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एक समय ऐसा था भारत में कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का इतना प्रकोप नहीं था लेकिन पिछले कुछ सालों में कैंसर के मामलों में काफी तेजी से इजाफा देखा गया. पंजाब और हरियाणा जैसे कृषि प्रधान प्रदेशों सहित कई अन्य राज्यों के गांव ऐसे हैं जहां इस बीमारी से काफी लोगों ने अपनी जान गंवा दी. इसकी वजह खेतों में रासायनिक कीटनाशकों का अत्याधिक प्रयोग को माना जाता है. इस स्थिति को बदलने के लिए भारत सरकार भी जैविक खेती (Organic Farming) को बढ़ावा दे रही है. इसके लिए राष्ट्रीय जैविक खेती केंद्र, गाजियाबाद के माध्यम से कई योजनाओं पर भी काम किया जा रहा है.
रासायनिक कीटनाशकों की वजह से खेतों की उर्वरक शक्ति हो गई है कमजोर
राष्ट्रीय कृषि विज्ञान केंद्र के मुरैना के प्रमुख वैज्ञानिक सतेंद्र पाल सिंह ने बताया कि जैविक खेती रासायनिक कीटनाशकों की वजह से खेतों की उर्वरक शक्ति कमजोर हो रही है. जमीन में दो तरह के जीवाश्म मौजूद रहते हैं, एक नाइट्रोजन और ऑर्गेनिक कॉर्बन होता है, जिससे फसलों का बेहतर विकास होता है. लेकिन पिछले कुछ समय में जमीन से कॉर्बन की मात्रा 0.8 प्रतिशत से घटकर 0.2 प्रतिशत पर आ गया है. ऐसे में हमे रासायनिक कीटनाशकों खेतों में डालने से बचना चाहिए. इससे उर्वरा शक्ति प्रभावित नहीं होगी, साथ ही उससे निकले आनाज और सब्जियों का सेवन करने से और लोग गंभीर रूप से बीमार नहीं होंगे.
जैविक खेती करने का होता है अलग-अलग मापदंड
जैविक खेती करने का अलग मापदंड है. इसके लिए हर राज्य में अलग-अलग प्रमाणीकरण संस्थाएं होती हैं. अगर किसान इन संस्थाओं से जैविक कृषि का प्रमाणपत्र नहीं लेते हैं तो उनके प्रोडक्ट बाजार में उस कीमत पर नहीं खरीदे जाएंगे जितने में खरीदे जाने चाहिए. साथ ही उन्होंने कहा कि हम किसानों को क्लस्टर यानी बड़े क्षेत्रो में इसकी खेती को करने को बढ़ावा देते हैं और जहां खेती हो रही है वहां 10 से 15 खेतों की दूरी होनी चाहिए जिससे कीटनाशक वाले खेत पानी के माध्यम से जैविक फसलों को बर्बाद न कर सकें.
एक एकड़ की खेती में कमाएं 4 लाख तक का मुनाफा
आकाश चौरसिया सागर के कपुरियां गांव के किसान हैं. वह जैविक खेती किसानी के साथ अन्य किसानों को इसका प्रशिक्षण भी देते हैं. उन्होंने बताया कि वे 16 एकड़ में खेती करते हैं और ऑर्गेनिक फॉर्मिंग के कई मॉडलों का उपयोग करते हैं. उन्होंने बताया कि हर मॉडल की अलग-अलग लागत और मुनाफा है. मोनों क्रापिंग, इंटर क्रांपिंग और मल्टी क्रांपिंग और मल्टी लेयर क्रांपिग पर काम करते हैं. आकाश के मुताबिक अगर मल्टी लेयर क्रापिंग में एक एकड़ में एक से डेढ़ लाख लागत लगाते हैं तो 4 लाख तक मुनाफा कमा लेते हैं.
इसके अलावा आकाश चौरसिया ने बताया कि जैविक खेती करने के लिए आप खुद ही घर पर खाद्य तैयार कर सकते हैं बस आप पशुपालन करते हो, जिससे गाय का आपको गोबर और मूत्र आसानी से उपलब्ध हो जाए. खेतों में डालने के लिए जीवामृत खाद्य और बर्मी कम्पोस्ट खुद ही तैयार करते हैं ऐसे में उनकी लागत कम पड़ जाती है. वहीं, कृषि वैज्ञानिक सतेंद्र पाल सिंह भी कहते हैं कि किसान इस तरफ आकर्षित हो, इसके लिए हम उनको खाद्य बनाने की विधि से लेकर समय-समय पर अनुदान देते हैं.
सरकार भी दे रही है बढ़ावा
सरकार की तरफ से जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए कई सारी परियोजनाएं चलाई जा रही है. किसान भाई इससे जुड़ी छोटी से छोटी जानकारियों हासिल कर सकें, इसके लिए सरकार ने खेती पोर्टल https://www.jaivikkheti.in/ लॉन्च कर चुकी है, जिसका उपयोग कर कृषक इस खेती को बढ़ावा देने के लिए करते हैं.
इसके अलावा परपंरागत कृषि विकास योजना नाम से कार्यक्रम भी चला रही है. जिसके तहत पारपंरगत खेती की शुरुआत करने वाले ग्रामीणों को प्रति हेक्टेयर 50 हजार का अनुदान प्रदान किया जाता है. इसके अलावा मिशन ऑर्गेनिक वैल्यू चेन डेवलपमेंट फॉर नॉर्थ इस्टर्न रीजन और नाबार्ड की तरफ से स्वायल हेल्थ मैनेजमेंट का भी कार्यक्रम चलाया जा रहा है. साथ ही आर्गेनिक फार्मेंगि में उत्कृष्ट खेती करने वालों को हलधर पुरस्कार और संस्था के रूप में इसकी खेती को बढ़ावा देने के लिए दीनदयाल उपाध्याय अवार्ड देने का भी प्रावधान है.