देश के ग्रामीण क्षेत्रों में बड़ी संख्या में किसान भेड़ पालन करते हैं. इन भेड़ों के रोएं से ऊन और चमड़े से कई सारे उत्पादन बनाने का काम किया जाता है. इसके अलावा इनका दूध भी बाजार में अच्छी कीमतों पर बिकता है. फिलहाल, किसानों के बीच यह व्यवसाय लोकप्रिय होता जा रहा है.
गाय, भैंस और बकरियों के मुकाबले भेड़ पालन बेहद आसान है. भेड़ें ज्यादातर हरी घास और पत्तियां खाती हैं. उनके चारे की व्यवस्था के लिए इतनी लागत नहीं आती है. देश में इस वक्त मालपुरा, जैसलमेरी, मंडियां, मारवाड़ी, बीकानेरी, मैरिनो, कोरिडायल रामबुतु ,छोटा नागपुरी शहाबाबाद प्रजाति के भेड़ों का चलन ज्यादा है.
केंद्र सरकार द्वारा नेशनल लाइवस्टॉक मिशन के तहत भेड़ पालन पालन के लिए 50 प्रतिशत तक की सब्सिडी दी जाती है. इसके अलावा कई राज्य सरकार अपने-अपने स्तर पर किसानों को भेड़ पालन के लिए प्रोत्साहित करने के लिए अनुदान दिया जाता है.
विशेषज्ञों कहते हैं कि किसान सिर्फ एक लाख रुपये के खर्च में भेड़ पालन शुरू कर सकते हैं. बाजार में एक भेड़ की तीन से आठ हजार रुपये बिकती हैं. ऐसे में भेड़ पालन से किसान सस्ती लागत में ज्यादा मुनाफा कमा सकता है.
ग्रामीण क्षेत्र के लोगों के लिए भेड़ पालन आय का प्रमुख साधन माना गया है. इसके ऊन, मांस और दूध को बेचकर बाजार में बढ़िया मुनाऱा हासिल किया जा सकता है . इसके अलावा भेड़ का गोबर भी बहुत अच्छा उर्वरक माना जाता है. इसके उपयोग खेतों की उत्पादकता को बढ़ाया जा सकता है.