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मिट्टी के मोल भी नहीं बिक रही लौकी, किसान परेशान, गायों को खिलाने पर मजबूर

Bottle Gourd Farming in Pilibhit: किसानों का कहना है कि लौकी के ट्रक को बाहर भेजने में बहुत खर्च हो रहा है. महंगाई के चलते कोई भी बाहर का खरीदार लौकी के ट्रक हम लोगों से नहीं मंगा रहा है. ऐसे में लौकी को कूड़े में फेंकना पड़ता है. साथ ही एक या दो ट्रक आसपास की गौशाला में भेज देते हैं. हमारी बात को कोई सुनने वाला नहीं है.

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Bottle Gourd Farming in Pilibhit: किसान लौकी नहीं बिकने से परेशान
Bottle Gourd Farming in Pilibhit: किसान लौकी नहीं बिकने से परेशान

पीलीभीत में इन दिनों लौकी की खेती करने वाले किसान व आढ़ती परेशान हैं और हों भी क्यों न, उनकी फसलों को मिटटी के भाव भी कोई खरीदने को तैयार नहीं है. इसके कारण वो भारी घाटे में आ गए हैं. बाजार में लौकी के उचित रेट न मिलने से किसान व आढ़ती मवेशियों को लौकी खिलाने पर मजबूर हैं.

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आढ़तियों का कहना है कि ट्रांसपोर्ट महंगा हो चुका है, लगातार बारिश हो रही है. इसलिए लौकी मंडी से बाहर कोई खरीद नहीं रहा है. ऐसे में लौकी या तो फेंकी जा रही है या ट्रक भर लौकी गौशाला में गायों के लिए भेजी जा रही है.

पूरनपुर क्षेत्र में लौकी, तुरई, खीरा, कद्दू जैसी हरी सब्जी बहुतायत में पैदा की जाती है और यहां से देश की राजधानी दिल्ली समेत पूरे प्रदेश में भेजी जाती है. हालांकि, बीते 20 दिन से लौकी मंडी में तो आ रही है लेकिन मंडी से बहार नहीं जा पा रही है. विजय पाल विक्की आढ़ती का कहना है कि लौकी पहले से खरीद रखी है और इसका भुगतान किसानों को खड़ी फसल के दौरान कर दिया जाता है. 

Bottle Gourd Farming in Pilibhit: लौकी नहीं बिकने से किसान परेशान

ऐसे में जो अपनी फसल का मूल्य ले चुका वह लौकी को अपने आढ़तियों के पास भेज देता है. लेकिन मंडी से लौकी बाहर बाजार में नहीं जा पा रही है. लौकी को एक रुपए का भाव भी नहीं मिल पा रहा है और लोकल बाजार में भी लौकी नहीं बिक रही है.

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उन्होंने बताया कि लौकी के ट्रक को बाहर भेजने में बहुत खर्च हो रहा है. महंगाई के चलते कोई भी बाहर का खरीददार लौकी के ट्रक हम लोगों से नहीं मंगा रहा है. ऐसे में लौकी को कूड़े में फेंकना पड़ता है. साथ ही एक या दो ट्रक आसपास की गौशाला में भेज देते हैं. हमारी बात को कोई सुनने वाला नहीं है.

Bottle Gourd Farming in Pilibhit: किसान लौकी नहीं बिकने से परेशान

आढ़ती ने कहा कि यही हाल रहा तो हम बर्बाद हो जाएंगे. आढ़तियों के साथ वो किसान भी परेशान हैं जो सीधे अपनी फसल नगद खेत से बेचते हैं, उनसे भी उनकी फसल कोई नहीं ले रहा. छोटे फेरी बाले शहर के खुले बाजार में पूरे दिन लौकी बेचते हैं जब नहीं बिकती तो कूड़े में फेंक कर चले जाते हैं.

 

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