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Kinnow Farming: हड्डियों को मजबूत बनाता है किन्नू, इस तरह खेती कर मालामाल बन सकते हैं किसान!

Kinnow Kheti: पहले जहां पंजाब, हिमाचल प्रदेश आदि जैसे राज्यों में किन्नू की खेती की जाती थी, तो अब अन्य राज्यों जैसे यूपी में जमकर खेती हो रही है.

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Kinnow Farming
Kinnow Farming
स्टोरी हाइलाइट्स
  • जनवरी में करें किन्नू की खेत से तुड़ाई
  • अब उत्तर भारत में भी हो रही किन्नू की खेती

Kinnow Farming: किन्नू एक ऐसी फल फसल है जिसकी खेती हर क्षेत्र में आसानी से की जा सकती है. किन्नू में विटामिन सी की मात्रा ज्यादा पाई जाती है जोकि लोगों को काफी फायदा पहुंचाता है. इसका सेवन करने से आपके शरीर में खून बढ़ता है और हड्डियां मजबूत होती हैं. पहले जहां पंजाब, हिमाचल प्रदेश आदि जैसे राज्यों में किन्नू की खेती की जाती थी, तो अब अन्य राज्यों जैसे यूपी में जमकर खेती हो रही है. साइट्रस की उत्पत्ति दक्षिण पूर्व एशिया में हुई है. इसमें किन्नू, संतरा और नींबू शामिल हैं. 

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किन्नू पंजाब की प्रमुख फल फसल है. किन्नू की खेती पूरे उत्तर भारत में की जाती है. भारत में केले और आम के बाद साइट्रस तीसरी सबसे बड़ी फल फसल है. किन्नू की खेती करने के लिए 13 डिग्री से 37 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान की जरूरत होती है. वहीं, बारिश की बात करें तो 300-400 मिलिमीटर तक की बारिश बेहतर खेती के लिए पर्याप्त है. वहीं, फसल के लिए हार्वेस्टिंग टेम्प्रेचर 20-32 डिग्री सेल्सियस के बीच होना चाहिए. 

एक एकड़ में कितने पौधे?
अगर आप अपने खेत में किन्नू की खेती करना चाहते हैं तो फिर एक एकड़ में कम से कम 111 पेड़ लगा सकते हैं. सभी के बीच में दूरी रहना अनिवार्य है. दो पौधों के बीच 6*6 मीटर की दूरी होनी चाहिए. किन्नू की फसल को शुरुआती विकास के लिए इसे लगातार पानी की जरूरत होती है. 3-4 साल पुरानी फसल में साप्ताहिक अंतराल पर सिंचाई करें. पुराने पेड़ के लिए मिट्टी के प्रकार, मौसम की स्थिति और वर्षा के आधार पर 2-3 सप्ताह के अंतराल पर सिंचाई करें. बहुत ज्यादा सिंचाई से बचें क्योंकि इससे जड़ सड़न, कॉलर रोट आदि रोग होते हैं. 

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जनवरी महीने में किन्नू को खेत से तोड़ें
किन्नू की फसल को तोड़ने के लिए जनवरी के पहले हफ्ते से लेकर फरवरी के मध्य तक के दिन सबसे बेहतर होते हैं. खेत से इन फलों को तोड़ने के लिए आपको डंडी की जरूरत पड़ेगी, इसके अलावा कैंची की मदद से भी फल की तुड़ाई कर सकते हैं. बस ध्यान रखना चाहिए कि फलों की तुड़ाई के दौरान किन्नू को नुकसान नहीं पहुंचे. यूं तो अब किन्नू की फसल को किसान कहीं भी बेच सकते हैं, लेकिन बेंगलुरु, चेन्नई, हैदराबाद, कोलकाता, दिल्ली, पंजाब आदि में काफी ज्यादा बिक्री होती है. वहीं, कई देशों जैसे- श्रीलंका, सऊदी अरब आदि में किन्नू बड़ी मात्रा में बेचा जाता है. 

 

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