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किसान आंदोलन के साथ भीड़ जोड़ने का 'जुगाड़', कबड्डी लीग का आयोजन

इस प्रतियोगिता में देश के नामी कबड्डी खिलाड़ी शामिल होंगे और किसान आंदोलन को अपना समर्थन देंगे. इस कबड्डी लीग को सफल बनाने के लिए किसान नेता और खाप पंचायतें प्रचार में जुट गई हैं.

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कबड्डी लीग के जरिए भीड़ जुटाने की तैयारी ( फोटो पीटीआई)
कबड्डी लीग के जरिए भीड़ जुटाने की तैयारी ( फोटो पीटीआई)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • कबड्डी के जरिए किसान जुटाएंगे भीड़
  • कबड्डी लीग का आयोजन करने की तैयारी

तीन कृषि कानूनों को रद्द करवाने और एमएसपी को लेकर नया कानून बनवाने की मांग कर रहे किसान अब अपने आंदोलन को और ज्यादा धार देने वाले हैं. किसान आंदोलन में भीड़ बढ़ाने के लिए कबड्डी लीग का आयोजन करवाने की तैयारी है. इस कबड्डी लीग का शुभारंभ 22 सितंबर को बहादुरगढ़ के डॉक्टर भीमराव अंबेडकर स्टेडियम में होगा.

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कबड्डी के जरिए किसान जुटाएंगे भीड़

इस प्रतियोगिता में देश के नामी कबड्डी खिलाड़ी शामिल होंगे और किसान आंदोलन को अपना समर्थन देंगे. इस कबड्डी लीग को सफल बनाने के लिए किसान नेता और खाप पंचायतें प्रचार में जुट गई हैं. किसान नेता प्रगट सिंह ने बताया कि 22 और 23 सितंबर को दिल्ली मोर्चा द्वारा बहादुरगढ़ में यह लीग करवाई जाएगी और 24 से 26 सितंबर तक यह लीग सिंघु बॉर्डर पर चलेगी. इस प्रतियोगिता में बेस्ट रेडर और कैचर को बुलेट मोटरसाइकिल उपहार स्वरूप दी जाएगी और विजेता टीमों को नगद पुरस्कार द्वारा सम्मानित किया जाएगा.

भारत बंद की तैयारी

इस कबड्डी लीग को देखने के लिए हरियाणा और पंजाब से भारी संख्या में लोगों के पहुंचने की उम्मीद है. जिस दिन यह लीग समाप्त होगी, उससे अगले दिन यानी 27 सितंबर को किसान संयुक्त मोर्चा द्वारा भारत बंद का ऐलान किया गया है. इस भारत बंद कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए किसान नेताओं और खाप पंचायतों की ड्यूटी लगाई गई है. किसान नेता परगट सिंह का कहना है कि इस बार 27 सितंबर को देशभर में कर्फ्यू जैसा माहौल रहेगा. देश के सभी नेशनल हाईवे और रेलवे ट्रैक पूरी तरह से बंद रहेंगे. भारत बंद का असर पूरे देश में देखने को मिलेगा.

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सरकार संग बातचीत बंद

बता दें कि 26 सितंबर को दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे किसानों को सड़क मोर्चे पर बैठे हुए 10 महीने पूरे हो जाएंगे. लेकिन पिछले 7 महीने से किसान और सरकार के बीच बातचीत का डेडलॉक लगा हुआ है. सरकार किसानों की मांगें मानने को तैयार नहीं है. तो वहीं किसान भी आंदोलन को और तेज करने की बात कह रहे हैं. ऐसे में इस किसान आंदोलन का हल कैसे निकलेगा यह कोई नहीं जानता.

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