किसान हमेशा शिकायत करते हैं कि परंपरागत खेती से उन्हें खास मुनाफा हासिल नहीं हो रहा है. ऐसी स्थिति में किसान कई अन्य फसलों की तरफ रूख कर रहे हैं. पिछले कुछ समय से कुछ राज्य सरकारें फलदार वृक्षों को बढ़ावा देने के लिए कई तरह के कार्यक्रम भी आयोजित कर रहे हैं. ऐसी ही एक फसल पपीते की भी है, जिसकी खेती कर किसान भाई अच्छा खासा मुनाफा कमा सकते हैं.
पपीते की खेती के किस तरह की जलवायु और मिट्टी है उपयुक्त
पपीता देश का एक ऐसा फल है जिसे कम लागत में किसान आसानी से उत्पादन कर सकता है. इसकी खेती के लिए हल्के गरम जलवायु की जरूरत होती है. साफ शब्दों में अगर कहें तो इसकी खेती 10 से 30 डिग्री सेल्सियस तापमान के अंदर करना ज्यादा उपयुक्त है. इसके अलावा पौधे का विकास हो उसके लिए दोमट या बलुई मिट्टी ज्यादा उपयुक्त होती है. मिट्टी का पीएच मान 6.5 से 7 हो तो ज्यादा बेहतर है. साथ ही पपीते के पौधे को ठंड और गरम दोनों मौसम में लगाया जा सकता है.
सीतापुर के सुल्तानपुर थाने के इमलिया गांव निवासी रोहित सिंह उर्फ राहुल कुल 5 एकड़ में पपीते की खेती करते है. वे कहते हैं कि पपीते की खेती एक बार लगाने के बाद 24 महीने तक फल देता रहता है. दो साल के लिए 5 एकड़ में पपीते की खेती करने में उन्हें 2 से तीन लाख की लागत लगती है. साथ ही उन्हें इतने ही समय में 1300 से 1500 कुंतल पपीते का उत्पादन कर देते हैं, जिससे उन्हें 12 से 13 लाख का मुनाफा हासिल हो जाता है. वह आगे कहते हैं कि ये मुनाफा कभी-कभी मांग के आधार पर बढ़ भी जाता है. लेकिन कोरोनावायरस की वजह से इधर इसपर भी कुछ असर पड़ा है.
क्या है खेती का तरीका
इसकी खेती के लिए पहले क्यारियां तैयार करनी पड़ती है. जहां बीज के माध्यम से पौधा तैयार किया जाता है. पौधा तैयार करने के बाद इसे खेतों में रोपने का काम किया जाता है. रोहित लाइन से लाइन 1 फीट और पौधे से पौधे की दूरी 6 फीट रखते हैं. उनके मुताबिक मुताबिक वे एक एकड़ में तकरीबन 100 ग्राम बीज का उपयोग करते हैं. जिसकी इस समय मार्केट में कीमत 30 से 35 हजार रूपये होती है. इसके इलावा वह खेतों में जैविक खाद्य का उपयोग करते हैं जिससे उनकी खेती की लागत भी काफी हद तक नियंत्रण में रहती है.
किन बातों का रखें ध्यान
पपीते के पौधों को ठंड में पाला लगने की संभावना काफी रहती है. ऐसे में पौधों पाला से बचाना बहुत जरूरी है. कई किसान पौधों के पास ठंड के समय में धुआं सुलगा देते हैं जिससे पौधें को गर्माहत मिलती रहे.
1. पपीता का पौधा खेतों ज्यादा पानी जमा होना सहन नहीं कर सकता है. ऐसी स्थिति में खेतों में जलनिकासी की व्यवस्था काफी बेहतर होनी चाहिए.
2. वैसे तो ठंड के मौसम में पपीते की खेती को सिंचाई की ज्यादा जरूरत नहीं होती, लेकिन गर्मी के मौसम में इसकी विशेषज्ञों की सलाह के अनुसार सिंचाई करना बेहद आवश्यक है.
कहां उपलब्ध है बाजार
पपीता का बाजार वैसे तो स्थानीय तौर पर हर जगह उपलब्ध है. लोगों में इस फल की मांग काफी ज्यादा रहती है तो हाथों-हाथ बिक जाते हैं. इसके अलावा रोहति बताते हैं कि पपीते का उपयोग दवाओं से लेकर कॉस्मेटिक्स तक में होता है, ऐसे इन प्रोडक्ट का निर्माण करने वाली कंपनियां भी किसानों से संपर्क कर इस फल को खरीदने को तैयार रहती हैं.