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Lumpy Virus: दिल्ली में भी 'लंपी' की दस्तक, खतरनाक वायरस की चपेट में आ गईं इतनी गायें

Lumpy Virus In Delhi: दिल्ली सरकार ने लंपी वायरस से निपटने के लिए स्पेशल कंट्रोल रूम तैयार किया गया है. कंट्रोल रूम का नंबर 8287848586 है. इस नंबर पर पशु पालक अपनी गायों में इस वायरस का लक्षण पाए जाने पर कॉल करके मदद मांग सकते हैं या वायरस से जुड़ी कुछ जरूरी जानकारियां हासिल कर सकते हैं.

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Lumpy Virus cases in Delhi
Lumpy Virus cases in Delhi

Lumpy Virus Disease: उत्तर भारत के कई राज्यों में लंपी वायरस ने भयंकर तबाही मचाई है. फिलहाल देशभर में इस बीमारी से मरने वाले गायों की मौतों की संख्या 58 हजार के पार जा चुकी हैं. तकरीबन 12 से ज्यादा राज्यों में इससे जुड़े मामले सामने आए हैं. राजस्थान में तो गायों के शवों को दफनाने की जगहें कम पड़ गई है. इन सबके बीच अब दिल्ली में भी लंपी वायरस 173 मामले दर्ज किए गए हैं.

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लंपी वायरस के रोकथाम के लिए दिल्ली सरकार ने लिए ये फैसले

दिल्ली सरकार में मंत्री गोपाल राय के मुताबिक गोयला डेरी से 45, रेवला खानपुर एरिया से 40, घुम्मनहेड़ा एरिया से 21, नजफगढ़ एरिया से 16 मामले सामने आए हैं. बाकी थोड़े बहुत मामले अन्य क्षेत्रों में दर्ज किए गए हैं.  उन्होंने कहा कि दिल्ली के लोगों को इस वायरस से डरने की जरूरत नहीं है. संक्रमित पशुओं को आइसोलेट करने की जरूरत है. इनके इलाज के लिए दो मोबाइल वैटरनिटी क्लीनिक मंगाए गए हैं. इसी के साथ 11 रेपिड रिस्पॉन्स टीम तैयार की हैं. ग्रामीण इलाकों के लिए 4 टीमों को तैयार किया गया है, जो लोगों को जागरूक करने का काम करेंगी.

सरकार ने जारी किया नंबर

मंत्री गोपाल राय ने आगे बताया कि इस समस्या से निपटने के लिए स्पेशल कंट्रोल रूम तैयार किया गया है. कंट्रोल रूम का नंबर 8287848586 है. इस नंबर पर पशु पालक लक्षण पाए जाने पर कॉल करके मदद मांग सकते हैं या वायरस से जुड़ी कुछ जरूरी जानकारियां हासिल कर सकते हैं.

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क्या है लक्षण?

लंपी वायरस पशुओं में पाया जाने वाला एक खतरनाक वायरस है. यह मक्खियों और मच्छरों की कुछ प्रजातियों और टिक्स द्वारा एक पशु के शरीर से दूसरे पशु के शरीर तक यात्रा करता है. लंपी वायरस से संक्रमित पशुओं को तेज बुखार आने के साथ ही उनकी भूख कम हो जाती है. इसके अलावा चेहरे, गर्दन, थूथन, पलकों समेत पूरे शरीर में गोल उभरी हुई गांठें बन जाती हैं. साथ ही पैरों में सूजन, लंगड़ापन और नर पशु में काम करने की क्षमता भी कम हो जाती है. कई बार पशुओं की मौत भी हो जाती है.

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