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शहर की नौकरी छोड़ गांव वापस लौटे दो भाई, मशरूम की खेती से ऐसे कमा रहे लाखों, पीएम मोदी कर चुके हैं तारीफ

टिहरी जिले के ये दो भाई पहाड़ों से पलायन कर रहे युवाओं के लिए मिसाल साबित हो रहे हैं. दिल्ली में नौकरी छोड़ वापस अपने गांव लौटे इन भाइयों ने मशरूम का प्लांट लगाया है. इससे ये लोग पहाड़ों में अच्छी कमाई के साथ-साथ रोजगार भी पैदा कर रहे हैं. पीएम मोदी खुद इन दो भाइयों की तारीफ कर चुके हैं.

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Mushroom Ki Kheti (Representational Image)
Mushroom Ki Kheti (Representational Image)

जहां एक ओर पहाड़ों से युवा पलायन कर शहर की ओर रुख कर रहा है. वहीं टिहरी जिले के चंबा ब्लॉक के डडूर  गांव निवासी सुशांत उनियाल और प्रकाश उनियाल पहाड़ से पलायन कर रहे युवाओं के लिए एक मिसाल से कम नहीं हैं. आज सुशांत और प्रकाश की गिनती सफल उद्यमियों में होती है. दूसरे तमाम पलायन कर चुके पहाड़ी भाईयों की तरह ये दोनों भी दिल्ली में जॉब कर रहे थे, लेकिन मन पहाड़ में ही लगा रहा. साल 2018 में दोनों भाई एक बार फिर गांव लौट आए और यहां बंजर खेतों में मशरूम प्लांट लगाया. 

दिल्ली में छोड़ी नौकरी
आज दोनों भाई मशरूम प्लांट के माध्यम से कई लोगों को रोजगार दे रहे हैं. सुशांत और प्रकाश चंबा के डडूर गांव के रहने वाले हैं. आज उनके पास गढ़वाल क्षेत्र का सबसे बड़ा मशरूम प्लांट है. सुशांत दिल्ली में मल्टीनेशनल कंपनी में सेल्स मैनेजर थे, जबकी उनके भाई प्रकाश बैंक में जॉब कर रहे थे. कहने को दोनों देश की राजधानी में थे, लेकिन दिल हर वक्त गांव में लगा रहता था. 2018 में दोनों भाई दिल्ली की नौकरी छोड़कर गांव लौटे और खुद का काम शुरू करने की योजना बनाई.

सरकार से ली मदद
साल 2019 में उन्होंने केंद्र सरकार की मिशन ऑफ इंटीग्रेटेड डेवलपमेंट आफ हिल्स (एमआइडीएच) योजना के तहत 28.65 लाख रुपये का लोन लिया और गांव में ही ढिंगरी मशरूम का प्लांट लगाया. देखते ही देखते काम चल निकला. लॉकडाउन में जब लोगों की नौकरियां जा रही थीं, तब भी प्रकाश और सुशांत ने 10 लाख रुपये का व्यापार किया. 

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आज वो क्षेत्र के 15-20 युवाओं को रोजगार दे रहे हैं. सीजन के दौरान ज्यादा कर्मचारियों की नियुक्ति की जाती है. उनके प्लांट में हर महीने एक हजार किलो ढिंगरी मशरूम का उत्पादन होता है. स्थानीय बाजार में वह 150-180 रुपये किलो की दर से मशरूम बेचते हैं. मशरूम प्लांट से उन्हें सालभर में 24 लाख का टर्नओवर हो रहा है, जो कि संसाधनों की कमी वाले उत्तराखंड जैसे राज्य में बड़ी उपलब्धि है. उनके उत्पाद चंबा, नई टिहरी, ऋषिकेश, देहरादून के अलावा दिल्ली तक भेजे जाते हैं. सुशांत और प्रकाश उनियाल के रिवर्स पलायन और गांव में रहकर ही स्वरोजगार से जुड़ना और ग्रामीणों को भी स्वरोजगार से जोड़ने पर पीएम मोदी ने भी सुशांत और प्रकाश की तारीफ की है. 

पीएम मोदी भी कर चुके हैं तारीफ

सुशांत उनियाल और प्रकाश की मेहनत और कामयाबी को देखकर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्चुअल के माध्यम से सुशांत उनियाल और प्रकाश उनियाल की तारीफ कर शुभकामनाएं दीं. पीएम मोदी ने दोनों की पीठ थपथपाते हुए कहा है कि जो कहावत पहाड़ के लिए कही जाती है, (पहाड़ का पानी और पहाड़ की जवानी, पहाड़ के काम नहीं आती है) आप दोनों ने इसे उलट कर पहाड़ में स्वरोजगार कर एक मिसाल कायम की है. इससे पहाड़ से पलायन काफी हद तक रुक सकता है. 

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सुशांत उनियाल और प्रकाश उनियाल ने 'उत्तराखंड तक' से खास बातचीत में कहा है कि हम दोनों भाइयों ने उत्तराखंड से जो पलायन हो रहा है उसपर विचार किया और सोचा कि जबतक पढ़ा-लिखा युवा पहाड़ की ओर रुख नहीं करेगा तब तक पहाड़ का उत्थान नहीं हो सकता है. इसको देखते हुए हम दोनों भाइयों ने पहाड़ में ही स्वरोजगार करने का मन बनाया और जिसके बाद हमने पहले पुराने खंडर हो चुके घरों पर मशरूम का उत्पादन किया, मशरूम की अच्छी पैदावार होने के बाद हमने इसे बड़े स्तर पर फोकस किया, जिसके बाद आज अच्छा मुनाफा मिल रहा है. 

 

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