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National Saffron Mission: दुनिया भर में कश्मीरी केसर की साख, सरकार के इन कदमों से बढ़ रही किसानों की आय!

केंद्र सरकार की तरफ से राष्ट्रीय केसर मिशन (National Saffron Mission) के लिए 400 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया गया है. इसी के तहत कश्मीर को अभी तक 266 करोड़ रुपये की राशि प्रदान कर दी गई है.

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Saffron production in Jammu and Kashmir
Saffron production in Jammu and Kashmir
स्टोरी हाइलाइट्स
  • केसर की खेती करने वाले किसानों की आय में इजाफा
  • केसर का सेवन सर्दी-जुकाम के लिए लाभकारी

National Saffron Mission: भारतीय किसान अब जागरूक होकर परंपरागत खेती से इतर नई-नई खेती की तरफ भी रूख कर रहे हैं. सरकार की तरफ से भी कई तरह की योजनाएं चलाई जा रही हैं. इधर, राष्ट्रीय केसर मिशन (National Saffron Mission) के तहत जम्मू-कश्मीर में बड़े स्तर पर केसर की खेती (Saffron Farming) की जा रही है. किसान ज्यादा मुनाफा कमा सकें इसके लिए 2015 में केसर उत्पादन और निर्यात प्राधिकरण का गठन भी किया गया था. जिसका फायदा ये हुआ कि पिछले कुछ सालों में राज्य में केसर का उत्पादन बढ़ा है.

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Jammu & Kashmir का विकास प्राथमिकता

कश्मीरी केसर की दुनिया भर में साख है. साल 2020 में सरकार ने इसे GI टैग भी दिया था. साथ ही जम्मू-कश्मीर कृषि विश्वविद्यालय भी अपने स्तर पर किसानों को जागरूक करने और नई-नई तकनीकों को उन तक पहुंचाने का काम कर रहे हैं. इन सबके अलावा केंद्र सरकार की तरफ से राष्ट्रीय केसर मिशन (National Saffron Mission) के लिए 400 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया गया है. इसी के तहत कश्मीर को अभी तक 266 करोड़ रुपये की राशि प्रदान भी कर दी गई है.

जम्मू-कश्मीर में केसर के बढ़ते उत्पादन को लेकर कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर का कहना है कि जम्मू-कश्मीर भारत का ताज है. भारत सरकार इसके विकास के लिए प्रतिबद्ध है. राज्य में कृषि क्षेत्र के विकास के लिए केंद्र द्वारा पैसों की कोई कमी नहीं आने दी जाएगी.

बढ़ेगी केसर की खेती करने वाले किसानों की आय

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हाल ही में कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने कश्मीर घाटी के पुलवामा जिले के पंपोर में इंडिया इंटरनेशनल कश्मीरी सैफरन ट्रेडिग सेंटर (केसर पार्क) का भी अवलोकन किया. इस पार्क में केसर की टेस्टिंग और पैकेजिंग करके उच्च गुणवत्ता का केसर विदेशों में निर्यात किया जाता है. इसके अलावा मांग के हिसाब से देश में भी केसर की पूर्ति जा रही है. सरकार के इस कदम से केसर के किसानों की आय निश्चित तौर पर बढ़ेगी और उनका जीवनस्तर बेहतर होगा.

कैसे होती है केसर की खेती?

केसर के उत्पादन रेतीली, चिकनी, बलुई या फिर दोमट सबसे उपयुक्त होती है. केसर की फसल लगने का सबसे सही समय जुलाई से अगस्त को माना जाता है. इसकी बुवाई के लिए 6-7 मीटर का गड्ढ़ा करना पड़ता है और दोनों पौधों के बीच की दूरी 10 सेंटीमीटर रखी जाती है, जिससे पौधे को बढ़िया विकास हासिल हो सके. इसके अलावा ये जरूर ध्यान रखें कि जहां केसर की खेती कर रहे हैं वहां जलनिकासी की बेहतर व्यवस्था हो. पानी के जमाव की वजह से केसर के पौधों को नुकसान पहुंचता है.

केसर के सेवन के क्या है फायदे?

केसर को लेकर कहा जाता है कि इसका सेवन करना बहुत ही फायदेमंद है. भारत में इसके सेवन को काफी महत्व भी दिया जाता है. इसलिए इसका मार्केट भी लगातार बढ़ रहा है. आइए जानते हैं केसर का उपयोग....

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