मेथी का इस्तेमाल मुख्य रूप से मसाले के लिए किया जाता है. मेथी के दानों का इस्तेमाल अचार, सब्जी, आयुर्वेदिक औषधि, सौंदर्य प्रसाधन की चीजों को बनाने में किया जाता है. वहीं, सर्दियों में लड्डू आदि बनाने में भी इसका प्रयोग किया जाता है. इसमें कई औषधीय गुण भी पाए जाते हैं. इसकी खेती एक नकदी फसल के रूप में की जाती है. यदि किसान इसकी व्यावसायिक रूप से खेती करें तो अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. ऐसे में अगर आप भी मेथी की खेती करना चाहते हैं और मेथी के बीज मंगवाना चाहते हैं तो नीचे दी गई जानकारी की सहायता से घर बैठे आसानी से मेथी के बीज ऑनलाइन मंगवा सकते हैं.
राष्ट्रीय बीज निगम (National Seeds Corporation) की वेबसाइट पर पूसा अर्ली बंचिंग किस्म के मेथी के बीज उपलब्ध हैं. इस किस्म को कम समय में अच्छी पैदावार देने के लिए तैयार किया गया है. इस किस्म के पौधों पर फलियां गुच्छों में आती है. इसके पौधों को हरी पत्ती और पैदावार दोनों के लिए उगाया जाता है. इसकी हरी पत्तियों को दो से तीन बार आसानी से काटा जा सकता है. इसके पौधे रोपाई के लगभग 120 दिन के आस-पास पककर तैयार हो जाते हैं.
यहां से खरीदें मेथी के बीज
राष्ट्रीय बीज निगम (National Seeds Corporation) किसानों की सुविधा के लिए ऑनलाइन मेथी की उन्नत किस्म पूसा अर्ली बंचिंग बीज बेच रहा है. इस बीज को आप ओएनडीसी के ऑनलाइन स्टोर से खरीद सकते हैं. यहां किसानों को कई अन्य प्रकार की फसलों के बीज भी आसानी से मिल जाएंगे. किसान इसे ऑनलाइन ऑर्डर करके अपने घर पर डिलीवरी करवा सकते हैं.
ऑफर में मिलेगा फ्री मग
आप अपनी खेती में बेहतर उत्पादन के लिए पूसा अर्ली बंचिंग किस्म के मेथी की खेती कर सकते हैं. इसके 5 पैकेट बीज को खरीदने पर एक मग फ्री में मिल रहा है. आपको बता दें कि ये ऑफर 18 दिसंबर तक ही उपलब्ध है. वहीं, ये सामान आपको बाजार की कीमतों से सस्ता मिलेगा. बात करें मेथी के बीज की कीमत की तो इसका 100 ग्राम का पैकेट आपको फिलहाल 42 प्रतिशत छूट के साथ मात्र 20 रुपये में राष्ट्रीय बीज निगम के ऑनलाइन स्टोर पर मिल जाएगा.
ऐसे करें मेथी की बुवाई
देश के ज्यादातर इलाकों में समय बचाने के लिए मेथी की बुवाई छिड़काव विधि से की जाती है. वहीं, अच्छी और स्वस्थ पैदावार के लिए मेथी के बीजों की कतारों में बुवाई करना ज्यादा फायदेमंद रहता है. दरअसल, लाइनों में मेथी के बीज लगाने पर निराई-गुड़ाई, खरपतवार प्रबंधन और कीट-रोगों की निगरानी बनी रहती है, जिससे नुकसान की संभावना कम रहती है.