Gambusia Fish Farming: उत्तर प्रदेश के कई जिले इस समय डेंगू और मलेरिया के बुखार से जुझ रहे हैं. इस बीच बदायूं के मछली पालक जिया-उल-इस्लाम काफी चर्चा में हैं. वे गंबूसिया प्रजाति की एक मछली का बड़े स्तर उत्पादन करते हैं. इस मछली की खास बात ये है कि ये पानी में मौजूद मच्छरों के लार्वा को चट कर जाती है. जिससे मच्छर जनित रोगों का खतरा काफी हद तक कम हो जाता है.
PHd के छात्र जिया-उल-इस्लाम बताते हें कि 6 साल पहले उनके पिता ने शौकिया तौर पर गांव में ही तालाब किराए पर लेकर मछली पालन का व्यवसाय शुरू किया था. समय के साथ वे भी अपने पिता के के कामों में हाथ बंटाने लगे. इस समय उनके पास 35 तालाब हैं, जिसमें वे विभिन्न किस्म की मछलियों का उत्पादन कर रहे हैं.
मच्छरों के खिलाफ प्रभावी है गंबूसिया मछली
जिया अपने तालाब के लिए मछलियों के बीज को बंगाल से मंगाते हैं. एक बार गलती से उन्ही बीजों के बीच गंबूसिया भी आ गई. मछलियों में रुचि होने के कारण उन्होंने इसके बारे में जानकारी जुटाना शुरू किया. इस दौरान उन्हें पता चला कि इस मछली को वेस्टर्न मॉसक्वीटो फिश के नाम से भी जाना जाता है. विशेषज्ञों का कहना है कि गंबूसिया जिस भी तालाब या पोखर में रहती है, तो वहां मौजूद मच्छरों के लार्वा का उपयोग अपने भोजन के तौर पर करती है.
बढ़ गई है डिमांड
जिया कहते हैं कि इस समय उनके पास प्रदेश के तमाम जिलों से अधिकारियों और मत्स्य पालन के उत्सुक किसानों के कॉल आ रहे हैं. वे गंबूसिया प्रजाति की इस मछली की डिमांड कर रहे हैं जिसे वे तुरंत पूरा भी कर रहे हैं. जिया के पास इस प्रजाति की मछलियां बड़ी तादात में है. इनकी ब्रीडिंग की स्पीड बहुत ज्यादा होती है और ये आकार में 2-3 इंच छोटी होती है. पहले बदायूं में बहुत ज्यादा केस मलेरिया और डेंगू के देखने को मिले थे, लेकिन इस मछली के उपयोग के बाद केसों की संख्या में अगले वर्ष काफी कमी देखने को मिली. उन्होंने बताया कि प्रदेश के उन जिलों में जहां मलेरिया और डेंगू के मरीजों की संख्या ज्यादा है, वहां इस मछली को वे फ्री ऑफ कॉस्ट उपलब्ध करवा रहे हैं.
कमा सकते हैं भारी मुनाफा.
जिया के मुताबिक गंबूसिया मछली को लोग बड़े चाव से खाते हैं. इस वजह से इसकी बाजार में मांग है ही, साथ ही मच्छरों के खिलाफ प्रभावी होने की वजह से अब इसकी मांग दोगुनी हो गई है. इस मछली के उत्पादन से किसान भाई अपना मुनाफा काफी आसानी से दोगुना कर सकते हैं.
बदायूं में कम रहे डेंगू मलेरिया के केस
मुख्य विकास अधिकारी (CDO) निशा अंनत के अनुसार वे लोग पिछले साल से गंबूसिया का प्रयोग कर रहे है. इससे उन्हें काफी आश्चर्यचकित करने वाले परिणाम हासिल हुए. बदायूँ में मलेरिया के केस पिछले साल भी काफी कम रहे थे और इस साल भी केस काफी कम है. वे बताती हैं कि मछली के ट्रांसपोर्ट का सारा खर्च प्रशासन उठा रहा है, इसके अलावा मत्स्य पालन के लिए लोगों को बड़े स्तर पर जागरूक किया जा रहा है. शासन ने भी डेंगू और मलेरिया जैसी बीमारियों से निपटने के लिए गंबूसिया मछली को तालाबों में छोड़ने के आदेश दे दिए हैं.