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कृषि समाचार

Peppermint Farming: तीन महीने की फसल से करें लाखों की कमाई, जानें मेंथा की खेती से जुड़ी अहम बातें

Peppermint Farming
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उत्तर प्रदेश का बाराबंकी कभी अफीम की खेती के कारण काला सोने के नाम से जाना जाता था. लेकिन ये जिला आज पिपरमिंट यानी मेंथा की खेती में अपनी अलग पहचान बना चुका है. परंपरागत खेती छोड़  मेंथा किसानों की पहली पसंद बनकर उनकी आर्थिक समृद्धि का आधार बनी है. मेंथा आयल से तैयार क्रिस्टल के निर्यात में भी जिले की गिनती प्रदेश की प्रमुख मेंथा मंडियों में है. जिले में 90 हजार हेक्टयर में इस वक्त मेंथा की खेती हो रही है. 

Peppermint Farming
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मेंथा की खेती से बदल सकती है किस्मत
किसानों के हालात को मेंथा यानी पिपरमेंट की खेती बदल सकती है. किसान एक एकड़ में फसल उपजाकर लगभग एक लाख रुपये तक मुनाफा कमा सकते हैं. यह उनकी आय बढ़ाने में मददगार साबित हो रही है. यह खेती जिले के ज्यादातर इलाकों में आसानी से हो पा रही है, जहां पर्याप्त पानी की सुविधा उपलब्ध है.

Peppermint Farming
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क्या कहते हैं किसान?
मसौली के शहावपुर ज्योली गांव में मेंथा की सैकड़ों बीघा फसल लहलहा रही है. यहां के किसान हरीश चंद्र कहते हैं कि हमने एक एकड़ खेत में इस मेंथा की खेती की है. इसमें लगभग 20-25 हजार रुपये की लागत लगती है. अगर बारिश की मार न हुई तो एक एकड़ में 1 लाख रुपये की फसल बिक जाएगी. जिसका हमे अच्छा मुनाफा होगा. वहीं गांव के अन्य किसान मौर्या बताते हैं कि मेंथा की मांग देश और विदेशों में बहुत है. यहां व्यापारी खुद आता है और रेट तय कर ले जाता है. वैसे इधर 2-3 साल से मेंथा आयल के दाम में काफी गिरावट आई है और रेट नहीं बढ़ें हैं. 

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Peppermint Benefits
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उत्पादन में बाराबंकी है सबसे आगे
पूरे देश मे मेंथा की खेती सबसे ज्यादा बाराबंकी में ही होती है. दवा से लेकर ब्यूटी प्रोडक्ट और खाने-पीने की चीजों में इस्तेमाल होने वाले मेंथा ऑयल की मांग लगातार बढ़ती जा रही है. भारत इसका सबसे बड़ा उत्पादक है. जिले के कई हिस्सों में फरवरी से लेकर अप्रैल मध्य तक इसकी रोपाई होती है. जून में फसल तैयार होकर कटने लगती है.

Peppermint Farming Benefits
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कैसे और कबतक होती है मेंथा तैयार...
90 दिनों में तैयार होने वाली इस फसल में किसान कुछ ही समय में मुनाफा कमा सकते हैं. वैसे मेंथा में फसल के दौरान खेतों में हल्की नमी जरूरी रहती है. फसल के दौरान इसमें कई बार पानी लगाया जाता है. वहीं कटाई के समय मौसम के साफ रहने का ध्यान जरूर रखना चाहिए.

Peppermint Farming In UP
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मेंथा की खेती के लिए मिट्टी पलटने वाले कृषि उपकरण से कम से कम एक बार गहरी जुताई करें और इसी के साथ 250 से 300 क्वंटल प्रति हेक्टेयर गोबर या कंपोस्ट की खाद खेत में मिलाएं. इसके बाद दो या तीन बार कल्टीवेटर से जुताई करें और हर बार जुताई के बाद पाटा लगाकर मिट्टी को भुरभुरा कर लें.

Peppermint Farming Benefits
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जून तक तैयार होने वाली इस फसल से अमूमन एक बीघा मेंथा में करीब 12-15 किलो तक मेंथा आयल निकल आता है. जो अच्छा मुनाफा देता है. जिले के मसौली, शाहवपुर, फतेहपुर, बदोसराय, कुर्सी कस्बे में मेंथा आयल की खरीद एवं क्रिस्टल तैयार करने के कई प्लांट स्थापित हैं. 

Peppermint Farming Benefits
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क्या कहते हैं उद्यान विभाग के अधिकारी?
इस संबंध में जब उद्यान विभाग के निरीक्षक गणेश चंद्र मिश्रा ने बताया कि जिले में 90 हजार हेक्टेयर में मेंथा की खेती होती है. पूरे देश मे मेंथा का जहां से सबसे ज्यादा निर्यात होता है वह जगह है बाराबंकी. इस निर्यात से बड़ी मात्रा में विदेशी मुद्रा देश को प्राप्त होती है. एक हेक्टयर में मेंथा से किसान को लगभग 100 लीटर तेल मिल जाता है. जो बाजार उतार-चढ़ाव के हिसाब से 1000 से 1300 रुपये किलो में बिकता है. ये तीन महीने की फसल है और नकदी के रूप में किसान इसकी खेती करता है. जब खेत खाली रहते हैं तो किसान मेंथा की खेती कर नकद रकम कमा लेता है.

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