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एमपी और राजस्थान में बारिश बनी विलेन, ओलावृष्टि से फसलें बर्बाद

मध्य प्रदेश और राजस्थान में अचानक आई बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि के चलते ईसबगोल, जीरा, रायडा, तारामीरा जैसी फसलें बर्बाद हो गई हैं. होली पर्व के ठीक बाद फसलों की कटाई होनी थी. इस बार किसान अच्छी आमदनी की आस लगाए बैठे थे, लेकिन बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि ने किसानों के अरमानों पर पानी फेर दिया.

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Farming news
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बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से राजस्थान के किसानों को भारी नुकसान हुआ है. जालौर और बाड़मेर जिले में काफी बड़े पैमाने पर फसलों पर इसका असर पड़ा है. अचानक आई इस विपदा से परेशान किसानों ने केंद्र सरकार से उचित मुआवजा देकर नुकसान की भरपाई करने की मांग की है.

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2.13 अरब रुपये की फसल की फसल बर्बाद
जालौर कृषि विभाग के उपनिदेशक आरबी सिंह ने बताया कि यहां सबसे ज्यादा इसबगोल की फसल को नुकसान हुआ है.  रिपोर्ट के मुताबिक, इसबगोल की 80 प्रतिशत तक की फसल बर्बाद हो गई है. इसी के साथ, जीरा,सरसों,अरण्डी, तारामीरा, गेंहू की 30 प्रतिशत फसल बर्बाद हो गई है. दावे के मुताबिक, जिले में 35600 हेक्टेयर में खड़ी 2.13 अरब रुपये की फसल नष्ट हो गई है. किसानों के सामने आजीविका का संकट खड़ा हो गया है. ऐसे में जालोर के सरपंच संघ के जिलाध्यक्ष सुनील साहू ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखकर उचित मुआवजे की मांग की है.

बाड़मेर में भी किसानों के अरमानों पर फिरा पानी

वहीं, बाड़मेर जिला मुख्यालय के आसपास के गांवों समेत चौहटन, बायतु, गुड़ामालानी, सेड़वा, धोरीमन्ना में बारिश और ओलावृष्टि से दर्जनों गांवों में किसानों की फसलें चौपट हो गईं. होली पर्व के ठीक बाद फसलों की कटाई होनी थी. किसान अच्छी आमदनी की आस लगाए बैठे थे, लेकिन बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि ने किसानों के अरमानों पर पानी फेर दिया.

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मध्य प्रदेश में बारिश से भारी नुकसान

बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि के चलते मध्य प्रदेश के किसानों के सामने भी संकट खड़ा हो गया है.  खेतों में खड़ी लहलहाती फसल ओलावृष्टि से मुरझा गई है. कई जगह पर फसल 80 फीसदी तक खराब हो गई है.भोपाल से सटे खजूरी कलां गांव में बेमौसम बारिश के चलते किसानों की गेहूं की फसल तकरीबन खराब हो चुकी है. किसान अब फसल मुआवजा और फसल बीमा के भरोसे हैं. सरकार से यही मांग कर रहे हैं कि जल्द ही उन्हें, कम से कम, लागत का पैसा मिल जाए. किसानों का ये दर्द एमपी के अलग-अलग जिलों से भी सामने आ रहा है. आगर मालवा और विदिशा का भी यही हाल है.

(राम मेहता और रविश पाल सिंह का इनपुट)

 

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