खरीफ फसलों की बुवाई की शुरुआत होने वाली है. महाराष्ट्र के अकोला के रहने वाले किसान खेती के लिए जिला बैंक से कर्जे की मांग कर रहे हैं. हालांकि, सहकारी सोसायटी की गलती से किसानों को फसल की बुवाई के लिए कर्ज मिलने की आस धूमिल नजर आ रही है.
350 किसानों के साथ हुआ फर्जीवाड़ा
अकोला जिले के बालापुर तहसील के 6 गांव के लगभग 350 किसानों ने बकाया कर्ज की रकम सहकारी सोसायटी के गट सचिव को अदा की थी. हालांकि, सचिव ने यह रकम बैंक में नहीं जमा कराई. ये रकम 2 करोड़ रुपये के आसपास का बताई जा रही है. अब किसानों की शिकायत के बाद बैंक और प्रशासन ने जांच के लिए समिति गठित कर जांच शुरू कर दी है.
ऐसे हुआ खुलासा
2017 में अकोला की सांगवी बाजार गांव के विवेक गावंडे का कर्ज माफ हुआ था. कर्जमाफी की कुल रकम थी डेढ़ लाख रुपये. कर्ज माफ होने के बाद 103000 रुपये बकाया बचा, ये उन्होंने सहकारी सोसायटी में जमा कर दिया. अब 5 साल बाद बैंक ने उनके नाम पर नोटिस भेजा तो विवेक के पैरों तले जमीन खिसक गई. ऐसा सिर्फ विवेक के साथ नहीं हुआ है. आसपास के 6 गांवों के 350 किसानों के साथ ये मामला सामने आया.
बैंक ने जांच के लिए दो सदस्यीय टीम की गठित
किसानों का आरोप है कि हमने हमारी बकाया रकम सोसायटी के गट सचिव विशाल कोर्डे को दी थी. हालांकि गट सचिव ने हमे कर्ज अदायगी को लेकर कोई पर्ची नहीं दी.सोसायटी खुद की चूक को मानने से इनकार कर रहा है. वहीं, बैंक ने भी इस मामले पर हाथ खड़ा कर दिया है. इस माध्यम से किसानों की शिकायत पर बैंक और प्रशासन ने 2 सदस्य की समिति गठित कर दी है. किसान चिंतित हैं कि कर्ज नहीं मिलने पर वह खेती नहीं कर पाएंगे. ऐसे में उनके सामने इस बार जीवनयापन का संकट खड़ा हो जाएगा.