयर फार्मिंग समेत नई तकनीकों की शिक्षा दे रहे हैं.

सिद्धार्थ जायसवाल BAU में BPD यानी बिज़नेस प्लंनिंग एंड डेवेलपमेंट यूनिट का नेतृत्व करते हैं. इन्होंने IIM अहमदाबाद से 2008 में मैनेजमेंट किया था लेकिन जब इन्होंने किसी बड़े पैकेज वाली नौकरी को ठुकरा के किसानों के साथ कदम मिलाकर चलने की ठानी तो घर वाले परेशान हो गए. उन्होंने सिद्धार्थ जायसवाल से पूछा कि- इस सब से परिवार चलने लायक कमाई होगी? साथ ही पढ़ाई के लिए लोन जो लोग लिया गया था उसे कैसे चुकाया जाएगा? बहरहाल सिद्धार्थ की सोच अलग थी ,वे परिवार की चिंता नही बल्कि इस चिंता से परेशान थे कि किसानों का विकास कैसे हो. 

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काम शुरू करने के बाद सिद्धार्थ ने कभी पीछे मुड़कर नही देखा और किसानों के लिए ही अपनी जीवन समर्पित कर दिया. उन्होंने साबरमती जेल गुजरात मे पहली बार नेचुरल फार्मिंग की टिप्स बांटे. कई बार जेल में बुलाकर इनसे खेती के गुर की ट्रेनिंग दिलवाई गई . अब सिद्धार्थ परती और बंजर खेतों को मल्टी लेयर फार्मिंग के ज़रिए  हरा भरा बनाने में लगे हैं. जिस जमीन पर जंगल उग आए थे वहां अब हर बेड में 6 फसल एक साथ उगाई जा रही हैं.

सिद्दार्थ BAU में कृषि के क्षेत्र में कुछ करने की तमन्ना रखने वाले युवाओं को स्टार्ट अप के आइडियाज तो देते ही हैं. साथ उन्हें प्रेरित कर मदद भी करते हैं. इसी मदद से आकांक्षा और रोहन नाम के युवाओं ने माइक्रो ग्रीन प्रोजेक्ट या वेंचर शुरू किया है. इसमें वीड ग्रास , लेमन ग्रास और दूसरे प्लांट की पैकेजिंग करके बाहर भेज दिया जाता है.

सिद्दार्थ आस पास के किसानों को भी जोड़ रहे हैं और उनको आईडिया देते हैं जो काफी आसान है. एक किसान को गौमूत्र को मिश्री या गुड़ के साथ मिलाकर घोल तैयार करने के लिए प्रेरित किया है. ये घोल किसी भी ज़मीन के फर्टिलिटी को कई गुना बढ़ा देता है और फिर धरती सोना उगलती है. किसान ने बताया कि फिलहाल तो हम इससे अपने लोगों को सिर्फ मदद कर रहे हैं लेकिन बाद में इस बिज़नेस को कमर्शियल भी करेंगे.

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सिद्धार्थ ने बताया कि किसान ऐसे सिस्टम में फंसे हैं कि उनको समझ में नहीं आता है कि क्या करना है. जब तक किसानों को ये नहीं समझाया जाएगा की ऑर्गेनिक फार्मिंग करनी है, नेचुरल फार्मिंग नहीं करनी है तब तक हमकों जहर ही खाना पड़ेगा.

 

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