scorecardresearch
 

हरी भिंडी जितनी ही पौष्टिक है 'लाल भिंडी', कई राज्‍यों के किसान कमा रहे हैं खेती से मुनाफा

Red Lady Finger Cultivation: ऐसा नहीं है कि हरे के बजाए लाल हो जाने पर 'काशी लालिमा' की पौष्टिकता कम हो गई, बल्कि कहीं ज्यादा बढ़ गई. काशी लालिमा के बीज उपलब्ध होने के बाद यूपी तो नहीं, बल्कि मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ के किसानों ने ज्यादा रूचि दिखाई और अब मुनाफा भी कमाया.

Advertisement
X
Kashi Lalima Red Ladyfinger
Kashi Lalima Red Ladyfinger
स्टोरी हाइलाइट्स
  • लाल भिंडी हरी भिंडी जितनी ही पौष्टिक है
  • दोनों ही भिंडी की लागत भी एक बराबर ही है

Red Lady Finger Cultivation: सब्जियों के साथ हरा रंग जरूर जोड़ा जाता है और विज्ञान भी मानता है कि हरी सब्जी सेहत के लिए बहुत ज्यादा स्वास्थ्यवर्धक रहती है. लेकिन क्या होगा अगर हरी सब्जी अपना रंग ही बदल दे. दरअसल लगभग दो साल पहले ऐसा हो सका है वाराणसी स्थित भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान की वजह से, जहां हरी भिंडी को लाल रंग में उगाया गया और नाम दिया गया 'काशी लालिमा'.

Advertisement

ऐसा नहीं है कि हरे के बजाए लाल हो जाने पर 'काशी लालिमा' की पौष्टिकता कम हो गई, बल्कि कहीं ज्यादा बढ़ गई. काशी लालिमा के बीज उपलब्ध होने के बाद यूपी तो नहीं, बल्कि मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ के किसानों ने ज्यादा रूचि दिखाई और अब मुनाफा भी कमाया.

'काशी लालिमा' को विकसित करने में 8-10 वर्षों की कड़ी मेहनत वाराणसी के भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने की है. दरअसल लाल भिंडी का विकास कहीं और पाई जाने वाली लाल भिंडी से हुआ. वैज्ञानिकों ने चयन विधि का प्रयोग करके इसी लाल भिंडी की प्रजाति को और विकसित किया.

इस भिंडी में आम हरी सब्जी यहां तक कि भिंडी में पाए जाने वाले क्लोरोफिल की जगह एंथोसाइनिन की मात्रा होती है जो इसके लाल रंग का कारक है. इतना ही नहीं, वैज्ञानिकों की माने तो इसमें आम भिंडी से कहीं ज्यादा आयरन, कैल्शियम और जिंक की मात्रा होती है.

Advertisement

सामान्य भिंडी से कहीं ज्यादा इसमें पोषक तत्व होने के चलते ये कहीं ज्यादा स्वास्थ्यवर्धक है. सामान्य हरी भिंडी की ही तरह इसको उगाना भी आसान होता है. इसमें लागत भी सामान्य भिंडी  जितनी ही आती है. इतना ही नहीं, इसके लाल रंग की वजह से इसमें एंटीऑक्सीडेंट कहीं ज्यादा है और वैज्ञानिक इसे पकाकर खाने के बजाए सलाद के रूप में खाने की सलाह देते हैं.

लाल भिंडी की खोज के वक्त वाराणसी में भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान के निदेशक रहे और अभी संस्थान में प्रधान वैज्ञानिक और फसल उत्पादन विभाग के विभागाध्यक्ष जगदीश सिंह ने बताया कि दो साल पहले ही इस लाल भिंडी यानी काशी लालिमा का बीज उनके कार्यकाल में बना लिया गया था. सामान्य हरी भिंडी जितनी ही लागत इस लाल भिंडी 'काशी लालिमा' की भी है. यूपी के किसानों के बजाए इसमें मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ के किसानों ने ज्यादा रुचि दिखाई है.

उन्होंने बताया कि उनके संस्थान में बीज तैयार हो जाने के बाद NSC यानि नेशनल सीड्स कॉरपोरेशन ने उनसे ओरिजनल सीड्स ले जाकर कई सौ कुंतल और बीज तैयार कर लिए. लेकिन अब उनका बीज भी नहीं बिक रहा है. हमारे रेट और उनके में काफी फर्क भी है, क्योंकि वह मुनाफा कमाते हैं. हमारे संस्थान से काशी लालिमा 400 रुपए किलो बिकता था, लेकिन यही NSC से 700 रुपए किलो में बिकता है.

Advertisement

काशी लालिमा यानी लाल भिंडी के फायदों के बारे में उन्होंने बताया कि खासकर गर्भवती महिलाओं के लिए जिनके शरीर में फोलिक अम्ल की कमी के चलते बच्चों का मानसिक विकास नहीं हो पाता है, वह फोलिक अम्ल भी इस काशी लालिमा भिंडी में पाया जाता है. इतना ही नहीं इस भिंडी में पाए जाने वाले तत्व लाइफ स्टाइल डिजीज जैसे हृदय संबंधी बीमारी, मोटापा और डायबिटीज को भी नियंत्रित करती है.

उन्होंने आगे कि लाल या हरी भिंडी पकने के बाद स्वाद में एक जैसी ही होती है. काशी लालिमा एक हेक्टेयर में हरी भिंडी 190-200 कुंतल तक पैदावार देती है तो वहीं काशी लालिमा की उपज 130-150 कुंतल तक ही है. वे बताते हैं कि उनके संस्थान के पहले छत्तीसगढ़ के कुछ जनजाति इलाकों में कुछ छात्र लाल भिंडी पैदा कर रहे हैं, लेकिन सबसे पहले भारत में इसको परिष्कृत रूप में वाराणसी के भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान में उगाया गया. इससे पहले अमेरिका के क्लम्सन विवि में भी लाल भिंडी को उगाया जा चुका है, लेकिन उसके बाद से ही भारत में लाल भिंडी पर काम नहीं हो पाया था.

 

Advertisement
Advertisement