Maharashtra Farmers, Heatwave Damaging Crops: देश के कई राज्यों में भीषण गर्मी और हीटवेव का प्रकोप जारी है. इसके चलते लोगों को काफी परेशानी हो रही है. हीटवेव और गर्मी का प्रकोप न केवल इंसानों को प्रभावित कर रहा है, बल्कि किसानों की फसलों पर भी इसका बुरा असर पड़ रहा है. महाराष्ट्र के अकोला और अमरावती में मार्च के महीने से ही तापमान 42-43 डिग्री के आसपास बना हुआ है. इस कारण से किसानों की फसलें झुलस रही हैं.
फसलों के बर्बाद होने पर कृषि विभाग का कहना है कि जितनी धूप मापी जाती है, उससे 5 से 7 डिग्री ज्यादा तापमान काली जमीन में होता है. ऐसे में अगर तापमान 45 डिग्री है तो जमीन का तापमान 50 से 52 डिग्री होता है, ऐसे में छोटे रूट्स वाले पेड़ों का इस उमस से जलना संभव है.
45 डिग्री का टॉर्चर झेल रहीं फसलें
महाराष्ट्र के विदर्भ में मार्च महीने से ही तापमान लगातार 40 से 42 डिग्री ऊपर चल रहा है. वहीं, अमरावती और अकोला की बात करें तो यहां मार्च महीने से तापमान 44 डिग्री के ऊपर बना हुआ है. ऐसे में सब्जियों की फसल पर इसका बुरा असर पड़ रहा है, क्योंकि सब्जियों की जड़े ज्यादा अंदर तक नहीं जातीं और धूप अगर 45 डिग्री है तो जमीन का तापमान 5 डिग्री से 7 डिग्री से अधिक होता है, ऐसे में उमस के कारण इनकी जड़ें खराब होने की संभावना अधिक होती है. अकोला और अमरावती के इलाके में बढ़ते हुए तापमान के कारण बैगन, प्याज, टमाटर जैसी सब्जियों पर की फसलें बर्बाद हो रही हैं. वहीं, संतरे-नींबू, केले की फसलों पर लगातार 45 डिग्री का टॉर्चर फसलों को बर्बाद करने पर तुला है.
वैज्ञानिकों ने बताया कैसे करें फसलों का बचाव
बढ़ती धूप के कारण फसलों पर होने वाले असर को लेकर अकोला के डॉक्टर पंजाबराव कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक विनोद खडसे का कहना है कि तापमान लगातार 45 डिग्री को पार कर रहा है. ऐसे में जमीन का तापमान 5 से 7 डिग्री अधिक और बढ़ जाता है, जिस कारण जमीन की उमस सूरज डूबने के बाद में भी बरकरार रहती है. ऐसे में किसानों को फसल सूखने नहीं देनी चाहिए. वैज्ञानिक विनोद खडसे के मुताबिक, किसान फसलों को दोपहर में पानी देते हैं लेकिन पानी की भाप फसलों को नुकसान पहुंचाती है, ऐसे में किसानों को दोपहर के समय में पानी ना देते हुए सुबह या शाम या रात में पानी देना चाहिए. विनोद खडसे ने कहा कि किसानों को फसलों की जड़ों तक पानी नहीं डालना चाहिए, उससे थोड़ी दूर पानी डाल कर रखना चाहिए. साथ ही, कूड़े कचरे से फसलों की जड़ों को ढक कर रखना चाहिए, ताकि जड़ें उमस के कारण ना जलें.