उत्तर प्रदेश में इस बार गेहूं की सरकारी खरीद की प्रक्रिया काफी धीमी चल रही है. आलम यह है कि गेहूं की सरकारी खरीद के लिए खरीद केंद्र तो खोल दिए गए लेकिन पूरे सीजनभर यहां पर सन्नाटा ही पसरा रहा. पूरे उत्तर प्रदेश में गेहूं खरीद का लक्ष्य तकरीबन 60 लाख मीट्रिक टन रखा गया था. इस लक्ष्य को 15 जून तक पूरा करना था. हालांकि, गेहूं की सरकारी खरीद इस लक्ष्य के आसपास तक भी नहीं पहुंच पाई है. दरअसल सरकार ने गेहूं की एमएसपी ₹2035 प्रति कुंटल निर्धारित की है. लेकिन किसानों की मानें तो उनको इससे ज्यादा कीमत मार्केट में ही मिल गई. लिहाजा उन्होंने सरकारी खरीद केंद्र पर गेहूं बेचने से बेहतर व्यापारियों को अपना गेहूं बेचना समझा.
उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने दी सफाई
उत्तर प्रदेश में गेहूं की कम खरीद होने पर उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने अब सफाई दी है. प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि से संबंधित एक कार्यक्रम में चंदौली पहुंचे कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने कहा कि बाजार में किसान को उसकी उपज की सही कीमत मिल सके इसलिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा की जाती है. उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ करते हुए कहा कि समर्थन मूल्य डेढ़ गुना किए जाने का परिणाम है कि आज किसानों को एमएसपी से ज्यादा कीमत उनकी उपज पर मिल रही है.
किसानों को दे रखी है आजादी
उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने केंद्र की पिछली कांग्रेस सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि हम उन किसानों को कांग्रेस की तरह बाध्य नहीं कर सकते कि उनको जबरदस्ती लेवी पर लाकर उनके गेहूं को तुलवाएं. सूर्य प्रताप शाही ने आगे कहा कि हमने किसानों को आजादी दे रखी है वह अपनी फसल कहीं भी बेचें.
समय-समय पर रिवाइज होती है एमएसपी
आने वाले दिनों में एमएसपी में सुधार करने की गुंजाइश के बारे में कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने कहा कि हम हमेशा एमएसपी को रिवाइज करते रहते हैं और उसकी कीमतों को रिवाइज करते रहते हैं. प्रधानमंत्री मोदी सरकार 2014 में बनी थी तब धान की एमएसपी 1360 रुपए थी. मोदी जी की सरकार ने इसे डेढ़ गुना करने का निर्णय किया, परिणाम स्वरूप इस साल धान 2080 पर खरीदी गई है और अगले साल भी 80 रुपये बढ़ा कर निर्धारित की गई है. सरकार का उद्देश्य यही है कि किसान को उसकी उत्पादन पर अच्छा पैसा मिले.