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सावधान! फिर लौटा गाय-भैंसों के लिए काल बनने वाला लंपी वायरस, दहशत में पशुपालक

सिक्किम के सोरेंग, पाकयोंग और नामची जिलों में पशुओं के लंपी वायरस से संक्रमित होने के मामले सामने आए हैं. संक्रमित पशुओं के सैंपल भोपाल में राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशु रोग संस्थान (एनआईएचएसएडी) भेजे गए थे. परीक्षण के दौरान ये सभी सैंपल पॉजिटिव पाए गए हैं. ऐसे में पशुपालकों को सावधान रहने की जरूरत है.

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Lumpy virus
Lumpy virus

देश के कई राज्यों के पशुपालकों के लिए साल 2022 काफी बुरा रहा था. उस साल शहर-शहर, गांव-गावं दुधारू पशुओं की खतरनाक लंपी वायरस की चपेट में आकर मौत हुई थी. राजस्थान गायों के शव को दफनाने के लिए जगह भी कम पड़ गई थी. इस जानलेवा लंपी वायरस ने फिर से देश में दस्तक दे दी है. सिक्किम के भी 3 जिलों में इस वायरस से संक्रमित पशुओं के मामले सामने आए हैं.

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सिक्किम के इन जिलों में दर्ज किए लंपी वायरस के मामले

सिक्किम के पशुपालन और पशु चिकित्सा सेवा के सचिव पी सेंथिल कुमार ने बताया कि सोरेंग, पाकयोंग और नामची जिलों से ये मामले सामने आए हैं.  संक्रमित पशुओं के सैंपल भोपाल में राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशु रोग संस्थान (एनआईएचएसएडी) भेजे गए थे. परीक्षण के दौरान ये सभी सैंपल पॉजिटिव पाए गए हैं. सरकार इस बीमारी को नियंत्रित करने के लिए कई उपाय कर रही है.

लंपी वायरस को रोकने के लिए राज्य सरकार ने उठाए ये कदम

पी सेंथिल कुमार ने बताया कि राज्य के बाहर से गायों के प्रवेश पर रोक लगा दिया गया है. मांस व्यवसाय के लिए भी केवल बैल और भैंस के वध की अनुमति दी जा रही है. स्वस्थ पशुओं का टीकाकरण शुरू किया गया है. सभी किसानों को टीकाकरण के लिए निकटतम पशु चिकित्सालय या अस्पताल से संपर्क करने के लिए कहा गया है.

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उत्तराखंड में भी दर्ज किए गए थे लंपी वायरस के मामले

बता दें कि कुछ दिन पहले उत्तराखंड के भी कई जिलों से लंपी वायरस के 3 हजार से ज्यादा मामले सामने आए थे. इनमें तकरीबन 1000 से 1,669 मवेशी इस संक्रमण से उबर गए थे. हालांकि, लंपी वायरस के फिर से दस्तक देने से पशुपालक डरे हुए हैं. पिछले साल लंपी वायरस  से देशभर में लाखों पशुओं की मौत हुई थी.

क्या है लंपी वायरस?

लंपी वायरस पशुओं में पाया जाने वाला एक खतरनाक वायरस है. यह मक्खियों और मच्छरों की कुछ प्रजातियों और टिक्स द्वारा एक पशु के शरीर से दूसरे पशु के शरीर तक यात्रा करता है. लंपी वायरस से संक्रमित पशुओं को तेज बुखार आने के साथ ही उनकी भूख कम हो जाती है. इसके अलावा चेहरे, गर्दन, थूथन, पलकों समेत पूरे शरीर में गोल उभरी हुई गांठें बन जाती हैं. साथ ही पैरों में सूजन, लंगड़ापन आ जाता हैं. दुधारू पशुओं में दूध देने की क्षमता भी कम हो जाती है. कई बार पशुओं की मौत भी हो जाती है.

 

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