Farmers Success Story: एमबीए की पढ़ाई करने के बाद ज्यादातर युवक मल्टीनेशनल कंपनीज की तरफ रूख कर लेते हैं. विदेशों में बढ़िया नौकरी लग जाती है तो वहां चले जाते हैं. सीतापुर के रहने वाले नवीन मोहन राजवंशी ने भी बिल्कुल यही किया. एक बिजनेस मैनेजमेंट कॉलेज से एमबीए करने के बाद मैनेजर पद पर उनकी दुबई में नौकरी लगी.
दुबई छोड़ वतन लौटे
अपनी नौकरी के दौरान जब नवीन दुबई में किसी भी फार्म पर विजिट करने जाते थे तो देखते थे कि यहां के रेगिस्तान में भी अच्छी-अच्छी फसलें लहलहा रही हैं. यहीं से नवीन के मन में खेती-किसानी को लेकर दिलचस्पी जगी. उन्होंने वापस भारत लौटने का मन बना लिया. साल 2020 में कोविड के वक्त वह वापस लौट आएं.
ऐसे करते हैं खेत तैयार
नवीन मोहन राजवंशी बताते हैं कि खेत को पहले अच्छी तरह से जुताई करते हैं. ट्राइकोडर्मा,सोडोमोनास, देशी गुड़ को गोबर में मिलाकर खाद बनाते हैं. इस खाद को अच्छी तरीके से पूरे खेत मे छिड़काव कर रोटावेटर से जुताई कर देते है. बेड मेकर से बेड बनाकर उसको एक से दो दिन के लिये छोड़ देते हैं और उसमें ड्रिप डाल देते है ताकि हर पौधे को संतुलित मात्रा पानी पहुंचता रहे.
एक एकड़ में लागत 3 लाख लागत कमाई दो गुनी
एक एकड़ में तकरीबन 20000 पौधे को एक-एक फिट की दूरी पर लगाया है. इसका फायदा यह है कि पौधे में फंगस की समस्या नही आती है. इसकी देखभाल भी बहुत अच्छे से हो जाती है. इसके अलावा उत्पादन एक एकड़ में 150 से 160 कुंतल होता है. वहीं, लागत की बात करें तो एक एकड़ में पहले साल में ड्रिप को मिलकर तीन लाख रुपये आती है. कुछ ही महीने में ये आमदनी दोगुनी हो जाती है, वह दावा करके हैं कि 3 लाख रुपये लगातर 7 लाख रुपये तक की आमदनी होती है. बाकी अन्य फसलों से लाभ कमाते हैं.
स्ट्रॉबेरी के साथ ही साथ नवीन ने स्ट्रॉबेरी की फसल के बीच में गेंदे के पौधे लगाए हैं. गेंदे से भी 50 हज़ार रुपये की आमदनी हासिल करते हैं गेंदे की फसल खत्म होती है तो खरबूजा लगा देते हैं जब तक खरबूजा तैयार होता है तब तक स्ट्रॉबेरी ख़त्म हो जाती है. एक एकड़ में खरबूजे का औसतन उत्पादन 160 से 170 कुन्तल मिल जाता है.
स्ट्रॉबेरी खेती पर सरकार भी दे रही अनुदान
स्ट्रॉबेरी की खेती को सरकार भी बढ़ावा दे रही है. प्रति हैक्टेयर 50000 रुपये का अनुदान पहले आओ पहले पाओ स्कीम की तर्ज पर दिया जा रहा है. जिले के जो भी किसान स्ट्रॉबेरी की खेती करना चाहते हैं वो किसी कार्य दिवस में विभाग कार्यालय में आकर या स्वयं से अपना पंजीकरण करा सकते हैं.
गांव में लोगों को मुहैया करा रहे रोजगार
नवीन मोहन राजवंशी बताते हैं कि पहले उनके गांव के लोग रोजगार की तलाश में शहर की ओर पलायन कर थे. लेकिन जबसे हमने गांव में स्ट्रॉबेरी की खेती की शुरुआत की है तबसे गांव दो दर्जन ज्यादा लोगों को रोजगार दे चुके हैं.