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भारी बारिश के चलते जमीन से उखड़ गया 70 साल पुराना बरगद का पेड़, क्रेन के जरिए से फिर ऐसे किया ट्रांसप्लांट

कृषि भूमि पर 70 साल पुराना बरगद का पेड़ गिरकर उखड़ गया. उसी गांव के रहने वाले डॉ. डोब्बाला प्रकाश बरगद के पेड़ के गिरने से काफी परेशान हो गए. प्रकृति प्रेमी डॉ. प्रकाश ने सोचा कि पूरी तरह से सूख गए पेड़ को यदि पानी दिया जाए तो फिर से उसमें 'जान' आ सकती है.

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क्रेन की मदद से फिर से लगाया गया पेड़
क्रेन की मदद से फिर से लगाया गया पेड़
स्टोरी हाइलाइट्स
  • सिरसिला नए सचिवालय के पीछे हुआ प्रत्यारोपण सफल
  • पेड़ को देखने के लिए लोगों की उमड़ रही भीड़

Tree Transplantation: चार महीने पहले भारी बारिश की वजह से तेलंगाना के राजन्ना सिरसिला जिले के कोनारावपेट मंडल के सुड्डाला गांव के भुमैया गौड़ व रमेश गौड़ की कृषि भूमि पर 70 साल पुराना बरगद का पेड़ गिरकर उखड़ गया. उसी गांव के रहने वाले डॉ. डोब्बाला प्रकाश बरगद के पेड़ के गिरने से काफी परेशान हो गए. प्रकृति प्रेमी डॉ. प्रकाश ने सोचा कि पूरी तरह से सूख गए पेड़ को यदि पानी दिया जाए तो फिर से उसमें 'जान' आ सकती है.

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उन्होंने तुरंत किसानों भुमैया और रमेश से बात की और कहा कि वह पेड़ को अलग जगह पर ट्रांसप्लांट करेंगे. उन्होंने अपने कुएं से पानी निकालने के लिए पड़ोसी खेत के मालिक डोबबाला दास से भी अनुमति ली. राजन्ना सिरसिला पीआरओ कार्यालय में तेलंगाना संस्कृति सारथी के रूप में काम करने वाले रमेश ने दो महीने तक पेड़ को पानी की आपूर्ति की. प्रकाश के प्रयासों के अच्छे परिणाम मिले और पेड़ में नए पत्ते आने लगे. प्रकाश ने और अधिक जोश के साथ अपने प्रयासों को जारी रखा और पेड़ में भी हरी पत्तियां आ गईं.

इसके बाद उन्होंने तय किया कि पेड़ को फिर से लगाया जाना चाहिए. उन्होंने दानदाताओं को खर्च करने के लिए खोजा, क्योंकि इसमें काफी खर्चा आने वाला था. सांसद जे संतोष कुमार को मीडिया के जरिए से इसकी जानकारी मिली और उन्होंने ट्विटर के जरिए से प्रकाश की मदद के लिए आश्वासन दिया. 

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क्रेन से ले जाया गया पेड़
क्रेन से ले जाया गया पेड़

17 फरवरी को संतोष कुमार ने अपने ट्वीट में प्रकृति प्रकाश से वादा किया कि पेड़ को सुरक्षित स्थान पर स्थानांतरित करना उनकी जिम्मेदारी होगी. संतोष कुमार के वादे के अनुसार, वैटा के संस्थापक उदय कृष्ण पेड्डीरेड्डी, सदस्य मदन सोमाद्री, निशा खुराना, श्रीनिवास गौड़, रामकुमार पुचा, करुण निम्मकयाला, प्रकाश गज्जला ने एक सप्ताह तक कड़ी मेहनत की और शाखाओं को हटा दिया और पेड़ को फिर से लगाने के लिए तैयार रखा.

असली परेशानी अब तब आई जब पेड़ को कोनारावपेट मंडल के सुधाला गांव से नए कलेक्ट्रेट कार्यालय, 6 किलोमीटर की दूरी पर ले जाना पड़ा. पेड़ के आसान परिवहन के लिए एक विशेष रोड बिछाई गई थी. उन्हें एक विशाल वाहन ले जाने की व्यवस्था की गई, जो 100 टन वजन के पेड़ को ले जा सके. जब 70 टन क्षमता वाली एक क्रेन पेड़ को नहीं उठा सकती थी, उसी क्षमता वाली दूसरी क्रेन को सेवा में लगाया गया था. इसके बाद पेड़ को फिर से लगाया गया.

सांसद संतोष कुमार ने कहा, '' यह पूरी प्रक्रिया मंत्री के टी रामाराव के आशीर्वाद से ही संभव हो पाई है.'' उन्होंने कहा कि चूंकि वे सीएम केसीआर के बयानों में ईमानदारी से विश्वास करते हैं कि यदि पेड़ जीवित हैं तो मानव जीवन भी जीवित हो सकता है और पुनर्रोपण का काम किया और सफलतापूर्वक किया. 

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