Lumpy Virus Disease In Cow: राजस्थान में लंपी वायरस की वजह से स्थिति बद से भी बदतर होती जा रही है. गायों की मौत को लेकर अब तो सरकार भी पुख्ता आंकड़ें दे पाने में असमर्थ है. हर दिन 80 से 100 गायों की मौत हो रही है. फिलहाल, सरकार की तरफ से गायों में फैल रहे इस वायरस के रोकथाम को लेकर एडवायजरी जारी कर दी गई है.
रोजाना 80 से 100 गायें तोड़ रही हैं दम
पिछलें पांच दिनों पर सीकर जिले में हजारों की संख्या मे गायों की मौत हो गई है. फतेहपुर शेखावटी जिले में प्रतिदिन 80 से 100 गायें दम तोड़ रही हैं. इन सबके बीच, यहां पशु चिकित्सक अपनी मांगों को लेकर धरने पर हैं. ऐसे में गायों का इलाज प्रभावित हो रहा है. वहीं, दूसरी तरफ संत समाज व समाज सेवी सस्थाएं आगे आकर गायों की सेवा कर रहे हैं. बावजूद इसके रोजाना कई गायें दम तोड़ रही हैं.
संत समाज ने जताई साजिश की आशंका
संत समाज का कहना है कि इस वायरस गायें लगातार मर रही हैं. यह किसी तरह की साजिश भी हो सकती है. फिलहाल पाकिस्तान के रास्ते भारत आई इस खतरनाक और वायरल बीमारी से राजस्थान में गायों की मौतों का आंकड़ा 2100 हो गया है.
ये है लक्षण
विशेषज्ञों के अनुसार, लंपी वायरस पशुओं में कोरोना वायरस की तरह तेजी से फैलता है. संक्रमित पशु के संपर्क में आने से स्वस्थ पशु भी बीमारी की चपेट में आ जाते हैं. पशुओं की त्वचा पर गांठें और मुंह में छाले होने लगते हैं. पशु चलना-फिरना बंद कर देता है. कमजोर पशु को जल्दी ये बीमारी लग जाती है. समय पर इलाज नहीं होने पर इनकी मौत तक हो जाती है.
90 प्रतिशत गायें इसी बीमारी से तोड़ रही हैं दम
राज्य में 90 प्रतिशत गायें इस बीमारी का शिकार होकर दम तोड़ रही हैं. बैल और सांड में भी यह बीमारी फैल रही है. केवल लक्षणों के आधार पर इसका इलाज किया जा रहा है. भारत सरकार ने एडवाइजरी जारी कर बकरियों को लगाए जाने वाली ‘गोट पॉक्स’ वैक्सीन गौवंशों को लगाने की सलाह दी है.
क्या कहते हैं मेडिकल एक्सपर्ट?
राजस्थान के साथ ही गुजरात में भी गाय-भैसों में लंपी डिजीज तेजी से फैल रही है. गुजरात के 14 से ज्यादा जिलों में बीमारी फैलने की जानकारी है. राजस्थान के मेडिकल एक्सपर्ट्स को अंदेशा है कि पाकिस्तान के पंजाब, सिंध और बहावलनगर के रास्ते होकर इसकी देश में फिर से एंट्री हुई है. इस बीमारी का कोई इफेक्टिव इलाज भी मौजूद नहीं है. यह सबसे बड़ी चिन्ता की बात है.
क्या हैं हालात?
फिलहाल, पशु पालकों को निजी स्तर पर पशु स्वास्थ्य कर्मियों को बुलाकर महंगा उपचार करवाना पड़ रहा है. पशु चिकित्सा कर्मचारियों की सामूहिक हड़ताल से सोमवार को जिले में 1000 से ज्यादा गांवों में ग्रामीणों को पशु चिकित्सा सुविधा नहीं मिल पाई. , फतेहपुर शेखावटी जिले में कुल 245 पशु उप केंद्र हैं, जिन पर ताले लटके रहे हैं. जिले के 115 पशु चिकित्सालयों में से 78 में ही पशु चिकित्सा अधिकारी मौजूद रहे.
( रिपोर्ट: राकेश गुर्जर, फतेहपुर शेखावटी)