ग्रामीण क्षेत्रों में बत्तख पालन की तरफ किसान तेजी से रुख कर रहे हैं. विशेषज्ञों के अनुसार बत्तख पालन, पोल्ट्री फार्मिंग कारोबार से ज्यादा किफायती और मुनाफे वाला है. सरकार भी सब्सिडी देकर किसानों को इस व्यापार के लिए प्रोत्साहित कर रही है.
बत्तखों को जल्द बीमारियां नहीं लगती हैं. साथ ही ये पक्षी अपने आपको किसी भी मौसम या जलवायु में ढाल सकते हैं. इनपर ज्यादा खर्च भी नहीं करना पड़ता है. भोजन के तौर पर पानी में रहने वाले कीड़े-मकोड़े, छोटी मछलियाँ, मेढ़क आदि को भोजन के तौर पर उपयोग करते हैं.
बत्तख एक बार में 40 – 50 अंडे देती है. हर अंडे का वजन तकरीबन 15 से 20 ग्राम होता है. अंडे का छिलका बहुत मोटा होता है, इसलिए टूटने का डर भी नहीं रहता है. इसके लिए ज्यादा जगह की जरूरत नहीं पड़ती. आप नजदीकी तालाब में भी बत्तख पालन कर सकते हैं.
बत्तख के अंडे और मांस दोनों की मार्केट में काऱी डिमांड है. इनमें प्रोटीन की मात्रा मुर्गियों के मांस और अंडे से भी ज्यादा पाई जाती है. बत्तख पोल्ट्री फार्म खोलने के लिए नाबार्ड की तरफ से 25 प्रतिशत तक की सब्सिडी भी दे जाती है. वहीं एससी और एसटी वर्ग को 35 प्रतिशत तक की सब्सिडी दी जाती है. इसके अलाव SBI भी बत्तख पालन को अपनाने पर लोन देता है.
बत्तख पालन शुरू करने के लिए शांत स्थान सबसे उपयुक्त माना जाता है. तालाब के आसपास का स्थान इसके लिए बेहद उपयुक्त साबित होता है. बत्तख पालन करने वाले स्थान पर तालाब नहीं है, तो आप अपनी आवश्यकता के मुताबिक तालाब की खुदाई करा सकते है.