अदरक की खेती ने महाराष्ट्र के एक किसान को मालामाल कर दिया है. बारामती के निंबूत गांव के रहने वाले संभाजीराव काकड़े अदरक की खेती से लखपति बन चुके हैं. उन्होंने डेढ़ एकड़ में अदरक की फसल लगाई थी. पहले साल उन्हें इसी खेती पर काफी नुकसान हुआ था. हालांकि, इस साल वह इससे 15 लाख रुपये से ज्यादा का मुनाफा कमा चुके हैं.
रिटायरमेंट के बाद शुरू की अदरक की खेती
किसान संभाजीराव काकड़े सोमेश्वर विद्यालय में ऑफिस सुप्रिडेंट की तौर पर कार्यरत थे. साल 2021 में वह रिटायर हो गए. रिटायरमेंट के बाद उन्होंने खेती पर ध्यान देने का फैसला किया. अपने खेत में अदरक की फसल लगाई. पहले साल भारी नुकसान सहा, उन्हें प्रति टन अदरक पर सिर्फ 10 हजार रुपये मिले. संभाजीराव ने नुकसान होने के बाद भी हार नहीं मानी. दूसरे साल उन्होंने फिर से अदरक की बुवाई की. इस साल उन्हें तकरीबन 66 हजार रुपए प्रति टन दाम ऑन स्पॉट मिला है.
15 लाख से ज्यादा का हुआ मुनाफा
संभाजीराव बताते हैं कि इस बेल्ट में गन्ने की खेती बड़े पैमाने पर होती है. पहले साल प्रति एकड़ तीन लाख रुपये का नुकसान हुआ. इसके बाद भी उन्होंने अगले साल 6 लाख रुपये लगाकर अदरक की बुवाई की. कठिन मेहनत और जैविक खाद के कारण उन्हें इस साल अदरक की अच्छी पैदावार हुई है. डेढ़ एकड़ में उन्हें 30 टन उपज मिली. प्रति टन 66 हजार रुपये की कीमत मिली. उन्हें कुल 19 लाख 82 हजार का उत्पादन मिला. बुवाई और फसल देखभाल का खर्चा निकाल भी दिया जाए तो उन्हें कुल 15 लाख रुपये से ज्यादा मुनाफा मिलाया.
अदरक की खेती में जैविक खाद का किया इस्तेमाल
काकड़े परिवार ने इस बार अदरक की खेती में रासायनिक उर्वरकों का केवल दस प्रतिशत ही उपयोग किया. पिछले साल उन्होंने कुल 30 फीसदी रासायनिक खाद का इस्तेमाल किया था. जैविक खाद तैयार करने के लिए उन्होंने 40 ट्रॉली गोबर के साथ 8 ट्रॉली राख, 300 बैग कोंबड खाद, 8 ट्रॉली प्रेसमड इकट्ठा करके उसमे जीवाणू छोड़े. ढाई महीने तक उसे सड़ाया. खाद की माध्यम से अदरक के फसल को भारी फायदा हुआ है. काकड़े ने कहा कि अगले साल वे 100 प्रतिशत जैविक खाद का इस्तेमाल करेंगे.