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यूपी: बारिश के इंतजार में बेहाल हुए अन्नदाता, प्रदेश में सूखे जैसे हालात

बारिश न होने के चलते उत्तर प्रदेश के कई जिलों में किसानों के चेहरे पर मायूसी दिख रही है. खेतों में दरारें पड़ चुकी हैं. जो किसान सिर्फ खेती करके अपना जीवन-यापन करते हैं उनके लिए सूखे की स्थिति काफी बड़ा संकट लेकर आई है. किसानों का कहना है कि इस बार उनके खाने भर को भी धान हो जाए तो बड़ी बात है.

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Delayed and deficient rainfall affect paddy crop
Delayed and deficient rainfall affect paddy crop

Delayed and deficient rainfall affect paddy crop: अगस्त का आधा महीना तकरीबन बीत चुका है लेकिन उत्तर प्रदेश के कई जिलों में अभी भी उम्मीद के मुताबिक बारिश नहीं हो पाई है. कम बारिश के चलते धान की फसल बर्बाद होने की कगार पर है. पूर्वांचल सहित प्रदेश के कई जिलों में सूखे के आसार दिखने लगे हैं. चंदौली से लेकर आजमगढ़,गोरखपुर, देवरिया,बलिया रायबरेली और सुल्तानपुर तक के किसान बढ़िया बारिश ना होने की वजह से परेशान हैं.

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गोरखपुर में सूखे के आसार
बारिश ना होने के चलते गोरखपुर जनपद किसानों के चेहरे पर मायूसी साफ दिख रही है. खेतों में दरारें पड़ चुकी हैं. जिला कृषि अधिकारी ने कहा कि अगर आगे भी मौसम ऐसे रहा तो जनपद सूखाग्रस्त घोषित हो सकता है. अब तक जिले में सिर्फ 56 प्रतिशत ही बारिश हुई है.

यहां के पिपराइच के रहने वाले किसान रामनारायण विश्वकर्मा कहते हैं कि अगर अभी एक-दो दिनों में बारिश होती है तो स्थिति को संभाला जा सकता है, वर्ना किसानों को भारी नुकसान हो सकता है. वहीं, किसान बालकिशन यादव बताते हैं कि बहुत जरूरी है बारिश जल्द से जल्द हो जाए. सिंचाई से फसलों को उतना फायदा नहीं पहुंचेगा. बरसात के पानी से ही फसल को बचाया जा सकेगा. जो किसान सिर्फ खेती करके अपना जीवनयापन करते हैं उनके लिए सूखे की स्थिति काफी बड़ा संकट लेकर आएगी.

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गोरखपुर के जिला कृषि अधिकारी देवेंद्र प्रताप के मुताबिक 10 अगस्त तक यहां पर 714.9 एमएम बरसात होनी चाहिए थी. लेकिन यहां सिर्फ 401.2 एमएम ही बारिश  हुई है. आने वाले समय में यही स्थिति रही तो सूखे की नौबत आ जाएगी.  बारिश अगर हुई भी बीच में तो फिर भी 20 परसेंट फसल का ग्रोथ कम होगा.

प्रयागराज में भी बारिश हुई कम
प्रयागराज में भी इस बार बारिश बहुत कम हुई है. इस कारण धान की फसल खराब होने के कगार पर है. जिला कृषि अधिकारी सुभाष मौर्य के मुताबिक जिले में 43.06 % बारिश हुई है. कुल मिलाकर सिर्फ 344.50 मिलीमीटर बारिश हुई है जबकि 864 मिलीमीटर बारिश होनी चाहिए थी. उन्होंने बताया कि इस बार धान की रोपाई 93 प्रतिशत हुई है. उपरहार क्षेत्र सबसे ज्यादा प्रभावित है. मेजा बऔर बारा की 16 हज़ार हेक्टेयर की फसल प्रभावित हुई है.

यहां के मीनापुर गांव के रहने वाले किसान कल्लू प्रजापति साढ़े तीन बीघा में धान की खेती की थी. लेकिन इस बार बारिश ना होने की वजह से उनकी फसल लगभग बर्बाद हो गई. वहीं जलालपुर घोसी के रहने वकील यादव ने अपने 6 बीघे खेत में धान की बेहन लगाई लेकिन बारिश न होने से इनकी ज्यादातर फसल पीली पड़ गई है. 

बारिश न होने से रायबरेली के किसान परेशान 
महंगाई की मार के बाद मौसम की मार ने किसानों की कमर तोड़ दी है. रायबरेली में सामान्य दिनों में अब तक 274 मिलीमीटर बारिश होती थी. अभी तक रायबरेली में महज 113.5 मिलीमीटर बारिश ही हो पाई है. अमावा ब्लाक के डिडौली गांव में खेती से अपना परिवार चलाने वाले रविंद्र सिंह का कहना है कि कम बारिश होने की वजह से धान की रोपाई कम हो पाई है. अब तो धान की लगाई का समय भी बीत गया है. डीजल इतना महंगा है की ट्यूबवेल के सहारे भी धान लगा पाना मुश्किल था अब तो लगता है कि खुद के खाने के लिए भी उगा लें तो बहुत है.

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हरचंदपुर ब्लॉक के किसान शिव कुमार सिंह का कहना है कि अब तक धान की उपज ही हमारा व्यवसाय था. लेकिन इस बार बारिश कब होने की वजह से खेती पर असर पड़ा है.  जिसका आने वाले वक्त में बाजार पर भी असर पड़ेगा. इस बार किसानों के पास खाने भर को भी धान हो जाए तो बड़ी बात है.

जिला कृषि अधिकारी एच एन सिंह कहते हैं कि कि यह बात सही है कि इस बार बारिश कम हुई है. जिसका असर धान की खेती पर पड़ा है और आने वाले वक्त में इसके असर भी देखने को मिलेगा. लेकिन इसका असर कितना पड़ेगा इसके बारे में अभी से बोल देना जल्दबाजी होगी कम से कम सितंबर तक इंतजार करना चाहिए.

आजमगढ़ के किसान कर रहे बारिश का इंतजार 
आजमगढ़ वर्षा की कमी होने से जिले में धान की फसल पर सीधा असर देखा जा सकता है. अमूमन जून  माह में ही बारिश हो जानी चाहिए थी. जिससे धान की रोपाई लेट शुरू हुई. बारिश से यहां रोपाई का कार्य लगभग 95% संपन्न किया जा चुका है. अब आगे धान की फसल के लिए अच्छी बारिश की आवश्यकता है.

जिले के कृषि अधिकारी गगनदीप ने बताया कि इस बार बारिश लेट हुई. अब तक रोपाई का कार्य खत्म हो चुका है. बारिश ना होने से किसानों में काफी निराशा देखी जा रही है. वहीं, मोलनापुर माथ गांव के किसान रविंद्र लाल का कहना है कि शुरुआती दौर में बारिश के वजह से रोपाई कर दी गई. महंगी लागत लगाकर डाई पोटाश डाला गया बारिश ना होने से रोपा हुआ धान सूख रहा है.  

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कुशीनगर में कम बारिश 
औसत से काफी कम बारिश होने के कारण कुशीनगर में सूखे के हालात देखने को मिल रहे है. इस बार कुशीनगर जिले में बारिश न होने के कारण धान की फसल बर्बाद हो रही है. जिले के कृषि विभाग के आकंड़े के मुताबिक इस वर्ष 1 लाख 18 हजार एकड़ में किसानों ने धान की रोपाई की है. औसत से लगभग 65 प्रतिशत कम बारिश होने के कारण धान की फसल पीली होकर सूख रही है. इससे किसानों की चिंताएं बढ़ गई है. 

देवरिया में मौसम की बेरुखी से किसानों का हाल बेहाल
उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले में मौसम की बेरुखी के चलते सूखे का संकट गहराता जा रहा है. खेतों में दरारें पड़ गयी हैं. किसान परेशान हैं. तरकुलवा विकास खण्ड के सिवनिया गांव के आधा दर्जन किसानों ने सूख चुके धान के खेतों को ट्रैक्टर से जुताई करा दी है. किसान सुनील पांडेय ने बताया कि उन्होंने दो बीघा धान की फसल की रोपाई कराई थी लेकिन बारिश नहीं हुई जिसका खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ रहा है.

भागलपुर ब्लॉक के नरसिंह डांड़ गांव के रामनक्षत्र यादव ने भी डेढ़ बीघा धान बोया था. शुरुआत में तो मशीन से सिंचाई किया लेकिन बाद में बारिश नही हुई तो खेत को छोड़ दिया. अब खेत बिल्कुल सूख चुका है. इन किसानों के द्वारा जिले को सूखा ग्रस्त घोषित करने की मांग की जा रही है. इस मामले में जिला कृषि अधिकारी मोहम्मद मुज्जमिल ने बताया कि 250 एमएम बारिश होनी चाहिए लेकिन मात्र 70 एमएम बारिश हुई है जो औसत से बहुत ही कम है. इसे देखते हुए डीएम देवरिया द्वारा देवरिया को सूखाग्रस्त घोषित करने के लिए शासन को पत्र भेजा जा रहा है.

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महाराजगंज मे सामान्य से 59 फीसदी कम हुई बारिश
यूपी के महराजगंज जिले में हफ्ते भर में बारिश नही हुई तो जिले में सुखा जैसे हालात हो जाएंगे. सामान्य से 59 प्रतिशत से कम बारिश होने के बावजूद यहां सूखे जैसे हालात नहीं है. यह जिला आधा दर्जन नदियों से घिरा हुआ है. किसान फिलहाल नदियों के सहारे सिंचाई कर रहे हैं. लेकिन अगर एक हफ्ते के अंदर बारिश नहीं हुई तो इस जिले में भी सूखे जैसे हालात हो जाएंगे.

धनेवा धनेई के किसान विनय ने बताया कि इस बार फसलों में पैदावार कम होने के आसार हैं. हमारी फसलो में सूखा तो अभी नही पड़ा है लेकिन जिस तरह से धूप हो रहा है उससे यह अनुमान है कि दो से तीन दिनों में फसलें सूखनी शुरू हो जाएंगी. जिला कृषि अधिकारी वीरेंद्र कुमार ने बताया कि इस बार सामान्य से बहुत कम बरसात हुई है.अ गर एक सप्ताह मे अच्छी बारिश नही हुई तो जिले में सूखा पड़ जायेगा.


अंबेडकरनगर में भी कम बारिश किसान परेशान 
अम्बेडकर नगर में कम  बारिश होने से किसान परेशान है और किसानों के धान की फसल सूख रहे है. इस बार बारिश का आंकड़ा सामान्य  बर्ष के मुकाबले करीब 33 फीसदी कम है. अब तक 542.6 मिमी बारिश होनी चाहिए थी. लेकिन अभी तक 362  मिमी बारिश हुई है.कृषि विभाग की माने तो जिले में धान की रोपाई लक्ष्य के बराबर है. लेकिन किसानों की माने तो कम बारिश होने की वजह से वे इस बार धान की रोपाई ज्यादा नहीं कर पाए हैं.

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अकबरपुर ब्लाक के भिखारी पुर निवासी किसान सूर्य नारायण यादव ने बताया कि इस बार बारिश शुरू से ही कम हुई है. इस वजह से धान की रोपाई कम की है. पिछली बार वह करीब  6 बीघे खेत में धान की रोपाई की थी, लेकिन इस बार 4 बीघे में ही बुवाई कर पाए हैं. 

गोंडा में सूखे की आहट से किसान चिंतित 
गोंडा में बारिश न होने से सूखे की आहट सुनाई पड़ने लगी है. इससे किसानों को मुसीबतों का सामना करना पड़ सकता है. जिला कृषि अधिकारी जगदीश प्रसाद यादव कहते हैं कि इस साल 15 अगस्त तक जिले में 205.10 mm बारिश हुई है जो बेहद कम है.जबकि अब तक जनपद में 652.7mm बारिश हो जानी चाहिए थी.

क़ृषि विभाग का कहना है कि यदि एक हफ्ते बारिश और नहीं हुई तो धान की उत्पादकता पर भारी गिरावट हो सकती है. यह हाल उस जिले गोंडा का है जहाँ 1.29 लाख हेक्टेयर के खेतों में किसान धान की फसल उगाते है.जिले में 6 लाख से अधिक किसान खेती कृषि से ही अपनी आजीविका चलाते है. 

बिजनौर में कम हुई बारिश
बिजनौर जनपद में बारिश ना के बराबर हुई है इसलिए धान की फसल को नुकसान होने की पूरी संभावना बनी हुई है. किसान अपनी फसल बचाने के लिए लगातार खेतों में ट्यूबेल  से पानी दे रहा है. किसान संदीप धनकड़ बताते हैं कि आसाढ़ और सावन मे जमकर बारिश होती है. इसी दौरान धान की फसल लगाई जाती है. अब दोनों महीने निकल चुके हैं.

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नगीना कृषि अनुसंधान केंद्र प्रेक्षक सतीश कुमार के अनुसार पिछले कई वर्षों से 1 अगस्त से 15 अगस्त तक 100 से 120 एमएम तक बारिश होती थी लेकिन इस वर्ष 1 से 15 अगस्त तक 50% यानी मात्र 50 से 60 एमएम बारिश हुई है और इस इस कारण धान की फसल को नुकसान होने की संभावना बनी हुई है. वजिला कृषि अधिकारी अवधेश मिश्र बताते हैं कि जिले में इस बार बारिश बहुत कम है और इसी को देखते हुए धान की फसल का नुकसान होने की संभावना है. लेकिन अभी और मौसम का इंतजार किया जा रहा है.

चंदौली मे औसत से काफी कम बारिश
पूर्वी उत्तर प्रदेश के चंदौली को धान का कटोरा कहा जाता है. लेकिन धान के कटोरे के किसान भी कम बरसात होने की वजह से परेशान है और यहां के अन्नदाता के माथे पर चिंता की लकीरें साफ-साफ देखी जा सकती हैं. चंदौली में औसत से काफी कम बरसात हुई है जिसकी वजह से धान की फसल पर  सूखे का संकट गहराता जा रहा है. 

धीना थाना क्षेत्र के शिक्षा गांव के रहने वाले किसान रतन सिंह ने बताया कि उनकी उम्र 60 साल के आसपास है और अपनी उम्र में अब तक उन्होंने ऐसे हालात कभी नहीं देखे थे जब जून जुलाई और अगस्त में इतनी कम बरसात हुई हो. रतन सिंह ने बताया कि अगर आने वाले दो-चार दिनों में अच्छी बरसात नहीं हुई तो चंदौली जनपद के अधिकांश किसान सूखे की मार झेलने पर मजबूर हो जाएंगे.


बलिया में औसत से काफी काम हुई बारिश
पूर्वांचल के बलिया में इस साल बहुत कम बारिश हुआ है.बलिया के कृषि अधिकारी की माने तो 1 जून से अब तक 173 मिली मीटर ही बारिश हुआ है. जबकि 1 जून से आज तक 475 मिली मीटर होनी चाहिए. इस समय धान की खेती असफल हो रही है.

संतकबीर नगर में सूखे की स्थिति
उत्तर प्रदेश के संत कबीर नगर जिले में मौसम की बेरुखी से किसानों का हाल बेहाल है. 70 से 80% किसान बारिश ना होने से फसलों को लेकर काफी मायूस हैं.  मझोले और छोटे किसानों के ऊपर फसल बर्बाद होने की वजह से जीवनयापन को लेकर संकट पैदा हो गया है.

( गोरखपुर से गजेंद्र त्रिपाठी, बलिया से अनिल अकेला,बिजनौर से संजीव शर्मा, महाराजगंज से अमितेश त्रिपाठी, आजमगढ़ से राजीव कुमार, अंबेडकर नगर से केके पांडेय, देवरिया से रामप्रताप, प्रयागराज से पंकज श्रीवास्तव, कुशीनगर से संतोष, गोंडा से अंचल श्रीवास्तव, और रायबरेली से शैलेंद्र कुमार सिंह, संतकबीरनगर से आलमगीर की रिपोर्ट के इनपुट के साथ )

 

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