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पंजाब के इस गांव के किसान बने मिसाल, एक बार भी नहीं जलाई पराली

पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं के बीच लुधियाना का चकमाफी जीरो स्टबल बर्निंग वाला गांव बन गया है. यहां के 40 प्रतिशत किसान इन-सीटू तकनीक के जरिए पराली निस्तारण का काम कर रहे हैं. वहीं 60 प्रतिशत किसान एक्स-सीटू तकनीक के जरिए पराली का निपटान कर रहे हैं.

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 Punjab’s Zero Stubble Burning Village
Punjab’s Zero Stubble Burning Village

पंजाब में पराली जलाने की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं. अकेले मुख्यमंत्री भगवंत मान के गृहनगर संगरूर में 201 पराली जलाने के मामले सामने आए हैं. अब तक किसानों से इसके एवज में 5 लाख 2500 रुपये का जुर्माना वसूला गया है. वहीं बठिंडा में भी पराली जलाने के भारी संख्या में मामले सामने आए हैं. इन सबके बीच लुधियाना का एक ऐसा गांव निकल कर सामने आया है, जहां पराली जलाने के एक भी मामला सामने नहीं आए हैं. 

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ऐसे बना ये गांव जीरो स्टबल बर्निंग गांव

लुधियाना का चकमाफी गांव पंजाब का जीरो स्टबल बर्निंग गांव बन गया है. यहां के 40 प्रतिशत किसान इन-सीटू तकनीक के जरिए पराली निस्तारण का काम कर रहे हैं. वहीं 60 प्रतिशत किसान एक्स-सीटू तकनीक के जरिए पराली का निपटान कर रहे हैं. किसान चार चरणों में इस प्रकिया को पूरा कर सकते हैं. किसान कंबाइन मशीन, मल्चर, अंबी हल, रोटावेटर का उपयोग कर पराली का निस्तारण कर रहे हैं.

पराली नहीं जलाने वाले किसानों को पुरस्कार

कृषि विकास अधिकारी संदीप सिंह कहते हैं कि किसान पराली जलाना बंद करें, इसको लेकर हम लगातार काम कर रहे हैं. अच्छा करने वाले किसानों को हम पुरस्कार भी दे रहे हैं जो पराली नहीं जलाने का सहारा ले रहे हैं.

किसानों को है फायदा

कृषि विकास अधिकारी संदीप सिंह का कहना है किसानों को ये प्रकिया एक साल आजमानी चाहिए, इससे उन्हें ही फायदा होगा. इसके अलावा उन्हें ऐसी फसलें भी चुननी चाहिए जिनमें कम अवधि की उपज हो, और फसल विविधीकरण की ओर बढ़ना चाहिए.

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बता दें कि दिवाली के बाद से प्रदूषण के स्तर में तेजी से इजाफा हुआ है. प्रदूषण के बढ़ने के पीछे पराली जलाए जाने का भी बड़ा हाथ है. इसी कड़ी में उत्तर भारत के राज्यों में पराली न जलाने के लिए सरकार किसानों के लिए जागरूकता कार्यक्रम भी चला रही है.

 

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