Tomato Price Hike: मॉनसून में सब्जियों के दाम आसमान छू रहे हैं. बात टमाटर की करें तो 10 रुपये बिकने वाला टमाटर 80 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गया है. एक अधिकारी के मुताबिक, टमाटर के बढ़ते दाम के बीच भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की तरफ से विकसित किए गए हाइब्रिड किस्में काफी मददगार साबित हो सकती हैं. अगर किसान इस किस्म को उगाने के लिए तैयार हो जाते हैं तो आने वाले समय में आम जनता को टमाटर के बढ़ते दाम को लेकर परेशान नहीं होना पड़ेगा. इसके साथ ही इससे किसानों को काफी फायदा हो सकता है क्योंकि इस नई किस्म के टमाटर की शेल्फ लाइफ 3 सप्ताह है.
तीन सप्ताह तक टमाटर के शेल्फ लाइफ का दावा
हालांकि, टमाटर की नई किस्में किसानों को अपनाने और खेती के क्षेत्र में वृद्धि पर निर्भर करती है. Indian Institute of Horticultural Research (IIHR)(भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान ) की तरफ से दो तरह के टमाटर की हाइब्रिड किस्में अर्का रक्षक और अर्का अबेध विकसित की गई है. इन दोनों किस्मों के टमाटर की शेल्फ लाइफ का दावा तीन सप्ताह तक किया जा रहा है, जो कि टमाटर की तुलना में काफी ज्यादा है. अभी मार्केट में बिकने वाले टमाटर की शेल्फ लाइफ 7 -10 दिन है. अगर किसान इस किस्म के टमाटर को उगाने में सफल होते हैं तो आने वाले समय में यह किसानों के लिए काफी फायदेमंद होगा क्योंकि मॉनसून में भारी बारिश के कारण किसानों के खेतों की फसल बर्बाद हो जाती है
10 साल में हुआ 3,600 करोड़ रुपये का कारोबार
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के महानिदेशक हिमांशु पाठक ने संस्थान के 96वें फाउंडेशन और टेक्नोलॉजी डे के मौके पर कहा कि, "हमने टमाटर की एक किस्म विकसित की है, जिसकी शेल्फ लाइफ तीन सप्ताह तक है. हमें इन किस्मों को लेकर विस्तार करने की जरूरत है. पाठक ने आगे कहा कि जलवायु परिवर्तन अक्सर टमाटर, आलू और प्याज जैसी प्रमुख सब्जियों के उत्पादन को प्रभावित करती है. आईसीएआर के रिसर्च ने आपूर्ति में उतार-चढ़ाव और उसके बाद मूल्य अस्थिरता को कम करने के लिए फसल की शेल्फ लाइफ को बढ़ाने को प्राथमिकता दी है. आईआईएचआर के वरिष्ठ वैज्ञानिक चन्द्रशेखर सी के अनुसार, अर्का रक्षक, 2012 में विकसित किया गया भारत का पहला ट्रिपल रोग प्रतिरोधी टमाटर एफ1 हाइब्रिड है, जिसकी खेती वर्तमान में 7,000 हेक्टेयर में की जाती है. हाइब्रिड तकनीक का लाइसेंस 11 कंपनियों को दिया गया है, जिसके बारे में अनुमान है कि इस किस्म ने 2012-22 के दौरान बीज बिक्री से 7,000 हेक्टेयर में 3,600 करोड़ रुपये का कारोबार किया है.
बीज की बिक्री के लिए की गई साझेदारी
तीन साल पहले जारी अर्का अबेध की शेल्फ लाइफ तीन सप्ताह है. इस किस्म की फसल दूर मार्केट में भेजने के लिए काफी उपयुक्त है. अगर किसान इस तरह की फसल को बाहर भेजना चाहते हैं तो इसे बिना किसी नुकसान के भेज सकते हैं. यह दोनों किस्में टमाटर लीफ कर्ल वायरस, बैक्टीरियल विल्ट और अर्ली ब्लाइट सहित कई बीमारियों के लिए प्रतिरोध प्रदान करती है. हालांकि, इसकी कीमत इन चीजों पर निर्भर करेगी कि किसान इसे किस तरीके से अपनाते हैं, अगर ज्यादा से ज्यादा किसान इसे अपनाएंगे तो मार्केट में टमाटर की कीमतों में कमी आएगी. IIHR ने बीज की बिक्री और कवरेज बढ़ाने के लिए हाल ही में राष्ट्रीय बीज निगम के साथ साझेदारी की है.
भारत में 8-10 लाख हेक्टेयर में होती है टमाटर की खेती
हालांकि, भारत में टमाटर की खेती 8-10 लाख हेक्टेयर में होती है, इन दो किस्मों के कवरेज पर सटीक डेटा अस्पष्ट है, जिससे भविष्य की विस्तार योजनाएं तैयार करना चुनौतीपूर्ण हो गया है. आम जनता बढ़ती सब्जियों की कीमतों के कारण परेशान हो रही है, अब यह जिम्मेदारी सरकार की है कि सार्वजनिक लाभ के लिए इस नई कृषि नवाचार (Agricultural Innovation) का लाभ उठाएं. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, सोमवार को दिल्ली, मुंबई और कोलकाता में टमाटर की खुदरा कीमत 80-83 रुपये प्रति किलोग्राम के बीच चल रही हैं. इसी तरह कई और सब्जी मंडियों में टमाटर के दाम आसमान छूते देखे गए. लंबे समय तक चलने वाले इस टमाटर की किस्मों को लेकर किसानों को जागरूक करना होगा ताकि विविध कृषि-जलवायु क्षेत्र जैसे भारत में किसान इसे अपनाएं और इस किस्म को उगाने के लिए प्रयास करें.