राजस्थान, उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में लंपी वायरस बीमारी ने कहर बरपा रखा है. अब तक हजारों गायों की मौत लंपी वायरस के चलते हो चुकी है, जिससे दुग्ध उत्पादन पर भी असर पड़ा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को एक कार्यक्रम में बताया कि केंद्र सरकार राज्यों के साथ मिलकर लंपी वायरस को कंट्रोल करने के लिए प्रयास कर रही है. साथ ही, उन्होंने यह भी जानकारी दी है कि वैज्ञानिकों ने लंपी वायरस बीमारी के लिए देसी टीका भी बना लिया है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, ''कई राज्य मवेशियों में लंपी वायरस स्किन बीमारी से जूझ रहे हैं और यह बीमारी डेयरी क्षेत्र के लिए चिंता का विषय बनकर उभरी है.'' इंडिया एक्सपो सेंटर एंड मार्ट में आयोजित इंटरनेशनल डेयरी फेडरेशन वर्ल्ड डेयरी समिट (IDF WDS) 2022 को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा, "हमारे वैज्ञानिकों ने लंपी स्किन डिजीज के लिए स्वदेशी वैक्सीन भी तैयार की है." उन्होंने कहा कि हाल के दिनों में भारत के कई राज्यों में इस बीमारी के कारण पशुओं का नुकसान हुआ है.
लंपी वायरस एक संक्रामक वायरल बीमारी है जो मवेशियों के लिए खतरनाक साबित हो रही है. इससे कई राज्यों में गायों की मौत हो रही है. यह रोग मच्छरों, मक्खियों, ततैयों आदि द्वारा मवेशियों के सीधे संपर्क में आने और दूषित भोजन और पानी के जरिए से फैलता है. उद्घाटन समारोह में मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मौजूद थे. मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी राज्य मंत्री संजीव बाल्यान भी उपस्थित थे.
लंपी के चलते राजस्थान में दूध उत्पादन में भारी कमी
वहीं, एक अधिकारी ने बताया कि मवेशियों में लंपी वारयस बीमारी की शुरुआत के बाद पूरे राजस्थान में दूध संग्रह में प्रति दिन 3 से 4 लाख लीटर की कमी होने का अनुमान है. हालांकि, कम संग्रह ने खुदरा दुकानों पर दूध की मांग-आपूर्ति अनुपात को प्रभावित नहीं किया है क्योंकि विभाग ने पिछले पांच महीनों में दूध संग्रह बढ़ाने के लिए आक्रामक प्रयास किए थे.
राजस्थान सहकारी डेयरी महासंघ (आरसीडीएफ) के अनुसार, जून माह में संग्रहण केन्द्रों पर प्रतिदिन लगभग 20 लाख लीटर दूध एकत्र किया जा रहा था. संग्रह में प्रति दिन 3 से 4 लाख लीटर की कमी होने का अनुमान है और वर्तमान में यह प्रति दिन 29 लाख लीटर है. प्रदेश में बीमारी शुरू होने के बाद दूध संग्रह में 3 से 4 लाख लीटर प्रतिदिन की कमी आई है. यह 32 से 33 लाख लीटर प्रतिदिन होता लेकिन वर्तमान में 29 लाख लीटर प्रतिदिन है.