अगर कुछ करने का जूनुन हो तो हर कठिनाई दूर हो जाती है. ऐसा ही कुछ कर दिखाया है, हरियाणा के करनाल जिले के रहने वाले किसान बलविंद्र सिंह ने, जिन्होंने प्राइवेट नौकरी छोड़कर मशरूम की खेती शुरू की थी, जिससे उन्हें इतना मुनाफा हुआ कि वो अब कई लोगों को रोजगार दे रहे हैं.
प्रगतिशील किसान ने प्राइवेट नौकरी छोड़कर मशरूम की खेती शुरू की, जिसके बेहतर परिणाम आने लगे जिसके बाद किसान ने आगे मशरूम खेती करने का ही सोचा. किसान बलविंद्र अब मात्र डेढ़ एकड़ से लाखों रुपये कमा रहा हैं. इसके साथ-साथ किसान बलविंद्र दूसरों को रोजगार के अवसर भी प्रदान कर रहे हैं.
नौकरी छोड़ शुरू की मशरूम की खेती
किसान की मानें तो करीब 20 लोगों को नौकरी पर रखा गया है, जैसे-जैसे मशरूम की खेती का दायरा बढ़ रहा है, उसी अनुपात में नौकरी के अवसर बढ़ रहे है. प्रगतिशील किसान आसपास के गांवों के उन युवाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत बने हुए है, जो लोग गांवों से दूर रहकर कम सैलरी पर प्राइवेट नौकरी कर रहे हैं. ऐसे युवाओं के लिए किसान बलविंद्र एक आशा की किरण बनकर उभरे हैं, युवा लोग अब बलविंद्र को देखकर अपना व्यवसाय व बागवानी खेती की ओर रूख करने का मन बना रहे हैं.
प्रगतिशील किसान बलविंद्र ने बताया कि वह एक बड़े होटल में प्राइवेट नौकरी कर रहे थे, उन्हें लगा कि नौकरी के साथ कोई दूसरा काम किया जाए तो उसके बाद उन्होंने कई काम खोजे. इनमें से उन्हें मशरूम का काम काफी अच्छा लगा, क्योंकि मशरूम की खेती में भविष्य के लिए रोजगार और आर्थिक लाभ काफी ज्यादा है. इसी को ध्यान में रखकर उन्होंने मशरूम की खेती शुरू की.
उन्होंने पहले कच्चे शेड लगाए, जिनमें कम खर्च लेकिन मुनाफा ज्यादा होता है. इसके बाद पक्के शेड लगाए, जिनमें बिजली खर्च ज्यादा होता है. उन्होंने बताया कि पक्के शेड लगाने पर सरकार की तरफ से उन्हें करीब 40 प्रतिशत सब्सिडी मिली थी. वहीं सब्जियों के शेड में भी ज्यादा मुनाफा आता है. मशरूम की खेती के लिए उनके पास करीब 20 लोग काम करते हैं. परपंरागत खेती में जैसे गेहूं और धान में किसानों को ज्यादा लाभ नहीं मिलता. अगर मशरूम की खेती सही तरीके से की जाए तो लागत से दोगुना मुनाफा होता है.
खर्च के बारे में दी जानकारी
बलविंद्र ने बताया कि पहले डेढ़ एकड़ में काम किया, एक बैच की बात करें तो करीब डेढ़ लाख रुपए का खर्च आता है. जिसमें एक रूम से 3 से साढ़े 3 लाख रुपए तक के मशरूम निकल आते हैं. उन्होंने बताया कि सब कुछ मार्केट रेट पर निर्भर करता है. शुरूआत में मशरूम को बेचने में दिक्कत आती थी, लेकिन धीरे-धीरे मार्केट बन गई, आपस में लिंक बनते चले गए.
इसके अलावा जम्मू कश्मीर में हम लोग मशरूम भेजते है,जहां पर रेट सही मिल जाते है. वहीं मशरूम की खेती के एक माह बाद ही मशरूम का उत्पादन शुरू हो जाता है. उन्हें मशरूम की खेती करते हुए करीब 6 साल हो गए हैं, उन्होंने किसानों से अपील की कि वे परपंरागत खेती छोड़कर मशरूम की खेती करें, मशरूम का उत्पादन बढ़ाएं क्योंकि मशरूम स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है और डॉक्टर भी मशरूम को भोजन में शामिल करने की सलाह देते है.