खेती-किसानी में लगातार कम होते मुनाफे के बीच किसान ऐसी फसलों की तरफ रूख कर रहे हैं, जिसकी खेती से किसान कम वक्त में बढ़िया मुनाफा कमा सकता है. स्ट्राबेरी इसी तरह की फसल है, इसकी खेती में किसान महज 40 दिनों के अंदर ही बंपर मुनाफा उठा सकते हैं.
स्ट्रॉबेरी की देशभर में खूब बिक्री होती है. इसे खाने से शरीर को कई फायदे मिलते हैं. इसकी खेती हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब और राजस्थान में ठीक-ठाक पैमाने पर इसकी खेती होती है.
स्ट्रॉबेरी को मुनाफेदार फसलों की श्रेणी में गिना जाता है. पूरी दुनिया में इसके कुल 600 किस्म मौजूद है, लेकिन भारत में इसकी कुछ ही प्रजातियों की खेती की जाती है. इसकी खेती समान्य तरीकों के साथ-साथ पॉलीहाउस, हाइड्रोपॉनिक्स. हालांकि, इसे ठंडे प्रदेशों की फसल कहा जाता है. लेकिन इसे मैदानी क्षेत्रों में भी आसानी से उगाया जा सकता है. 20 से 30 डिग्री तापमान उपयुक्त रहता है.
स्ट्रॉबेरी विटामिन-सी और आयरन से भरपूर है. कुछ किस्में जैसे- उच्च स्वाद और चमकीले लाल रंग वाले ओलंपस, हुड और शुक्सान आइसक्रीम बनाने के लिए उपयुक्त हैं.स्ट्रॉबेरी की फसल मार्च-अप्रैल तक चलती है. स्ट्रॉबेरी को खेत में लगाने की दूरी कम से कम 30 सेंटीमीटर होनी चाहिए
एक एकड़ में 22 हजार स्ट्रॉबेरी के पौध लगाए जा सकते हैं. इसमें फसल के अच्छे होने की संभावना रहती है. स्ट्रॉबेरी की खेती में सब कुछ मिलाकर पौधे की कीमत से लेकर मरल्चिंग और ड्रिप इरिगेशन जैसी तकनीकों का उपयोग कर 2 से 3 लाख की लागत आ जाती है, जिसके बाद उन्हें लगभग 12 से 15 लाख तक का मुनाफा हो जाता है.
बता दें कई तरह की बीमारियों में डॉक्टर्स भी किसानों को स्ट्रॉबेरी का सेवन लाभकारी माना जाता है. यह फल विटामिन C एवं विटामिन A और K का काफी अच्छा स्रोत है. चिकित्सकों के अनुसार यह फल रूप निखारने और चेहरे में कील मुँहासे, आँखो की रौशनी चमक के साथ दाँतों की चमक बढ़ाने का काम आते है. इनके आलवा इसमें केल्सियम मैग्नीशियम फोलिक एसिड फास्फोरस पोटेशियम पाया जाता है.