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खेती किसानी

Apple Cultivation: किसान का कमाल, हिमाचल-कश्मीर की तरह महाराष्ट्र में भी तैयार किए सेब के बगीचे

Maharashtra farmer grows apple
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सेब की खेती ज्यादातर पहाड़ी क्षेत्रों में की जाती है. इसके बगीचे कश्मीर और हिमाचल प्रदेश में ही दिखाई देते हैं, लेकिन अब ये बगीचे महाराष्ट्र में भी दिखाई देने लगे हैं. दरअसल, पुणे के पंचगनी क्षेत्र के रहने वाले सचिन कुचनुरे ने महाबलेश्वर और उसके आस-पास के क्षेत्रों में सेब की खेती करने का प्रयोग किया. जो काफी हद तक सफल रहा है.

Apple farming in Mahabaleshwar
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सचिन कुचनुरे बताते हैं कि तीन साल पहले हिमाचल प्रदेश से हरमन शर्मा नाम के एक किसान यहां आए थे. सचिन कुचनुरे उनसे स्ट्रॉबेरी फार्मिंग के बारे में जानकारी ले रहे थे. बातचीत के दौरान ही महाबलेश्वर और पंचगनी इलाके में सेब की खेती का क्या संभावनाएं हैं, इस बारे में भी चर्चा होने लगी.

Farmer cultivate apple in Mahrashtra
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हरमन शर्मा उत्तर भारत के सफल किसानों में से एक माने जाते हैं. सेब की हरमन 99 प्रजाति उनके ही नाम पर देशभर में मशहूर हैं. हरमन के मुताबिक कश्मीरी सेब के पेड़ को साल में तकरीबन 400 घंटे 10 डिग्री से नीचे का तापमान चाहिए होता है. महाबलेश्वर और पंचगनी का मौसम भी ऐसा ही है. यहां भी अधिकतर समय तापमान 10 डिग्री की नीचे या उसके आसपास ही रहता है. जिसके बाद सचिन कुचनुरे ने हिमाचल प्रदेश से 200 सेब के पौधे मंगवाए.

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farmers started apple cultivation
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200 सेब के पौधे से शुरू किया गया ये प्रयोग सफल रहा. धीरे-धीरे इन पौधों पर लाल सेब दिखाई देने लगे. सचिन ने आजतक को बताया कि इस बार 600 सेब के पौधे हिमाचल से मंगाए गए हैं. अन्य किसान भी इसकी खेती को लेकर दिलचस्पी दिखा रहे है. महाबलेश्वर और पंचगनी के पहाड़ियों में तकरीबन 60 किसानों ने इस साल सेब की खेती की शुरुआत की है.

Process of apple farming
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सेब की खेती की खास बात ये है कि इसके पौधों को ज्यादा देखभाल की जरूरत नहीं पड़ती है. इन पौधों को केवल ऑर्गेनिक खाद दिया जाता है. एक साल बाद पेड़ की कटिंग करनी जरूरी है. इसके बाद पौधों पर फूल लगने शुरू हो जाते हैं. शुरुआत में इसपर 10 से लेकर 40 छोटे सेब लगते हैं, लेकिन पहले वर्ष सिर्फ 3 से 4 सेब ही इस पौधे पर रखने होते हैं, ताकि फल का विकास सही तरीके से हो सके.

Apple farming
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दूसरे वर्ष में ये पौधे पेड़ में तब्दील हो जाते हैं. इस दौरान एक पेड़ पर केवल 25 सेब रखे जाते हैं, बाकी सारे तोड़ दिए जाते हैं, ताकि सेब का आकार और स्वाद भी स्वादिष्ट हो सके. तीसरे वर्ष के आखिर में सेब के पेड़ की लंबाई  6 से 8 फीट हो जाती है और पेड़ पर 50 से 70 सेब लगने शुरू हो जाते हैं. सचिन बताते हैं कि फ्लॉवरिंग से अच्छे और स्वस्थ सेब तक के विकास में कुल तीन महीने का समय लग जाता है.

Mahableshwar temperature is suitable for apple farming
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महाबलेश्वर क्षेत्र के कृषि सुपरवाइजर दीपक बोर्डे बताते हैं ये प्रयोग सफल होता दिखाई दे रहा है. पिछले तीन सालों में तीन तरह के सेब के पौधे इस इलाके में लगाए गए. सभी पौधे अच्छी हालत में हैं. महाबलेश्वर और पंचगनी का तापमान सेब के खेती के लिए कारगर साबित हुआ है.वह आगे बताते हैं कि कि इस समय वे श्रीनगर के कृषि विश्वविद्यालय से संपर्क में हैं. आने वाले दिनों के जम्मू और कश्मीर कृषि विश्वविद्यालय को 500 सेब का ऑर्डर देने वाले हैं.

Types of Apple
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इस समय महाबलेश्वर और पंचगनी इलाके में Anna, Dorset Golden, Tropic Sweet, Micheal जैसे सेब की प्रजातियों की खेती की जा रही है. जिस तरह से यहां पर सेब की खेती के बगीचे का प्रयोग सफल हुआ है, उससे उम्मीद लगाई जा रही है कि आने वाले समय में महाराष्ट्र में बड़े स्तर पर सेब की खेती होगी और इसकी कीमतों में भी कमी आएगी.

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