उत्तर प्रदेश के किसान अभी भी मॉनसून की अच्छी बारिश का इंतजार कर रहे हैं. पूर्वांचल समेत अवध के तमाम जिलों में सूखे जैसे हालात हो गए. बीजेपी के बस्ती के सांसद हरीश द्विवेदी ने सीएम योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर पूर्वांचल को सूखाग्रस्त घोषित करने की मांग भी कर दी है.
पूर्वांचल के अलावा अवध क्षेत्र में भयंकर सूखा
आजतक की टीम भी सूखे की पड़ताल करने जब लखनऊ से 40 km दूर इटौंजा में बसे रेवामऊ गांव पहुंची तो हालत सच में दयनीय दिखी. किसानों ने बताया कि इंद्रदेव नाराज़ हैं जिसके चलते बारिश नही हो रही है, धान बोया है पर पैदावार नहीं है, जमीन छिटक गई है.
यूपी में औसत से भी लगभग 40 प्रतिशत कम बारिश हुई है. यही वजह है कि धान की फसलें सूखने के कगार पर आ गई हैं. पूर्वांचल सहित उत्तर प्रदेश के कई जिलों में सूखे के आसार नजर आने लगे हैं. अन्नदाताओं के सामने अब जीवनयापन तक का गंभीर संकट पैदा हो गया है.
रेवामऊ गांव में अमिल्वा तालाब पानी से लबालब भरा रहता था. लेकिन इस बार तालाब पूरी तरह से सूख चुका है. किसान अमरेंद्र भदौरिया कहते हैं कि अगर तालाब में पानी होता तो किसानों की काफी मदद हो जाती.
कई किसान डीजल पंपिंग सेट से खेतों की सिंचाई करते नजर आ रहे हैं. किसान राम बहादुर के मुताबिक, पानी न बरसने के चलते इन मशीन का इस्तेमाल करना पड़ रहा है. लेकिन इसका उपयोग करना काफी महंगा पड़ रहा है. एक बार इसका इस्तेमाल करने पर 3 हजार रुपये तक की लागत आ रही है.
आजतक की टीम ने पाया कि यहां पास के लगने वाला नहर भी पूरी तरह से सूखा हुआ है. यहां जंगल उग आया है. गांव वालों का कहना है कि अगर प्रशासन ने इसकी झाड़ियां कटवा दी होती तो शायद इसमें भी पानी होता और मदद हो जाती.
यूपी मौसम विभाग द्वारा दिए गए आंकड़े
यूपी मौसम विभाग के निदेशक जेपी गुप्ता ने आज तक को फोन पर बताया उत्तर प्रदेश में इस बार एवरेज बारिश से काफी कम 44% बारिश हुई है जिसके चलते सूखे जैसे हालात हैं. 480 मिमी सामान्य बारिश होनी चाहिए थी, 266.8 मिमी बारिश हुई है. यूपी में सबसे कम बारिश वाले जिलों में फर्रुखाबाद जौनपुर और कुशीनगर है. पूर्वांचल के 16 शहरों 45 प्रतिशत से कम बारिश हुई है.