सरकार के 3 कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध को लेकर पंजाब के किसानों की भूमिका काफी अहम थी. भारी संख्या में राज्य से आए किसान दिल्ली बॉर्डर पर डटे हुए थे. इसके चलते सरकार को अपने तीनों कानून वापस लेने पड़े थे. अब पंजाब के किसानों ने एक बार फिर से केंद्र सरकार के खिलाफ रेल रोको आंदोलन करने का फैसला किया. 28, 29, 30 सितंबर को पंजाब में 14 जगहों पर ट्रेन रोके जाने का फैसला किया है.
किसानों की क्या है मांग?
किसान का कहना है कि आंदोलन के दौरान दिल्ली बॉर्डर पर बैठे कई किसानों के खिलाफ मामले दर्ज हुए थे. इनमें के कई किसानों के ऊपर दर्ज मामले वापस नहींं हो पाए हैं. किसानों की मांग है कि इन मामलों को जल्द से जल्द वापस लिया जाए. इसके अलावा लखीमपुर खीरी कांड को लेकर किसान मुखर हैं. उनका कहना है कि इस मामले में अभी तक इंसाफ नहीं हो पाया. उन्हें जल्द से जल्द इंसाफ मिलना चाहिए.
बाढ़ के हुए नुकसान की भरपाई के लिए 50 हजार करोड़ रुपये का पैकेज दे सरकार
साथ ही किसानों ने प्रदेश में कई जगहों पर आई बाढ़ से हुए नुकसान की भरपाई के 50000 करोड रुपए के पैकेज की मांग की है. इसके अलावा सानों ने एमएसपी कानून गारंटी कानून बनाने, मनरेगा योजना के तहत हर साल 200 दिन का रोजगार, स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू करने, किसानों और मजदूरों का कुल कर्ज खत्म करने की भी मांग पर वे अड़े हैं.
मांग नहीं मानी गई तो तेज होगा आंदोलन
बता दें कि पिछले दिनों इन्हीं मांगों को लेकर 21 अगस्त को चंडीगढ़ कूच किया था. इसे विफल करने के लिए पंजाब सरकार ने कई किसान नेताओं को गिरफ्तार किया था. अब फिर से किसान अपनी मांगों को लेकर सरकार के खिलाफ आंदोलन करने को तैयार हैं. किसानों ने कहा अगर 3 दिन के रेल रोको आंदोलन में केंद्र सरकार ने हमारी बात नहीं मानी तो पूरे देश में इस आंदोलन को बढ़ाया जाएगा.