Panchayat Aajtak Rajasthan: राजस्थान में चुनावी माहौल के बीच जोधपुर के मैरियट होटल में 'पंचायत आजतक' के मंच पर न केवल राजनीति बल्कि खेती-बाड़ी और किसानों के मुद्दे पर भी बात हुई. इस दौरान राजस्थान में हॉर्टीकल्चर यानी बागवानी में कितनी संभावनाएं हैं इस मुद्दे पर भी चर्चा हुई. इस बातचीत में राजस्थान सरकार के राजेंद्र सिंह (ज्वाइंट डायरेक्टर, डिपार्टमेंट ऑफ हॉर्टिकल्चर), भंवर राम कडवा (ज्वाइंट डायरेक्टर, डिपार्टमेंट ऑफ हॉर्टिकल्चर), हिम्मत सिंह शेखावत( ज्वाइंट डायरेक्टर, डिपार्टमेंट ऑफ हॉर्टिकल्चर) और बीके द्विवेदी (ज्वाइंट डायरेक्टर, डिपार्टमेंट ऑफ हॉर्टिकल्चर)ने भी हिस्सा लिया.
राजस्थान की मिट्टी बागवानी के लिए उपयुक्त
सरकार की तरफ से बागवानी की फसलों को लगातार बढ़ावा दिया जा रहा है. राजस्थान में भी किसानों को बागवानी और फलदार पौधों को ज्यादा से ज्यादा करने की सलाह दी जा रही है. हिम्मत सिंह शेखावत( ज्वाइंट डायरेक्टर, डिपार्टमेंट ऑफ हॉर्टिकल्चर) के मुताबिर राजस्थान की मिट्टी बागवानी की फसलों की उपयुक्त है. इन फसलों की खेती में ज्यादा खर्च नहीं आता है. सिर्फ थोड़ी मेहनत करने की जरूरत है.
ग्रीन हाउस पर 95 प्रतिशत तक सब्सिडी
राजस्थान सरकार राज्य में बागवानी फसलीकरण के अंतर्गत संरक्षित खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है. भंवर राम कडवा (ज्वाइंट डायरेक्टर, डिपार्टमेंट ऑफ हॉर्टिकल्चर) बताते हैं कि संरक्षित खेती के लिए किसानों को बकायदे सब्सिडी भी दी जा रही है. इस कड़ी में ग्रीन हाउस लगाने पर भी किसानों को 95 प्रतिशत तक सब्सिडी दी जाती है. हमारा लक्ष्य अगले दो साल में 60 हजार किसानों को सब्सिडी देने का है. किसान इसको लेकर आवेदन राजकिसान पोर्टल पर कर सकते हैं. किसानों को इस योजना का लाभ पहले आओ और पहले पाओ के आधार पर दिया जाता है. इसके अलावा मल्चिंग हाउस और बड़े स्तर पर बागवानी करने के लिए अन्य जरूरी तकनीकों पर किसानों को सब्सिडी दी जाती है.
माइक्रो इरिगेशन पर जोर
सरकार किसानों को बागवानी करने के लिए प्रोत्सहित तो कर रही है लेकिन राज्य भूजल स्तर की भारी कमी से जूझ रहा है. इसके चलते बड़े स्तर पर किसानों की फसल प्रभावति हो रही है. राजेंद्र सिंह (ज्वाइंट डायरेक्टर, डिपार्टमेंट ऑफ हॉर्टिकल्चर) बताते हैं बागवानी फसलों को सही समय पर सिंचाई मिल सके इसके लिए आधुनिक तकनीकों के माध्यम से सिंचाई करने पर हम बढ़ावा दे रहे हैं. माइक्रो इरिगेशन तकनीक का सहारा ले रहे हैं. किसानों को खेतों स्प्रिंकलर सिंचाई, मिनी स्प्रिंकलर सिंचाई संयंत्र स्थापित करने के लिए बंपर सब्सिडी दी जा रही है. इन तकनीकों की खासियत ये है कि फसल के लिए सिर्फ उतने ही पानी का उपयोग होगा जितने की जरूरत होती है.
घर पर भी कर सकते है बागवानी
बीके द्विवेदी (ज्वाइंट डायरेक्टर, डिपार्टमेंट ऑफ हॉर्टिकल्चर) कहते हैं कि आम आदमी भी बागवानी कर सकता है. रिजेक्टेड गमलों का उपयोग सब्जी उगाने में किया जा सकता है. इसका फायदा ये होगा हमे रोज ताजी सब्जियां मिलेंगी. मैंने अपने छत पर गमले में भिंडी लगा रखी है. रोज मेरे घर उसी भिंडी की सब्जी बनती है. मेरे बेटी के स्कूल में तो उसकी दोस्तों ने भिंडी गर्ल बुलाना शुरू कर दिया है.