Increase production of paddy: धान खरीफ की मुख्य फसलों में से एक है. इसकी बुवाई की शुरुआत हो चुकी है. हालांकि, पिछले कुछ सालों में धान के पैदावार में पहले के मुकाबले कमी देखी गई है. सरकार लगातार इस स्थिति से निपटने के लिए किसानों को कई योजनाएं के माध्यम से प्रोत्साहित करती रहती है. बता दें कि किसान कुछ तरीके अपना कर अपने फसल का उत्पादन बढ़ा सकते हैं.
समय-समय पर देते रहे पोषक तत्व
धान की रोपाई करने के बाद बाद इसके पोषण पर खास ध्यान दें. पोषक तत्व नहीं मिलने पर धान की बालियां कमजोर हो जाती हैं. इस दौरान ध्यान रखें फसल को सीमित मात्रा में नाइट्रोजन और जिंक का पोषण मिल रहा है. इससे धान के पौधे का विकास अच्छे से होगा और पैदावार भी बढ़ेगा.
सिंचाई पर दें खास ध्यान
बता दें कि धान की फसल को पानी की बेहद आवश्यकता पड़ती है. ऐसे में किसान इसकी सिंचाई का जरूर ध्यान रखें. समय-समय पर सिंचाई नहीं मिलने पर धान का पौधा कमजोर हो सकता है. हालांकि खेतों से धान की रोपाई के 20-25 दिनों के बाद कुछ समय के पानी निकाल दें. इससे धान की जड़ों का धूप और आक्सीजन सही से मिल पाता है और फसल का विकास और अच्छे से होता है.
निड़ाई-गुड़ाई अच्छे तरीके से करें
धान की बुवाई से पहले हमें खेतों की निड़ाई-गुड़ाई अच्छे तरीके से करनी चाहिए. निड़ाई-गुड़ाई अच्छे तरीके से होने के बाद भी फसल को विकास करने का अच्छा मौका मिलता है. इससे अलावा खेतों में खरपतवार नहीं जमा होना चाहिए, नहीं तो फसल उत्पादन पर बुरा प्रभाव पड़ता है. इसके अलावा समय-समय पर खेतों को बांस की लंबी लकड़ी से पाटा करने की प्रकिया जरूर अपनाएं.
धान की फसल पर समय-समय पर जीवामृत, जैविक खाद या एंजाइम जरूर डालें, इससे पौधों में बढ़िया तरीकें से वृद्धि होती हैं और जड़ें मजबूत होती है. साथ ही पौधों में धान संबंधित बीमारियों से लड़ने की क्षमता पैदा होती हैं और धान का उत्पादन बढ़िया होता है.