अन्य फसलों की तरह सरसों की खेती में भी पानी की जरूरत होती है. पानी के बिना खेती से अच्छी उपज लेना मुश्किल है. इस बात का ध्यान रखें कि सरसों की खेती में कितनी बार और कब-कब सिंचाई करनी है. सिंचाई में पानी की मात्रा का ध्यान रखना चाहिए. ऐसा नहीं करने पर सरसों की फसल खराब हो सकती है.
सरसों की खेती के लिए 4-5 सिंचाई पर्याप्त होती है. यदि पानी की कमी हो तो चार सिंचाई करनी चाहिए. इसमें पहली सिंचाई बुवाई के समय, दूसरी सिंचाई शाखाएं बनने के समय, तीसरी फूल आने के समय और चौथी सिंचाई फली बनते समय करनी चाहिए.
दिन के हिसाब से देखें तो पहली सिंचाई बुवाई के साथ, दूसरी सिंचाई बुवाई के 25-30 दिन बाद, तीसरी सिंचाई बुवाई के 45-50 दिन बाद और अंतिम सिंचाई बुवाई के 70-80 दिन बाद करनी चाहिए.
अगर पानी की कमी न हो तो किसान सरसों में पांचवीं सिंचाई भी कर सकते हैं. कृषि एक्सपर्ट बताते हैं कि अगर पानी उपलब्ध हो तो एक सिंचाई दाना पकते समय करनी चाहिए. यह सिंचाई बुवाई के 100-110 दिन बाद करनी लाभदायक होती है.
ध्यान रखें कि सिंचाई फव्वारा विधि से करनी चाहिए. इसमें पानी की खपत कम होती है और फसलों को बराबर पानी मिलता है. इससे फसल की पूरी ग्रोथ अच्छे से हो पाती है. दाने भी बड़े और मोटे बनते हैं.
सरसों की फसल को कीटों से बहुत नुकसान पहुंचता है. इसी में एक है पेन्टेड बग और आरा मक्खी, यह कीट फसल को अंकुरण के 7-10 दिनों में अधिक हानि पहुंचाता है. यह कीट फसल को पूरी तरह से चौपट कर देता है.