Mango Farming: उत्तर प्रदेश के बाराबंकी के जिले के किसान बड़े पैमाने पर आम की खेती करते हैं. यहां के आमों की दर्जनों प्रजातियां देश-विदेश में मशहूर हैं. यहां उगाए जाने वाले दशहरी, आम्रपाली, यकुति, चौसा, लंगड़ा आम के मलिहाबादी आमों को स्वाद में टक्कर देते नजर आते हैं.
दशहरी आम को लोगों के बीच बेहद पसंद किया जाता है, लेकिन आम्रपाली आमों की मिठास भी इसके मुकाबले कम नहीं है. आम्रपाली आम अपने मिठास की वजह से बेहद मशहूर है. बाजार में इसकी कीमत 150 से 200 रुपये किलो तक पहुंच जाती है. इस मौसम में किसान बढ़िया मुनाफा कमाते नजर आते हैं.
आम के पेड़ों की बड़े पैमाने पर खेती करने वाले मिस्बा किदवाई कहते हैं कि उनके यहां 25 बीघे में सिर्फ आम्रपाली आमों की बाग लगी है. इसका एक पेड़ तैयार होने में लगभग 5 साल का समय लगता है. एक बीघे में 50-60 पेड़ लग जाते हैं. 5 साल बाद फल आने लगते हैं. सीजन के आखिरी तक ये बाजार में बने रहते हैं. इसकी वजह से किसान ठीक-ठाक पैसा कमा लेता है.
ज़िले में 12 हज़ार हेक्टयर में होती है आम की खेती
बाराबंकी ज़िले में मसौली के किसान फवाद किदवाई ,महमूद किदवाई, दानिश किदवाई और उनके साथ काम करने वाले शकेब बताते हैं कि हमारे यहां के बगात में दशहरी, लंगड़ा, चौसा और सबसे मशहूर यकुति आम है जो खुशबू और मिठास के लिये भारतीय बाजारों में प्रसिद्ध है. यहां के आम यूपी से लेकर देश की राजधानी दिल्ली तक अपने मिठास की रौनक बिखेरे हुए है.
बाराबंकी में आम की बागबानी और किसानी करने वाले शकेब और उस्मान कहते हैं कि हम 19 साल से आम के बाग का काम कर रहे हैं. ये 32 बीघे की बाग को हमने 7 लाख रुपये मे खरीदा है. फसल ठीक हुई है. सब ठीक रहा तो 5-8 लाख रुपये का मुनाफा आसानी से एक सीजन में हो जाएगा.
आम की कई किस्मों को उगाया जाता है
यहां दशहरी, बनारसी लंगड़ा, चौसा, फजली, बंबई ग्रीन, बंबई, अलफांजो, बैंगन पल्ली, हिम सागर, केशर, किशन भोग, मलगोवा, नीलम, सुर्वन रेखा, वनराज, जरदालू जैसी आम की किस्में पाई जाती है. नई किस्मों में मल्लिका, आम्रपाली, रत्ना, अर्का अरुण, अर्मा पुनीत, अर्का अनमोल तथा दशहरी की 51 प्रमुख प्रजातियां हैं. जिले में गौरजीत, बांबेग्रीन, दशहरी, लंगड़ा, चौसा और लखनऊ सफेदा, सुरखा, हुस्नहारा, कपूरी, गुलाब खास, आम्रपाली, याकूती जैसी कई और भी प्रजातियां उगाई जाती हैं.
आमों के सीजन में नहीं खाते हैं लोग मिठाई
बातों-बातों में कहा जाता है कि आम के सीजन में लोग मिठाई खाना भूल जाते हैं. कही मेहमान नवाजी में भी जाते हैं तो आम की टोकरी बनवा कर तोहफे में भेंट करते है. इन्ही आमों की मिठास पर किसी शायर ने पूरी नज़्म ही लिख दी-
इंसान के हाथों की बनाई नहीं खाते,
हम आम के मौसम में मिठाई नहीं खाते
क्या कहते है उद्यान अधिकारी
बाराबंकी के उद्यान अधिकारी महेश श्रीवास्तव और उनके सहयोगी इंस्पेक्टर गणेश चन्द्र मिश्रा ने आजतक को बताते हैं कि ज़िले में आम के बगात 12.5 हज़ार हेक्टयर जमीन पर लगे हैं इसमें हर किस्म की वैरायटियां पैदा होती है. आम्रपाली आम की मिठास सबसे अच्छी होती है और यह आखिरी सीजन 15 अगस्त तक मिलता है. इसकी खासियत ये होती है कि पकने के बाद भी ये हरा ही रहता है और बाजार में इसका भाव 150-200 रुपये तक आसानी से मिल जाता है. लेकिन इस बार भीषण गर्मी की वजह से आम की फसल पर असर पड़ा है जिसकी वजह से पैदावार कम हुई है. तो थोड़ा मुनाफा भी कम होगा.