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पशुधन

ये गायें पशुपालकों को कर देंगी मालामाल, कई गुना बढ़ेगा दूध का कारोबार

Cow Farming Tips (Pic credit: Flickr)
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ग्रामीण क्षेत्रों में खेती-किसानी के बाद आमदनी का सबसे तगड़ा स्रोत पशुपालन को ही माना जाता है. गाय और भैंस पालन के सहारे किसान काफी अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. देसी गायों को पहचानना बेहद आसान है. इन गायों में कूबड़ पाया जाता है. बड़े पैमाने पर किसान राठी, गिर,अमृतमहल जैसी गायों का पालन कर रहे हैं.

Gir cow farming
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गिर नस्ल की गाय को भदावरी, देसन, गुजराती, काठियावाड़ी, सोरथी और सुरती भी कहा जाता है. यह गुजरात में दक्षिण काठियावाड़ के गिर जंगलों में उत्पन्न हुई, जो महाराष्ट्र और राजस्थान में भी पाई जाती हैं. इनकी त्वचा का मूल रंग गहरा लाल या चॉकलेट-भूरा होता है. यह कभी-कभी काले या पूरी तरह से लाल भी होती हैं. इनके दुग्ध उत्पादन की क्षमता 1200-1800 किलोग्राम प्रति स्तनपान के बीच होती है.

Rathi cow farming tips
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राठी गाय मूल रूप से राजस्थान की मानी जाती है. ज्यादा दूध देने की क्षमता को देखते हुए ये दुग्ध व्यवसायियों की पसंदीदा बनी हुई है. राठी नस्ल का नाम राठस जनजाति के नाम पर पड़ा है. यह गाय प्रतिदन औसतन 6 -10 लीटर तक दूध देती है. अच्छी तरह देखभाल करने पर इस गाय की दूध देने की क्षमता 15 से 18 लीटर प्रतिदिन तक हो सकती है.

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Amritmahal cow
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अमृतमहल गाय आमतौर पर कर्नाटक क्षेत्र में पायी जाती है. गाय की इस नस्ल को अमृत महल को डोड्डादान के नाम से भी जाना जाता है. इस नस्ल की गाय का रंग खाकी होता है. इस नस्ल की गाय के नथुने कम चौड़े होते हैं, साथ ही दूध उत्पादन क्षमता कम होती है. ये गाय एक दिन में 10 लीटर तर दूध देती है.

dairy farming news
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अगर आप गांव में रहकर बढ़िया आमदनी पाना चाहते हैं, तो डेयरी फार्म के व्यवसाय में इन गायों को एड कर सकते हैं.  इस बिजनेस में कम लागत में अच्छा मुनाफा है. इसके लिए आपको केवल आपको उन पशुओं की आवश्यकता है जो दूध देते हैं. साथ ही सरकार भी डेयरी खोलने के लिए आर्थिक मदद भी करते हैं.

Dairy Farming Subsidy
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इस योजना के तहत नाबार्ड डेयरी फार्म खोलने को इच्छुक किसानों को 25 प्रतिशत तक की सब्सिडी देता है. वहीं, एसटी / एससी किसानों को इसी काम के लिए 33.33 प्रतिशत तक की सब्सिडी दी जाती है. नाबार्ड की इस योजना के किसान, व्यक्तिगत उद्यमी, गैर सरकारी संगठन, कंपनियां आवेदन कर सकती हैं. 

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