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मौसम की बेरुखी से बढ़ा सूखे का खतरा, नहीं हुई बारिश तो बर्बाद हो जाएंगे किसान

Deficient Rain Affect Paddy Sowing: जुलाई का दूसरा सप्ताह चल रहा है और अब तक खेतों में धान की रोपाई हो जानी चाहिए थी, लेकिन ऐसा पूर्वांचल के जिलों में ऐसा नहीं हो सका. किसान अभी तक अच्छी बारिश का इंतजार कर रहे हैं ताकि वह अपने खेतों में धान की रोपाई कर सकें.

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Deficient Rain affect paddy sowing
Deficient Rain affect paddy sowing
स्टोरी हाइलाइट्स
  • अच्छी बारिश इंतजार कर रहे हैं किसान
  • कम बारिश के चलते धान की बुवाई में देरी

Deficient Rain Affect Paddy Sowing: देश के अलग-अलग हिस्सों में बारिश से जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया है. मुंबई, गुजरात और असम में बाढ़ से किसानों के हजारों एकड़ की फसलें बर्बाद गई हैं. वहीं, इन सबके इतर पूर्वी उत्तर प्रदेश मे बारिश नहीं होने के चलते धान की खेती प्रभावित हो रही है.

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बरसात न होने की वजह से धान की खेती पिछड़ रही है. धान का कटोरा कहा जाने वाला चंदौली हो या फिर मिर्जापुर, देवरिया, गोण्डा सहित यूपी के तमाम जिलों मे बारिश न होने के चलते किसान परेशान हैं.  

अच्छी बारिश ना होने से नहीं हो पाई रोपाई
जुलाई का दूसरा सप्ताह चल रहा है और अब तक खेतों में धान की रोपाई हो जानी चाहिए थी, लेकिन ऐसा पूर्वांचल के जिलों में ऐसा नहीं हो सका. किसान अभी तक अच्छी बारिश का इंतजार कर रहे हैं ताकि वह अपने खेतों में धान की रोपाई कर सकें. किसानों को इस बात की चिंता सता रही है कि अगर बरसात नहीं होगी तो धान की रोपाई कैसे होगी.

क्या कहते हैं किसान?
चंदौली जिले के नियमताबाद के रहने वाले किसान धर्मेंद्र कुमार सिंह कहते हैं कि बारिश एकदम नहीं हो रही है. बिल्कुल सूखा की स्थिति हो गई है. बच्चों को पढ़ाना लिखाना है, कैसे पढ़ाएंगे लिखाएंगे. हम लोग पूरी तरह से धान की खेती पर ही निर्भर हैं. धान की पैदावार अच्छी होती है तो जीवनयापन सही से हो जाता है. अपने बच्चों को पढ़ा-लिखा लेते हैं. वहीं, सरने ग्राम सभा के किसान प्यारेलाल बताते हैं कि अगर जल्द बारिश नहीं हुई तो फसल पर बहुत  प्रभाव पड़ेगा. भुखमरी जैसी स्थिति हो जाएगी. 

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चंदौली को कहा जाता है धान का कटोरा
दरअसल पूर्वी उत्तर प्रदेश का चंदौली धान का कटोरा कहा जाता है और यहां पर धान की बेहद अच्छी पैदावार होती है. अधिकांश किसान खेती बाड़ी पर ही निर्भर हैं. ऐसे में बारिश ना होने की वजह से किसानों की चिंता लाजिमी है. चंदौली मे कुल 256000 किसान धान की खेती करते हैं. जनपद में इस साल कुल 113600 हेक्टेयर पर धान की खेती का लक्ष्य निर्धारित किया गया है.

उधर मौसम विभाग के अनुसार जिले मे अब तक जनपद में कुल 234.3 एमएम बारिश हो जानी चाहिए थी. लेकिन अभी तक सिर्फ 81.7 एमएम यानी 34% ही बारिश हो पाई है. हालांकि जिले में सिंचाई के लिए नहरे भी हैं जिनके माध्यम से नहरों के नजदीकी इलाके वाले किसान रोपाई कर रहे हैं. बावजूद इसके अब तक महज 12% धान की रोपाई ही हो पाई है.

सामान्य स्थिति में अब तक कम से कम 20% धान की रोपाई पूरी हो जानी चाहिए थी और जुलाई के अंत तक यह आंकड़ा 80% हो जाना चाहिए था. लेकिन यहां तो धान की नर्सरी बचाना ही मुश्किल साबित हो रहा है. कई ऐसे किसान भी हैं जो पंपिंग सेट चलाकर धान की नर्सरी बचाने की कवायद में जुटे हैं.

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नियमताबाद ब्लॉक के सिवान में हमें एक ऐसे ही किसान मिले. मंजूर आलम कहते हैं कि एक तरफ इंद्रदेव नाराज हैं, वहीं दूसरी तरफ डीजल की महंगाई ने भी किसानों की कमर तोड़ दी है. डीजल वाले पंप सेट चला कर धान की नर्सरी को बचाने की जद्दोजहद करनी पड़ रही है.

drought

मिर्जापुर में भी रूठे बादल, धान की रोपाई प्रभावित 
मिर्ज़ापुर में बादलों के रूठने से किसानों की मुसबीत बढ़ गयी है और बरसात न होने के कारण अब सूखे की आशंका बढ़ गयी है. इसका असर अब खेती पर भी दिखाई दे रहा है. जनपद में जून और जुलाई के बीच 223 एमएम बारिश  की जगह महज 110.8 मीली बारिश हुई है. जो कि सामान्य बारिश का लगभग 49 प्रतिशत है.

बरसात न होने का सबसे अधिक असर दूसरे से खेत बटाई पर लेकर खेती करने वाले किसानों की है. मिर्ज़ापुर के सिटी ब्लाक अंतर्गत हरिहरपुर बेदौली गांव के रहने वाले मन्तराम और उनकी पत्नी गीता ने दूसरे का 4 बीघा खेत बटाई पर लेकर खेती कर रहे है. इस वर्ष उम्मीद थी कि बरसात अच्छी होगी फसल अच्छी होने से आय भी अच्छी होगी मगर जून से जुलाई के बीच बरसात नही होने से अब लाभ की उम्मीद खत्म हो रही है.

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किसान मन्तराम कहते है कि उम्मीद थी कुछ अच्छा हो जायेगा मगर वह भी नही हो पा रहा घाटा होगा. उनकी पत्नी गीता का कहना है कि बरसात नही होने से कुछ नही हो पायेगा. वही कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि अगर एक हप्ते और  बारिस नही होगी तो इसका असर जरूर फसलों पर पड़ेगा.

बारिश नहीं होने के चलते देवरिया के किसान परेशान
देवरिया जिले के परसिया मल्ल गांव में कई किसानों के खेत देखे जो सुख चुके है. अभी भी बारिश नही हुई तो ये किसान बर्बाद हो जाएंगे. इसी गांव के राम कलफ प्रजापति ने धान की रोपाई कर ली है लेकिन बरसात न होने के चलते खेत पूरी तरह सूख चुका है. राम कलफ व उनकी पत्नी दोनों खेतो में काम करते है दो से ढाई बीघा धान की फसल बोये है. इनकी घर की हालत कुछ खास नही है. इनके बच्चे या तो पढ़ रहे है या तो छोटी -मोटी नौकरी कर जीवन यापन कर रहे हैं.

गांव की केसिया देवी के खेत मे भी पानी नहीं है. इनकी भी माली हालत बहुत ही खराब है इनके पति घर पर रहते है इनके पांच बच्चे है.कोई गाड़ी मेकेनिक का काम करता है तो कोई गारे माटी का.केसिया ने बताया कि उन्होंने बटाई पर दो बीघा धान की फसल बोई है.लेकिन बारिश नही होने के चलते सब बर्बादी की कगार पर आ गया है.

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वही उर्मिला देवी भी परसिया मल्ल गांव की ही है. इन्होंने भी एक बीघा धान बोया है जो सूखने की कगार पर है या यू कहे कि अब भगवान भरोसे खेत को छोड़ दिया है. क्योंकि कई बार पम्पिंग सेट मशीन से पैसा लगाकर खेत की सिचाई कर चुके है. लेकिन अब पैसे लगाकर सिंचाई करने की स्थिति में उर्मिला देवी नही है. इसी गांव के राम हरख कुम्हार है इन्होंने भी धान की रोपाई की है लेकिन इनका भी खेत बारिश न होने की वजह से सुख चुका है.

गोण्डा मे नहीं बरसे बदरा,सूखे की आशंका से किसान चिंतित
आधी जुलाई बीतने के बावजूद दूर दूर तक मानसून के कोई आसार न होने से गोंडा में किसान सूखे की मार झेलने रहे है.पैसे वालो के लिए तो इसका कोई विशेष असर नही पड़ा है. लेकिन गरीब किसानों को तो आसमान ताकने के अलावा कुछ बचा नही है.धान की फसल के लिए खेत तैयार होने के बावजूद अभी बुवाई नही हुई है. यदि धान रोपा भी गया है तो एक बार पानी भरने के बाद चटक धूप के चलते तीसरे दिन वह खेत भी सूख जा रहे है.

बारिश न होने से धान की फसल प्रभवित हो रही है.अपने खेत मे पानी भर रहे एक किसान ओम प्रकाश तिवारी ने आजतक को बताया कि पिछले बार तो भारी बारिश से फसल खराब हो गयी थी.इस बार सुख मार डालेगा किसानों से ईश्वर ही नाराज है. दूसरे किसान ओम प्रकाश ने आजतक को बताया कि किसी तरह से पैसा इकट्ठा करके एक बार सिंचाई की थी, लेकिन वह भी सूख गया. यदि सरकार कुछ सहायता करेगी तो ठीक वरना मजूरी करके बच्चों का पेट पालने पड़ेगा.

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दूसरी तरफ उप निदेशक कृषि सुरेंद्र कुमार ने फोन पर बताया कि जिले में खरीफ फसलों का कुल रकबा 1 लाख 90 हजार 333 हेक्टयर है. जिसमे जिले में 1 लाख 28 हजार 498 हेक्टेयर धान ही बोया जाता है. यदि शीघ्र ही बारिश नही हुई तो जिले के किसानों के सामने विकट समस्या खड़ी हो जाएगी.

क्या कहता है यूपी का मौसम विभाग
उत्तर प्रदेश के मौसम के बारे में जानकारी देते हुए मौसम विभाग के निदेशक जेपी गुप्ता ने बताया कि, इस वक्त जुलाई चल रहा है ऐसे में तापमान सामान्य से थोड़ा ज्यादा तो है, लेकिन मई जून वाली गर्मी नहीं है.बारिश को लेकर जेपी गुप्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि अभी बरसात का मौसम शुरू हुआ है और यह सितंबर तक रहता है, आगे आने वाले समय में बारिश होगी.

मौसम विभाग के डायरेक्टर जेपी गुप्ता ने आगे बताया कि आने वाले 1 सप्ताह में कहीं-कहीं ही हल्की बरसात होगी. लेकिन एक हफ्ते की बाद बारिश अच्छी होगी. अनुमान के तौर पर 21 और 22 जुलाई को बारिश अच्छी हो सकती है.वहीं हवाओं की गति फिलहाल 18 किलोमीटर प्रति घंटा है और आगे भी इतनी ही रहने की संभावना है.

 

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