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किसानों ने खटखटाया सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा, जंतर-मंतर पर करना चाहते हैं सत्याग्रह

किसानों ने मांग की है कि उनके 200 साथियों को अनिश्चितकालीन सत्याग्रह की अनुमति दे दी जाए. किसान चाहते हैं कि कोर्ट केंद्र को कोई आदेश सुनाए और उनकी इस मांग को पूरा कर दिया जाए.

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किसानों ने खटखटाया सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा
किसानों ने खटखटाया सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा
स्टोरी हाइलाइट्स
  • किसानों ने खटखटाया सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा
  • जंतर-मंतर पर करना चाहते सत्याग्रह
  • कल होगी मामले पर सुनवाई

किसान आंदोलन एक साल पुराना होने वाला है. कई महीनों से किसान कृषि कानून के खिलाफ दिल्ली बॉर्डर पर बैठे हुए हैं. भारत बंद भी हो चुका है, कई बैठकें भी हुई हैं, लेकिन समाधान नहीं निकल रहा. अब देश के अन्नदाता ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा दिया है. किसान महापंचायत दिल्ली के जंतर-मंतर पर सत्याग्रह करना चाहती है.

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किसानों ने मांग की है कि उनके 200 साथियों को अनिश्चितकालीन सत्याग्रह की अनुमति दे दी जाए. किसान चाहते हैं कि कोर्ट केंद्र को कोई आदेश सुनाए और उनकी इस मांग को पूरा कर दिया जाए. अभी के लिए कल यानी की शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई होनी है. अब किसानों के हक में फैसला आता है या फिर उन्हें झटका लगता है, ये कल स्पष्ट हो जाएगा.

सत्याग्रह करना चाहते किसान

वैसे हाल ही में किसानों ने भारत बंद भी किया था. दिल्ली-एनसीआर में जरूर उस बंद का ज्यादा असर दिखा, लेकिन कई राज्य ऐसे भी रहे जहां पर वो बंद असरदार नहीं दिखा. उस दिन भी देश के कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानों से प्रदर्शन करने के बजाय बातचीत करने की अपील की थी. उन्होंने कहा था कि बातचीत के जरिए हर मसले को सुलझा लिया जाएगा. 

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खटखटाया सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा

लेकिन तब किसान नेता राकेश टिकैत ने तोमर पर निशाना साधते हुए उन्हें 'रट्टू' बता दिया था. उनकी नजरों में पिछले कई महीनों से नरेंद्र सिंह तोमर एक ही बयान लगातार दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि किसी के विचार को आप विचार से ही बदल सकते हो बंदूक की ताकत से आप विचार नहीं बदल सकते. वो रट्टू हैं, जैसे बचपन में पढ़ाया गया था. जो पढ़ लिया उतना ही बोलेंगे, उससे ज्यादा बोलेंगे ही नहीं. 

जानकारी के लिए बता दें कि किसानों की मांग है कि केंद्र अपने तीनों कृषि कानून वापस ले ले. सरकार ने कई मौकों पर संशोधन की बात कही है, लेकिन किसान सिर्फ और सिर्फ वापसी पर अडिग हैं. इसी वजह से सरकार और किसानों की पिछली 10 बैठकें भी बेनतीजा रही हैं. पिछली बार भी जब किसान और सरकार बातचीत टेबल पर आए थे, वो बैठक भी 7 महीने पुरानी हो गई है. ऐसे में किसान और सरकार के बीच ऐसा डेडलॉक बन चुका है जो टूटने का नाम नहीं ले रहा.

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