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मुर्गी पालन: थोड़ी सी लागत और कमाएं चार गुना मुनाफा! जानें Poultry Farming का तरीका

Poultry Farming: अगर किसान मुर्गियों को कुत्ता, बिल्ली, नेवला और सांप से बचा लें तो ये एक फायदेमंद व्यवसाय है. किसान 20 से 30 मुर्गियां पालकर भी अच्छी कमाई कर सकते हैं. इसमें किसान लागत का 4 गुणा पैसा वसूल सकते हैं.

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Poultry Farming
Poultry Farming

Way to earn money through Poultry Farming: खेती के साथ-साथ देश में पशुपालन और मुर्गीपालन (Poultry Farming) को भी महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि इस काम को कम जगह व खर्च पर करके तुरंत लाभ प्राप्त किया जा सकता है. ऐसे किसान जिनके पास कम जमीन है या फिर वैसे लोग जो भूमिहीन हैं, वो इस काम को करके बेहतर मुनाफा कमा सकते हैं. 

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भारत में 38 फीसदी मुर्गियां देशी हैं और इनकी उत्पादन क्षमता बहुत कम है जो सालाना 50-60 अंडे देती हैं. ये कुल अंडा उत्पादन का सिर्फ 21 फीसदी है. जबकि नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूट्रीशन के अनुसार एक व्यक्ति को एक साल में 180 अंडे व 11 किलो मांस की जरूरत होती है, लेकिन अभी सिर्फ 58 अंडे और 2.8 किलो मांस ही उपलब्ध हो पा रहा है. ऐसे में इस क्षेत्र में काफी ज्यादा संभावनाएं हैं.

इन संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए उदयपुर स्थित महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी यूनिवर्सिटी ने मुर्गियों की बहुरंगी संकर नस्ल विकसित की है और इसका नाम 'प्रतापधन' रखा है. 

क्यों खास है 'प्रतापधन' मुर्गियां?
> ये गांव वाले इलाकों में आसानी से पाली जा सकती हैं.
> इस नस्ल की मुर्गी के बहुरंगी होने के कारण लोग भी इन्हें पसंद करते हैं.
> इनकी टांग लंबी होती है जिसकी मदद से ये खुद को शत्रुओं से बचाती है.
> इसके अंडे का रंग देशी अंडे जैसा हल्का भूरा होता है.
> इसमें अंडे सेहने की क्षमता होती है.
> इसका वजन देशी मुर्गी के मुकाबले 75 प्रतिशत ज्यादा होता है.
> ये तेजी से बड़ी होती है, जिसके कारण 5 महीने में मुर्गे का वजन 3 किलोग्राम तक और मुर्गी का वजन 2.7 किलोग्राम तक हो जाता है.
> ये मुर्गियां देशी मुर्गियों के मुकाबले चार गुना ज्यादा अंडे देती हैं.
> ये लगभग 160 से 170 अंडे प्रति वर्ष देती हैं जबकि देशी मुर्गी 40 से 50 अंडे ही दे पाती है.

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'प्रतापधन' मुर्गियों को पालने का तरीका...
शुरू से लेकर 45 दिन तक मुर्गियों को हल्की गरमाहट जरूरत होती है. ऐसे में इनके लिए बल्ब लगाकर रख सकते हैं. इन्हें गर्मी देने के लिए मोटी चादर भी बिछाई जा सकती है. इसके अलावा किसान बिछाने के लिए गेंहू या चावल का भूसा, लकड़ी का बुरादा आदि का प्रयोग कर सकते हैं.

यहां इस बात का खास ख्याल रखना होगा कि मुर्गियों के चूजे लाने से पहले सभी प्रकार के बर्तनों को जीवाणुनाशक दवा से साफ करके रख दें.

क्या खाते हैं चूजे?
चार से 6 सप्ताह के तक के चूजों के लिए अकसर संतुलित आहार नहीं मिल पाता. ऐसे में 6 सप्ताह के चूजे ही लेने चाहिए. वैसे तो ये मुर्गियां छोटे कीड़े-मकौड़े खाकर अपना पेट भर लेती हैं लेकिन फिर इन्हें कुछ मात्रा में दाना देना लाभकारी होता है. इन्हें मक्का, गेहूं, ज्वार, जौ और कटे हुए चावल खिला सकते हैं.

कहां रखें मुर्गियां?
प्रतापधन के चूजों को 4 से 6 सप्ताह के बाद किसान अपने घर के आगे व पीछे आराम से रख सकते हैं. इस पद्धति को फ्री रेंज कहा जाता है. चूजों को इसमें दिनभर के लिए छोड़ दिया जाता है और रात को उन्हें सुरक्षित स्थान पर रखा जाता है. सुरक्षित स्थान का चुनाव करते वक्त इस बात का ध्यान रखें कि एक मुर्गी को रहने के लिए डेढ़ से दो वर्ग फीट जगह की जरूरत होती है. उनका दड़बा जमीन से ऊपर हो और उसमें हवा के आने-जाने की पर्याप्त व्यवस्था हो.

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चार गुणा मिलेगा पैसा
प्रतापधन मुर्गियों को पालकर आप चार गुणा पैसा कमा सकते हैं. आइए जानते हैं इस पर होने वाले खर्च और लाभ के बारे में....
> 45 दिन के 20 चूजों की कीमत- 1500 रुपये
> खाने के लिए दाने की कीमत- 2300 रुपये
> यानी कुल खर्च- 3600 रुपये
> 20 चूजों के अंडों की बिक्री से लाभ- 8000 रुपये
> मुर्गियों को बेचने पर मिलने वाला पैसा- 9400 रुपये
> कुल आमदनी-17400 रुपये

बीमारियों से बचाकर रखें?
मुर्गियों को बीमारी से बचाकर रखना होता है. अगर मुर्गियां बीमारी से दूर रहेंगी तो उत्पादन क्षमता अच्छी बनी रहेगी. हालांकि, ग्रामीण क्षेत्रों में फैलने वाली मुख्य बीमारी रानीखेत है. इसके लिए 6 महीने पर रानीखेत का टीका लगाना जरूरी है. साथ ही 2 से 3 महीने पर आंतरिक परजीवियों की दवा देना उचित रहता है. इसके अलावा अगर किसान इन्हें कुत्ता, बिल्ली, नेवला और सांप से बचा लें तो ये एक फायदेमंद व्यवसाय है. किसान 20 से 30 मुर्गियां पालकर भी अच्छी कमाई कर सकते हैं.

 

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